अन्याय के खिलाफ लड़ने की प्रवृत्ति ने रिसर्चर से आईएएस बनाया: अशोक खेमका 

अन्याय के खिलाफ लड़ने की प्रवृत्ति ने रिसर्चर से आईएएस बनाया: अशोक खेमका 
अशोक खेमका। 

-कमलेश भारतीय 
अन्याय के खिलाफ बचपन से ही लड़ने की प्रवृत्ति ने एक रिसर्चर से आईएएस बना दिया । बचपन से ही जहां कहीं अन्याय देखता था , वहीं कूद पड़ता था । इसलिए जिन दिनों मुम्बई में एक इंस्टीट्यूट में रिसर्चर था तो मेरे कजिन ने सलाह दी कि आईएएस करो । यह आपके लिए बेहतर विकल्प होगा जिससे समाज की सेवा भी कर सकोगे और इस तरह आईएएस की और पहली बार में ही सफल रहा । यह कहना है हरियाणा के वरिष्ठ आईएएस अधिकारी और अपने 55 तबादलों से सदैव चर्चा में रहने वाले अशोक खेमका का । वे मूल रूप से राजस्थान के झुंझुनूं के निकट बिसाऊ कस्बे के निवासी हैं लेकिन इनके दादा कोलकात्ता में ट्रांसपोर्ट व दलहन का व्यापार करने आ गये थे । जब दादा जी का निधन हुआ तब पिता जी छोटी उम्र के थे और व्यापार की बजाय नौकरी करने लगे । 
 

-आपकी पढ़ाई लिखाई कहां कहां हुई ?
-बाहरवीं तक की शिक्षा कोलकाता के सेंट जे़वियर्स स्कूल में हुई और फिर आईआईटी खड़गपुर में चार साल पढ़ाई कर स्नातक बना । इसके बाद मुम्बई के टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च में रिसर्चर रहा । वहां शोध कार्य किया । 
-फिर आईएएस में कैसे आए ?
-रिसर्चर जरूर था,‌ लेकिन मन संतुष्ट न था । ऐसे में मेरे कजिन ने सलाह दी कि आईएएस कर लो । इसमें समाज की सेवा भी कर सकोगे तो आईएएस की तैयारी की और पहली ही बार में आईएएस की परीक्षा पास कर ली ।
-हरियाणा में कब आये ?
-सन् 1991 में ट्रेनिंग हुई और सन् 1992 में करनाल से एस्सिसटेंट कमिश्नर के रूप में ट्रेनिंग हुई । 
-पहली पोस्टिंग कहां ?
-सन् 1993 में एसडीएम , नारनौल । फिर कोसली, टोहाना , पिहोवा, एडीसी , रोहतक , हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय में रजिस्ट्रार अंर कुलपति से मतभेद के बाद चंडीगढ़ भेजा गया । फिर हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय व गुरु जम्भेश्वर विश्विद्यालय का रजिस्ट्रार रहा । जींद में एडीसी और फिर न जाने कितने विभाग और कितने शहर ,,,
-कुल कितने ट्रांस्फर हुए होंगे ?
-गिनती तो नहीं लेकिन पचास से पचपन तक तो हुए । गिनती तो कभी नहीं की । ट्रांस्फर होते रहे ।
-सबसे लम्बी पोस्टिंग कहां रही ?
-अभिलेखागार , पुरातत्व और विज्ञान प्रौद्योगिकी जैसे छोटे विभागों में पिछले दस सालों में आठ से ज्यादा साल व्यतीत हुए हैं।
-इन ट्रास्फर्ज पर एक किताब भी तो आई थी ।
-जी । देहरादून की नविता कला व दिल्ली की भवदीप कंग ने संयुक्त रूप से अंग्रेजी में लिखी -just transferred । 
-पिछले कुछ वर्षों में आईएएस में क्रेज कम हो रहा है और जो आईएएस हैं भी वे प्राइवेट संस्थान में जा रहे हैं । ऐसा क्यों ?
-सन् 1995 में जो उदारीकरण की नीतियां आईं उससे प्राइवेट क्षेत्र में अच्छा वेतन मिलने लगा है । इससे आईएएस का या कहिए सिविल सर्विसेज का क्रेज कम हुआ ।
-परिवार के बारे में बताइए ।
-पत्नी ज्योति । दो बेटे हैं -श्रीनाथ और गणेश । श्रीनाथ उच्च न्यायालय में एडवोकेट है। गणेश फिलहाल सिंगापुर में law firm में जाॅब करता है ।
-क्या आपके इतने ट्रांस्फर्ज होने पर पत्नी ने कभी नहीं कहा कि अपने आपमें कुछ बदलाव लाइये ?
-नहीं । ज्योति ने कभी नहीं कहा । हर संघर्ष में , हर ट्रांस्फर पर साथ देती रहीं हैं और बच्चे छोटे थे तो नये नये शहर देखकर खुश हो जाते । ज्योति मेरी बहुत बड़ी शक्ति रही है । मैं जरूर सोचता हूं कि अपनी जिद्द में ऐसा न करता तो उसे ज्यादा कष्ट न सहना पड़ता । फिर सोचता हूं कि यदि जीवन में कष्ट और संघर्ष न हो तो वह जीवन भी क्या जीना हुआ । मैंने अपनी सर्विस में हर स्टेशन पर सौ प्रतिशत दिया ।
-हरियाणा कैसा लगा आपको ? कम से कम तीन दशक तो हो गये यहां ।
-बहुत अच्छा लगा हरियाणा क्योंकि हमारा परिवार शेखावाटी परिवार है जो शाकाहारी है । बंगाल में भाषा की समस्या नहीं थी लेकिन खान पान भिन्न था, जो हरियाणा में बिल्कुल नहीं है । हमारे जैसा ही खानपान और तीज त्योहार । तीज हम भी मनाते हैं और यहां भी खूब मनाया जाता है । फिर मातृभाषा भी हिंदी है । हां , दूध दही यहां ज्यादा खाते हैं और हम कम । 
-रिटायर्मेंट के बाद कहां बसना पसंद करोगे ?
-हरियाणा में ही ।
-फुर्सत में क्या करना पसंद करते हो ?
-रीडिंग और ट्रेवलिंग । फिलासफी की पुस्तकें पढ़नी पसंद हैं । लेकिन मेरी पत्नी ज्योति कथाएं बहुत पसंद करती हैं ।
-आगे क्या लक्ष्य ?
-रिटायर्मेंट के बाद नये तरीके से सोचूंगा । समाज के हित में कोई फैसला लूंगा जिससे समाज के लिए उपयोगी हो सकूं । 
हमारी शुभकामनाएं अशोक खेमका को ।