समाचार विश्लेषण/पहलवानी और सेना के बाद यह कौन सी डगर? 

समाचार विश्लेषण/पहलवानी और सेना के बाद यह कौन सी डगर? 
कमलेश भारतीय।

-*कमलेश भारतीय 
सिद्धू मूसेवाला के हत्याकांड से जुड़ शाॅर्प शूटर का नाम सामने आया है -प्रियव्रत उर्फ फौजी उर्फ पहलवान । हरियाणा के सोनीपत निवासी प्रियव्रत बचपन में पहलवानी का शौक रखता था और स्वर्ण पदक भी जीते । यह  प्रतिभावान पहलवान प्रियव्रत देश एवं के लिए सेना में शामिल हुआ खेल कोटे के आधार पर । फिर एकाएक अपराध की दुनिया में कदम रख दिये और लॉरेंस बिश्नोई गैंग तक सम्पर्क हो गया । बताया जा रहा है कि प्रियव्रत ने ही मूसेवाला की निर्मम हत्या की पूरी स्किप्ट न केवल लिखी बल्कि इसे अंजाम भी दिया । आखिर कैसे खेलों के खिलाड़ी अपराध की दुनिया में प्रवेश कर जाते हैं ? क्या वे देश एवं समाज को भूल जाते हैं ? क्या सेना का अनुशासन और स्वर्ण पदक जीतने पर तिरंगा थामने पर वह खुशी और गौरवमयी पल भूल जाते हैं ? 
इससे पहले भी सुशील पहलवान का कितना घिनौना चेहरा सामने आ चुका है । किस तरह उसने छोटी सी बात पर सागर को सबक सिखाने के लिए अपने साथियों सहित दिल्ली के छत्रसाल स्टेडियम में निर्ममतापूर्वक हत्या कर दी थी । उसका भी कनेक्शन लॉरेंस गैंग से बताया गया । अखाड़े की मिट्टी में लथपथ होकर की गयी मेहनत से सुशील ने देश का नाम ऊंचा किया और एक सामान्य से परिवार के लड़के को पहलवानी ने क्या नहीं दिया ? फिर कौन सी इच्छा रह गयी थी ? नये प्रतिभावान सागर की निर्मम हत्या क्यों की ? क्या दूसरे पहलवान को ऊंचाई छूते देख इतनी ईर्ष्या मन में हुई कि हत्या ही कर डाली ?
देखा जाये तो राजनीति में भी इन पहलवानों के उपयोग की बातें सामने आती हैं । जब जब चुनाव आते हैं तब तब इन पहलवानों की मदद ली जाती है और अखाड़ों से इन्हें राजनीति में इस्तेमाल किया जाता है । तभी तो कहा जाता है कि बाहुबल भी जरूरी है और ये पहलवान ही बाहुबली होते हैं । सिर्फ पहलवानी से फिर इनका दिल नहीं भरता और ये धीरे धीरे अपराध की दुनिया में कदम रख देते हैं जैसे सुशील और प्रियव्रत ने रख दिये । इससे औरों की छवि खराब होती है । खेलों खासकर पहलवानी के प्रति अभिभावक कम रूचि लेने लगते हैं । खेलों से अपराध की दुनिया का रास्ते न खोलने बल्कि इसे युवाओं के लिए प्रेरणा की राह ही बने रहने दो । ये अपराध के रास्ते न समाज और न ही देश के हित में हैं । 
ये रास्ते हैं प्यार के 
चलना संभल संभल के ...
-*पूर्व उपाध्यक्ष, हरियाणा ग्रंथ अकादमी ।