समाचार विश्लेषण/कभी मोर, कभी तोते यह क्या कौतुक होते?

समाचार विश्लेषण/कभी मोर, कभी तोते यह क्या कौतुक होते?
कमलेश भारतीय।

-कमलेश भारतीय 

आज सबने देखा होगा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को तोतों संग प्यार बरसाते । इससे कुछ समय पहले मोर के साथ ऐसे ही दिखे थे । ये क्या कौतुक है , साहब ? कौन आपका मीडिया सलाहकार है जो ऐसे फोटो जारी कर रहा है ? प्रकृति से और जीवों से प्रेम में कोई बुराई नहीं है । संदेश अच्छा है । जीवों से प्यार करो । मेनका गांधी का काम आप करने लगे । वे तो बेरोजगार ही हो जायेंगी न ? ऐसे तो न कीजिए , साहब । 

कभी देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू बच्चों में बहुत लोकप्रिय थे । हो सकता है उस जमाने के मीडिया सलाहकार ने यह छवि बनाई हो । चाचा नेहरू के कोट में लगे गुलाब के फूल भी ऐसी ही छवि निर्माण में आते हैं । फिर किसी प्रधानमंत्री की ऐसी छवि बनाने की किसी मीडिया सलाहकार ने कोई कोशिश नहीं की । हां , राष्ट्रपति ए पी जे अब्दुल कलाम की छवि बनी । बच्चों के बीच एक प्यारे से व्यक्तित्व की । हिसार छावनी में भी बच्चों के बीच आए थे और उनमें घुल मिल गये थे और मंच छोड़कर उनके बीच पहुंच गये थे । उनकी बातों को बच्चे ध्यान से सुनते रहे थे । वे सचमुच एक श्रेष्ठ शिक्षक थे । उनकी जीवन गाथा भी प्रेरणाप्रद । सपने वे जो आपको सोने नहीं देते । वाह । 

मुझे उनके रामेश्वरम् स्थित आवास को देखने का अवसर मिला । पहली मंजिल पर स्मारक और उसमें उनकी लिखी प्रेरणाप्रद पंक्तियां । कैसे एक अखबार बेचने वाले से लेकर राष्ट्रपति पद तक पहुंचे ।

यह सब लिखने का सिर्फ इतना उद्देश्य कि फोटो ठीक लेकिन दिलों में जगह बनाने की कोशिश भी कीजिए साहब । आपकी फोटो से आपका संदेश दिलों तक पहुंचे । कुछ ऐसा कर्म कीजिए । अब तो मन की बात नहीं दूसरों की दुख तकलीफ भी सुनिए , देखिए और दूर कीजिए । कहा सुना माफ ।