जूरी मूल्यांकन में सुपवा के डिजाइन छात्रों ने किया रचनात्मकता का प्रदर्शन
हैंडबैग, पर्दे, आभूषण, जूते-चप्पल, परिधान आदि में झलका समकालीन फैशन और पारंपरिक भारतीय डिजाइन का संगम।

रोहतक, गिरीश सैनी। डीएलसी सुपवा के डिज़ाइन संकाय में सम सेमेस्टर जूरी मूल्यांकन के दौरान विद्यार्थियों ने अपनी रचनात्मकता और नवाचार का शानदार प्रदर्शन किया। प्रोडक्ट डिज़ाइन, फैशन एवं लाइफस्टाइल डिज़ाइन तथा टेक्सटाइल एवं फैशन डिजाइन जैसे विभिन्न विभागों के विद्यार्थियों ने अपने पूरे सेमेस्टर की परियोजनाओं को प्रस्तुत किया। यह जूरी 15 मई से प्रारंभ होकर 5 जून 2025 तक जारी रहेगी।
विभागाध्यक्ष, फैशन एवं लाइफस्टाइल डिज़ाइन सतीश रंगा के मार्गदर्शन में विद्यार्थियों ने सतह अलंकरण, हाथ से बुना कार्य, डिज़ाइन प्रक्रिया और नॉन-वोवन तकनीकों जैसे विषयों पर काम किया और हैंडबैग, पर्दे, बेडशीट, तकिए, आभूषण, जूते-चप्पल, परिधान और ड्रेसिंग टेबल जैसी उत्कृष्ट कृतियों का प्रदर्शन किया। इन संग्रहों में समकालीन फैशन की संवेदनशीलता और भारतीय पारंपरिक डिजाइन की सौंदर्यता का सुंदर संगम देखने को मिला।
बाहरी परीक्षक के रूप में सलाहकार डिज़ाइनर, जीईएम पोर्टल, भारत सरकार, आनंद मणि वाजपेयी ने छात्रों की प्रस्तुति का मूल्यांकन मौलिकता, शिल्प कौशल, नवाचार और विपणन योग्यता के आधार पर किया और उभरते हुए डिज़ाइनरों को मूल्यवान सुझाव दिए।
प्रोडक्ट डिज़ाइन विभाग में छठे सेमेस्टर के छात्रों ने घरेलू उपयोग के उत्पादों जैसे बार टेबल, सोफा, कस्टम फर्नीचर और सजावटी वस्तुओं के कार्यात्मक और सौंदर्यपरक प्रोटोटाइप प्रस्तुत किए। इन परियोजनाओं में पैकेजिंग डिजाइन, नवाचार रणनीतियां, मानव सुविधा डिज़ाइन, संचार डिज़ाइन और समग्र डिज़ाइन रणनीति जैसे विभिन्न मॉड्यूल्स पर आधारित कार्य शामिल रहे।
जूरी के उद्देश्य पर प्रकाश डालते हुए डॉ. चिराग राजन ने कहा कि जूरी परीक्षा हमारे शैक्षणिक ढांचे का एक महत्वपूर्ण स्तंभ है, जो छात्रों को उद्योग विशेषज्ञों के समक्ष अपने कार्य प्रस्तुत करने का वास्तविक अनुभव प्रदान करती है। संकाय समन्वयक डॉ. शैली खन्ना ने कहा कि अनुभवी विशेषज्ञों से प्राप्त फीडबैक को समाहित कर यह जूरी छात्रों की व्यावसायिक तैयारी और शैक्षणिक उत्कृष्टता को सुदृढ़ करने का प्रयास करती है।