Hindi Literature
तुम्हें याद हो कि न याद हो/कमलेश भारतीय
आज मेरा मित्र डाॅ सुरेंद्र मंथन इस दुनिया में नहीं पर मुझे उसने जो किशोर मिलवाया...
मायानगरी का काला सच...?/कमलेश भारतीय
आखिर किसी गैर फिल्मी परिवार के व्यक्ति को इतना संघर्ष क्यों करना पड़ता है?
सुशांत ने सबको किया अशांत/कमलेश भारतीय
सुशांत से पहले बल्कि बहुत पहले गुरुदत्त की कहानी भी ऐसे ही खत्म हुई