लघुकथा/प्रेम

लघुकथा/प्रेम
मनोज धीमान।

दिनेश सो कर उठा। उसने देखा, उसकी पत्नी बिस्तर पर अभी भी गहरी नींद में थी। उसने रिमोट उठाया और टीवी को ऑन कर दिया।  टीवी पर प्रख्यात लेखक प्रेम सागर की इंटरव्यू दिखाई जा रही थी। साक्षात्कारकर्ता ने कई प्रश्न पूछे। प्रेम सागर सभी का उत्तर बड़े प्रेम से देते जा रहे थे। साक्षात्कारकर्ता ने जब पश्न किया कि क्या आपने किसी से प्रेम किया है तो प्रेम सागर कुछ पल के लिए कहीं गहरे विचारों में खो गए। फिर उत्तर दिया- हाँ, मैंने भी प्रेम किया है। अभी भी प्रेम में ही हूँ। इस समय भी प्रेम रस में डूबा हुआ हूँ। अब आप पूछेंगे कि प्रेम किस से करता हूँ। इसका उत्तर भी दे देता हूँ। मैं अपनी पत्नी से प्रेम करता हूँ। इस प्रेम की शुरुआत उसकी मृत्यु के पश्चात आरम्भ हुई। पहले तो मैं अपनी पत्नी की काया, उसके रूप रंग से प्रेम करता था। लेकिन वह प्रेम नहीं था, मेरी वासना थी। प्रेम की अनुभूति तो मुझे उसकी मृत्यु के पश्चात हुई। वह मेरे दिल, दिमाग व साँसों में बस चुकी है।  साक्षात्कारकर्ता प्रेम सागर की तरफ टकटकी लगा कर देखे जा रहा था। दिनेश कभी बिस्तर पर सो रही अपनी पत्नी की तरफ देख रहा था, कभी टीवी पर नज़र आ रहे प्रेम सागर की तरफ।
-मनोज धीमान।