समाचार विश्लेषण/क्या भाजपा के बहिष्कार का आह्वान....?

समाचार विश्लेषण/क्या भाजपा के बहिष्कार का आह्वान....?
कमलेश भारतीय।

-कमलेश भारतीय 
किसान आंदोलन के हरियाणा के नेता  और भाकियू के नेता गुरनाम सिंह चढ़ूनी ने ऐसी बात कह दी जिससे लगा कि कहीं ये अप्रत्यक्ष रूप से भाजपा के बहिष्कार का आह्वान तो नहीं कर दिया ? चढ़ूनी ने यह बात मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के चुनाव क्षेत्र करनाल के गांव इंद्री में हुई महापंचायत में किया । चढूनी ने यह बात कृषि मंत्री जे पी दलाल द्वारा किसानों का मज़ाक उड़ाने की प्रतिक्रिया में की । असल में हरियाणा के कृषि मंत्री जे पी दलाल ने बात ही कुछ इस अंदाज में की थी कि ऐसी प्रतिक्रिया सामने आई । चढूनी के अनुसार दो सौ से ज्यादा किसानों की इस आंदोलन में जान जा चुकी है और कृषि मंत्री इनका मज़ाक उड़ा रहा हो ? यह कैसे सहन हो सकता है? इसलिए ये किसान आंदोलन का विरोध करने वाले लोग जब भी विधानसभा या लोकसभा का चुनाव लड़ें , उन्हें हर हाल में हराना है । जो पार्टी हमारा सहयोग न कर रही हो उसकी हालत ऐसी कर दो कि कोई इसकी टिकट लेने वाला ही न हो । 

ये संकेत बहुत अच्छे नहीं भाजपा के लिए । कहां तो भाजपा कांग्रेस मुक्त भारत बनाने का नारा देती आ रही है और कहां किसान आंदोलन में भाजपा के बहिष्कार की ही घोषणायें होने लगीं । बेशक चढूनी को कांग्रेस का एजेंट तक कहा गया और चढूनी को घोषणा करनी पड़ी कि वे कांग्रेस या किसी अन्य पार्टी से संबंध नहीं रखेंगे । 

एक समय कंडेला आंदोलन के चलते एक किसान नेता ऐसे ही हरियाणा में बहुचर्चित हो गये थे और लगता था कि कांग्रेस हिसार लोकसभा का टिकट इनको ऑफर करेंगी लेकिन ऐसा नहीं हुआ और वे किसान नेता इतने मुकद्दमों में उलझ गये कि हिसार  कोर्ट में आने पर भी कोई भीड़ जुटनी बंद हो गयी थी और वे लगभग खामोशी से जीवन से विदा हुए । फिर भी हरियाणा के कृषि मंत्री को सोच समझ कर टिप्पणी करनी चाहिए थी । काफी नुकसान किया पार्टी का । 

राकेश टिकैत ने फिर दोहराया है कि रोटी को किसी सेठ की तिजोरी मे बंद नहीं होने देंगे और कृषि कानूनों की वापसी तक संघर्ष जारी रखेंगे । यही नहीं अब टोल प्लाजा बंद करवाने की शुरुआत यूपी में भी  की जायेगी । यानी एक नया संघर्ष शुरू होगा यूपी में । योगी जी टोल प्लाजा बंद होने नहीं देना चाहेंगे और किसान टोल प्लाजा पर विरोध करने जुटेंगे । फिर पुलिस को क्या निर्देश मिलेंगे? जहां पार्क में बैठे लोगों पर डंडा चल जाता हो । यह देखना दिलचस्प होगा कि किसान आंदोलनकारियों के साथ कैसे पेश आएगी यूपी पुलिस? यह बात भी किसान आंदोलन के नेता कह रहे हैं कि दिल्ली की कोठियों में बैठे मंत्रियों के मुताबिक नहीं बल्कि हमारी इच्छा के बल पर बनेंगे कृषि कानून । किसानों ने कल न केवल आंदोलन को जारी रखा बल्कि पुलवामा के शहीदों को श्रद्धांजलि भी अर्पित की । सरकार कितने कदम या कितने फोन काॅल पर दूर रही ?