राष्ट्र निर्माण का रास्ता उच्च शिक्षण संस्थानों से होकर गुजरता हैः डा. इंद्रेश कुमार
गुजवि में राष्ट्र निर्माण में उच्च शिक्षण संस्थानों की भूमिका विषयक कार्यशाला आयोजित।
 
                        हिसार, गिरीश सैनी। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के केंद्रीय कार्यकारिणी सदस्य डा. इंद्रेश कुमार ने कहा है कि राष्ट्र निर्माण का रास्ता उच्च शिक्षण संस्थानों से होकर गुजरता है। स्कूल राष्ट्र निर्माण के छोटे तथा विश्वविद्यालय राष्ट्र निर्माण के बड़े मॉडल हैं। डा. इंद्रेश कुमार शुक्रवार को गुरु जंभेश्वर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय हिसार में 'राष्ट्र निर्माण में उच्च शिक्षण संस्थानों की भूमिका' विषय पर आयोजित एक दिवसीय कार्यशाला को बतौर अध्यक्ष संबोधित कर रहे थे। अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) के अध्यक्ष प्रो. टी.जी. सीताराम कार्यशाला के मुख्य अतिथि थे। इस कार्यशाला में कुलपति प्रो. नरसी राम बिश्नोई, कुलसचिव प्रो. विनोद छोकर तथा गुजवि की प्रथम महिला डा. वंदना बिश्नोई भी उपस्थित रही।
अध्यक्षीय संबोधन में डा. इंद्रेश कुमार ने कहा है कि बच्चों में अनुवांशिक रूप से शोध ग्रंथि होती है। विश्वविद्यालय को इस ग्रंथि को विकसित करना होता है। अच्छी शिक्षा राष्ट्र के लिए उपयोगी तथा बुरी शिक्षा राष्ट्र के लिए अनुपयोगी होती है। भारत में उच्च स्तरीय शिक्षा व्यवस्था की प्राचीन तथा उत्कृष्ट परंपरा है। उसी के दम पर भारत विश्व गुरु कहलाता था। बारहवीं सदी में दुनिया के 20 विश्वविद्यालयों में से 18 भारत की सीमा में थे। उन्होंने कहा कि हमारा देश फिर से विश्व गुरु बनने की राह पर है। इसके लिए आवश्यक है कि विश्वविद्यालय अपनी जिम्मेदारी व भूमिका को पहचानें तथा उसका निर्वहन करें। उन्होंने देश की सामाजिक व्यवस्था को दुनिया की श्रेष्ठ सामाजिक व्यवस्था बताया तथा कहा कि भारत की महिलाएं राष्ट्र के निर्माण में हमेशा से आधार स्तम्भ रही हैं। पुरुष की कमाई और महिला की बचत से यह देश सोने की चिड़िया कहलाता था।
मुख्य अतिथि प्रो. टी.जी. सीताराम ने कहा कि शिक्षा की गुणवत्ता का राष्ट्र निर्माण में बड़ा योगदान है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 (एनईपी) शोध तथा नवाचार पर आधारित है। यह शिक्षा नीति समाज को कौशलयुक्त तथा अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए प्रेरित करती है। तकनीकी शिक्षा का इस क्षेत्र में और भी बड़ा योगदान है। उन्होंने कहा कि देश में तकनीकी शिक्षा की गुणवत्ता अत्यंत उच्च स्तरीय हो गई है। दुनिया की सभी बड़ी कंपनियों में भारतीयों का अग्रणी योगदान है। यह सब डिजिटल इंडिया, स्किल इंडिया तथा स्वच्छ भारत-स्वस्थ भारत अभियानों के चलते संभव हो पाया है। उन्होंने कौशल को डिग्री से अधिक महत्वपूर्ण बताया। साथ ही कहा इस दिशा में अभी और अधिक काम करने की जरूरत है। एआईसीटीई इसमें अपना सक्रिय तथा आधारभूत योगदान दे रही है।
कुलपति प्रो. नरसी राम बिश्नोई ने अपने स्वागत संबोधन में कहा कि शिक्षा ही मानव सभ्यता का आधार है। उन्होंने एनईपी-2020 को भारत के पुनरुत्थान के लिए एक बहुत बड़ा कदम बताया। उन्होंने गुजवि की उल्लेखनीय उपलब्धियों की जानकारी भी दी। धन्यवाद सम्बोधन कुलसचिव प्रो. विनोद छोकर ने किया। /12/04/2024
 
                             
                 Girish Saini
                                    Girish Saini                                 
 
         
         
        

 
                                    
                                 
 
 
 
