सेमग्रस्त भूमि के लिए लाभकारी साबित हुआ वर्टिकल ड्रेनेज सिस्टमः उपायुक्त धर्मेंद्र सिंह
एक दर्जन से भी अधिक गांवों को मिला फायदा।

रोहतक, गिरीश सैनी। उपायुक्त धर्मेंद्र सिंह ने कहा है कि वर्टिकल ड्रेनेज सिस्टम सेमग्रस्त भूमि के लिए बेहद लाभकारी साबित हो रहा है। इस सिस्टम को लगाने के बाद अनेक गांवों के किसानों को लाभ पहुंचा है।
वर्टिकल ड्रेनेज प्रोजेक्ट के बारे में फीडबैक लेने के लिए उपायुक्त धर्मेंद्र सिंह ने गांव बालंद व घिलौड कलां में मौके पर जाकर निरीक्षण किया और इस प्रणाली को अपनाने वाले किसानों से सीधा संवाद भी किया। किसानों ने उपायुक्त को बताया कि भू-जल स्तर ऊपर आने की वजह से सैकड़ों एकड़ क्षेत्र में उनकी फसल नहीं हो पाती थी। राज्य सरकार की योजना के तहत कृषि भूमि में वर्टिकल ड्रेनेज प्रणाली को स्थापित किया गया, जिसके बाद उनके खेतों में बहार आ गई और फसल लहलहा रही है।
गांव बालंद में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में इस प्रणाली को स्थापित किया गया था। ढाई वर्ष में कृषि भूमि में काफी सुधार हुआ है। पहले यहां भू-जल स्तर केवल मात्र पांच फीट पर था। ग्रामीणों ने बताया कि 3 वर्ष पूर्व इस क्षेत्र में कोई फसल नहीं होती थी, लेकिन अब फसल लहलहा रही है। यहां 100 एकड़ के क्षेत्र में एक ट्यूबवेल लगाया गया है। इस प्रकार से यहां पांच ट्यूबवेल लगाए गए हैं।
उपायुक्त ने बताया कि राज्य सरकार की इस योजना के तहत अब तक जिला के एक दर्जन से भी अधिक गांवों में वर्टिकल ड्रेनेज सिस्टम स्थापित करके कृषि भूमि में सुधार किया जा चुका है। उन्होंने बताया कि वित्त वर्ष 2022-23 में कुल 3250 एकड़ कृषि भूमि का सुधार किया गया। इसमें गांव लाखनमाजरा, चिड़ी, बसंतपुर व बखेता की कृषि भूमि शामिल थी। वहीं, वर्ष 2023-24 में 2700 एकड़ कृषि भूमि में सुधार किया गया, जिसमें गांव घिलौड़ कलां, सैंपल, कसरैंटी व खरक जाटान की कृषि भूमि शामिल थी। वर्ष 2025-26 में 2450 एकड़ कृषि भूमि का सुधार किया गया है, जिसमें गांव बहु अकबरपुर, तिमारपुर, कलानौर व बलब गांव शामिल हैं। अब तक परियोजना के तहत 8400 एकड़ भूमि का सुधार करके संबंधित किसानों को लाभ पहुंचाया जा चुका है।
कृषि विभाग की मंडल भूमि संरक्षण अधिकारी नीना सुहाग ने बताया कि सेमग्रस्त क्षेत्र में यह प्रणाली बेहद कारगर साबित हो रही है। इसे सरकार की योजना के तहत मुफ्त में स्थापित किया जाता है। उन्होंने कहा कि सेम की समस्या और खारा पानी की स्थिति में संबंधित क्षेत्र के किसान पंचायत के माध्यम से कृषि विभाग को अपना प्रस्ताव भेज सकते हैं। विभाग द्वारा सर्वे करवाकर इस प्रणाली को निशुल्क स्थापित किया जाता है। सौर ऊर्जा पर आधारित इस प्रणाली में रोजाना 4 से 5 घंटे तक सेमग्रस्त भूमि का पानी निकालने का कार्य किया जाता है। /18/07