"प्रेस 9 फ़ॉर अ क्राइम” का दिल्ली में हुआ लोकार्पण

वैश्विक साइबर अपराध की काली दुनिया को उजागर करने वाला रोमांचक नया उपन्यास

बाएँ से दाएँ: मिहिर रंजन, सुधांशु शेखर झा, राकेश अस्थाना, क़मर वहीद नक़वी, शैलेन्द्र झा — पुस्तक का लोकार्पण करते हुए।

नई दिल्ली: वैश्विक साइबर अपराध की छिपी दुनिया को उजागर करने वाला एक सशक्त नया उपन्यास 'प्रेस 9 फ़ॉर अ क्राइम' इंडिया हैबिटेट सेंटर में विमोचित हुआ, यह उपन्यास लेखक और फ़िल्ममेकर शैलेन्द्र झा ने लिखा है। इस अवसर पर लेखकों, वरिष्ठ  पत्रकारों और पाठकों ने एकत्र होकर इस महत्वपूर्ण और समकालीन विषय पर आधारित पुस्तक के बारे में विस्तृत बातचीत, विचार-विमर्श और अंश पाठ  का आनंद लिया।
कार्यक्रम की शुरुआत वरिष्ठ पत्रकार मिहिर रंजन के स्वागत भाषण से हुई, जिसके बाद पेंगुइन रैंडम हाउस इंडिया की व्योमा त्रिवेदी ने संबोधन दिया। इसके बाद पूर्व सीबीआई विशेष निदेशक और दिल्ली पुलिस आयुक्त रहे राकेश अस्थाना ने मुख्य अतिथि के रूप में किताब का औपचारिक विमोचन किया। अपने संबोधन में उन्होंने बढ़ते साइबर अपराधों की जटिलता और सार्वजनिक जागरूकता की आवश्यकता पर विस्तार से बात की।
शाम का प्रमुख आकर्षण लेखक शैलेंद्र झा और वरिष्ठ पत्रकार व संपादक ऋषि मजूमदार के बीच हुआ संवाद था, जिसमें झा की पत्रकारिता से फ़िल्म निर्माण और फिर फिक्शन लेखन की यात्रा, उपन्यास के पीछे की रिसर्च और उन वास्तविक घटनाओं पर चर्चा की गई जिन्होंने उन्हें गहराई से प्रभावित किया। झा ने पुस्तक के कुछ अंश भी पढ़े, जिससे उपस्थित दर्शकों को इसके तीव्र, भावनात्मक और रहस्यपूर्ण नैरेटिव से रूबरू होने का अवसर मिला।
इस मौक़े पर मुख्य अतिथि राकेश अस्थाना ने पुस्तक पर अपने विचार रखते हुए कहा “किताब पढ़ते समय इसकी कहानी ने मुझे बेहद प्रभावित किया। यह बेहद वास्तविक लगती है और इसमें दर्शाई गई घटनाएँ आज के समय में अत्यंत प्रासंगिक हैं। पुलिस सेवा में रहे व्यक्ति के तौर पर मैं इससे आसानी से जुड़ सका। भविष्य में लगभग नब्बे प्रतिशत अपराध साइबर रूप ले सकते हैं, इसलिए यह कहानी और भी महत्वपूर्ण बन जाती है। यह उपन्यास एक दमदार वेब सीरीज़ या फ़ीचर फ़िल्म का रूप भी ले सकता है।”
लेखक शैलेन्द्र झा ने कहा, “करीब डेढ़ साल पहले मैंने पहली बार ‘डिजिटल अरेस्ट’ शब्द सुना। जिन वास्तविक कहानियों के बारे में मैंने पढ़ा, वे चौंकाने वाली थीं। ऐसे अपराधों की मैंने कल्पना भी नहीं की थी। जैसे-जैसे मैंने पढ़ना और रिसर्च करना शुरू किया, कहानी अपने आप बनती चली गई।”
लॉन्च में भारी संख्या में उपस्थित दर्शकों ने लगातार सवाल पूछकर और विचार साझा करके कार्यक्रम को बेहद जीवंत बना दिया। कई लोगों ने पुस्तक के हिंदी अनुवाद में रुचि दिखाई और यह भी महसूस किया कि कहानी एक वेब सीरीज़ या फ़िल्म के रूप में अत्यंत प्रभावशाली सिद्ध हो सकती है। विषय की सामयिकता और कहानी की भावनात्मक गहराई को व्यापक सराहना मिली।
पेंगुइन रैंडम हाउस इंडिया द्वारा प्रकाशित प्रेस 9 फ़ॉर ए क्राइम एक तेज़-तर्रार, समकालीन और वास्तविकताओं पर आधारित कथा प्रस्तुत करती है, जो वैश्विक साइबर अपराध के बढ़ते नेटवर्क और उससे प्रभावित होने वाले आम परिवारों के संघर्ष को सामने लाती है। ग्रहण जैसी चर्चित सीरीज़ के निर्माता शैलेंद्र झा इस उपन्यास में पत्रकारिता की सटीकता, फ़िल्मी दृष्टि और भावनात्मक प्रभाव—तीनों को एक साथ बुनते हैं।
उपन्यास में दिल्ली की निम्न-आय बस्ती में रहने वाले आनंद परिवार की कहानी है, जिनका बड़ा बेटा अतुल बैंकॉक में आकर्षक नौकरी के बहाने बुलाए जाने के बाद गायब हो जाता है। जल्द ही परिवार को पता चलता है कि उसे कंबोडिया के एक साइबर स्कैम कैंप में  भेज दिया दिया गया है। जैसे-जैसे परिवार उसे बचाने की कोशिश करता है, कहानी अंतरराष्ट्रीय अपराध नेटवर्क, मानव तस्करी और डिजिटल शोषण की भयावह दुनिया को उजागर करती चलती है।