जीएनडीयू के हिंदी विभाग में विशेष व्याख्यान का आयोजन

जीएनडीयू के हिंदी विभाग में विशेष व्याख्यान का आयोजन

 अमृतसर: गुरु नानक देव विश्वविद्यालय, अमृतसर के हिंदी-विभाग द्वारा विभागीय प्रेमचंद हिन्दी साहित्य परिषद के तत्वावधान में विशेष व्याख्यान का आयोजन किया गया। इस अवसर पर पंजाब फ्रंटियर, सीमा सुरक्षा बल, जालंधर के राजभाषा अनुभाग में निरीक्षक डॉ. बतौर झा बतौर वक्ता उपस्थित थे। हिंदी-विभाग के अध्यक्ष और डीन, भाषा-संकाय प्रो. सुनील कुमार ने वक्ता का परिचय देते हुए अपने स्वागत-उद्बोधन में कहा कि डॉ. बिहारी झा सीमा सुरक्षा बल के राजभाषा अनुभाग में बतौर निरीक्षक कार्यरत हैं। उनकी अनेक कविताएं विभागीय पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुके हैं। वे कई देशभक्ति परक गीतों का लेखन कर चुके हैं जिसमें से चार गीत सीमा सुरक्षा बल के विभागीय यूट्यूब चैनल के माध्यम से प्रसारित किए गये हैं ताकि सरहद पर तैनात प्रहरियों को अपने कर्तव्य के प्रति जागरूक किया जा सके। उनके देशभक्ति गीत-'कितने बहादुर हो सीमा के प्रहरी',गीत गाते हैं आज हम उनके लिए जो शहीद हो गये वतन के लिए','कितना प्यारा वीर प्रहरी तुझको तो मालूम नहीं','कितना वीर प्रहरी हो' खूब लोकप्रिय हैं। उनके दो काव्य-संग्रह 'सरहद के सरताज' और 'इच्छामती की गवाही' प्रकाशित हो चुके हैं। उनके सराहनीय कार्यों के लिए उन्हें दर्जनों प्रशस्ति-पत्र मिल चुके हैं। विभागाध्यक्ष प्रो. सुनील द्वारा विभाग में पहुंचने पर अंगवस्त्र और पौधा भेंटकर डॉ. बिहारी झा का स्वागत किया गया। प्रो. सुनील ने कहा कि विश्वविद्यालय के यशस्वी उप-कुलपति प्रो.(डॉ.) करमजीत सिंह की प्रेरणा और कुशल नेतृत्व में हिंदी विभाग द्वारा निरंतर साहित्यिक गतिविधियों का आयोजन किया जा रहा है। डॉ. बिहारी झा ने अपने संबोधन में भारत सरकार द्वारा हिंदी के उत्थान के लिए बनाई गयी नीतियों और प्रयासों की जानकारी दी तथा सीमा सुरक्षा बल में हिंदी भाषा के माध्यम से किए जाने वाले कार्यों के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि हिंदी में रोजगार की भरपूर संभावनाएं हैं तथा हमें मन से हिंदी के साथ जुड़ना चाहिए। उन्होंने छात्रों को हिंदी में सृजनात्मक लेखन करने की प्रेरणा दी। डॉ. बिहारी झा के व्याख्यान से विद्यार्थियों का भरपूर ज्ञानार्जन हुआ।
 गौरतलब है कि प्रो. सुनील द्वारा हिंदी विभाग में लगातार साहित्यिक, शैक्षणिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है और उनके प्रयासों से देश भर में जीएनडीयू के हिंदी विभाग की अनूठी पहचान बन रही है। इस अवसर पर हिंदी विभाग के अध्यापक और शोधार्थी उपस्थित रहे।