डिजिटल और शायद अंतिम होगी अगली जनगणना

डिजिटल और शायद अंतिम होगी अगली जनगणना

भारत की 15वीं जनगणना 2011 में हुई थी। यह प्रक्रिया हर दस साल बाद दोहराई जाती है, इसलिए 16वीं जनगणना 2021 में होना तय थी, जो कोरोना के कारण टलती रही और अभी भी इसकी तिथि घोषित नहीं हो सकी है। इस बीच, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने घोषणा कर दी है कि देश की अगली जनगणना डिजिटल तरीके से होगी, और किसी भी नागरिक को छोड़ा नहीं जाएगा। इस साल हो या अगले साल, ई-जनगणना अंतिम हो सकती है। बहुत संभव है कि इसके बाद फिर कभी जनगणना न करवायी जाए। शिशुओं के जन्म से लेकर वयस्कों की मृत्यु तक का सभी डेटा डिजिटल रूप में एकत्र होता रहेगा और सरकार विविध जनकल्याण योजनाओं के लिए योग्य नागरिकों को खुद ब खुद सूचनाएं भेजेगी, जिससे तमाम विसंगतियां दूर हो जाएंगी। इसके लिए केंद्र सरकार जन्म-मृत्यु रजिस्ट्रेशन एक्ट में संशोधन करने जा रही है। संशोधित कानून का मसौदा अपने अंतिम चरण में है। अनुमान है कि 2022 में जनगणना शुरू होने से पहले नया कानून देश में लागू हो सकता है। ई-जनगणना को ज्यादा वैज्ञानिक बनाने के लिए इसमें आधुनिक तकनीकें जोड़ी जाएंगी।

कानून में संशोधन के बाद नागरिकों के जन्म और मृत्यु का लेखाजोखा केंद्र सरकार के पास पहुंचने लगेगा। 2024 तक प्रत्येक जन्म और मृत्यु का पंजीकरण होगा। जन्म और मृत्यु रजिस्टर को भी जनगणना से जोड़ा जाएगा। इसका मतलब है कि देश में हर जन्म और मृत्यु के बाद जनगणना अपने आप अपडेट हो जाएगी। सरकार का यह कदम दरअसल 'वन नेशन वन डेटा' की अवधारणा को पुष्ट करेगा। फिलहाल राज्यों के माध्यम से लंबे इंतजार के बाद यह डेटा केंद्र तक पहुंचता है। अभी आधार, ड्राइविंग लाइसेंस, मतदाता पहचान पत्र, पासपोर्ट और राशनकार्ड जैसे कई कार्ड प्रयोग हो रहे हैं, जिन्हें लोग बनवा तो लेते हैं, लेकिन उनकी मृत्यु के बाद अक्सर ये कार्ड बंद नहीं करवाये जाते। इस वजह से फालतू का डेटा एकत्र होता रहता है और इन डॉक्युमेंट्स के दुरुपयोग का खतरा बना रहता है, जबकि पात्र व्यक्तियों तक सुविधाओं का लाभ नहीं पहुंच पाता है। कानून में संशोधन होने के बाद जनगणना के लिए दस साल का इंतजार खत्म हो जायेगा। देश की जनसंख्या की पूरी तस्वीर केंद्र के पास हर महीने पहुंचती रहेगी, जिससे नयी योजनाएं बनाने में सहूलियत होगी।  

अगली जनगणना ई-जनगणना होगी और इसके आधार पर, अगले 25 वर्षों के लिए देश की विकास योजना बनाई जाएंगी। जन्म के बाद, विवरण जनगणना रजिस्टर में जोड़ा जाएगा और उसके 18 वर्ष के होने के बाद, नाम मतदाता सूची में शामिल किया जाएगा और मृत्यु के बाद, नाम हटा दिया जाएगा। ऐसा होने पर नाम-पता बदलवाना भी आसान हो जाएगा। इस साल की शुरुआत में, केंद्र सरकार ने आगामी जनगणना और राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) में ऑनलाइन स्व-गणना की अनुमति देने के लिए नियमों में कुछ संशोधनों की बात कही थी। घोषणा 2020 में की गई थी, लेकिन कोविड के मद्देनजर इसे स्थगित कर दिया गया। केंद्र ने हाल ही में सभी राज्यों के लिए क्षेत्राधिकार में बदलाव की समय सीमा 30 जून, 2022 तक बढ़ा दी थी। पहले यह समय सीमा 31 दिसंबर, 2021 थी। भारत में जनगणना के 140 साल के इतिहास में पहली बार, एक मोबाइल ऐप के माध्यम से डेटा एकत्र करने का प्रस्ताव है। जनगणना अमूल्य सामाजिक-आर्थिक आंकड़े मुहैया कराती है, जो पॉलिसी बनाने के लिए विश्वसनीय आधार बनते है। 

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार व कॉलमिस्ट हैं)