समाचार विश्लेषण/कुछ उलझन, कुछ दुविधा, क्या करूं?

समाचार विश्लेषण/कुछ उलझन, कुछ दुविधा, क्या करूं?
कमलेश भारतीय।

-कमलेश भारतीय 

कुछ उलझन में हूं , कुछ दुविधा में ।  समझने की कोशिश कर रहा हूं कि आखिर सुशांत ने क्या किया था या उसके साथ क्या हुआ था । आरूषि तलवार की तरह मीडिया ट्रायल में यह मामला बुरी तरह फंसता चला गया और अब परिवारजन भी हैरान-परेशान हैं । यह क्या हुआ ? एम्स ने कैसे इसे आत्महत्या ही बताया । सुशांत से चलता चलता यह मामला कहां से कहां ड्रग माफिया तक पहुंचा लेकिन वहां भी कुछ पक्का नहीं कि दीपिका सिगरेट ही पीती थी या गांजा किसी और के लिए मंगवाती थी या सिर्फ डींग मारने के लिए ऐसा करती थी । साफ नहीं हुआ पर बदनामी तो हो गयी ।

इधर हाथरस गये हर नेता को पुलिस स्वागत् में आगे खड़ी मिलती है । फिर चाहे वह राहुल गांधी या प्रियंका गांधी हो या फिर जयंत चौधरी । सबको लाठीचार्ज का स्वाद चखाया योगी जी की पुलिस ने । अब कह रहे हैं कि बहुत बड़े दंगों की योजना थी । हाथरस के बहाने । मोदी जी और योगी जी निशाना पर थे । राम कृपा हुई बाल बाल बच गये । बड़ा शोर रहा दिन भर । अब हाथरस से भाजपा ने सबक लिया और चली राजस्थान की ओर कि वहां भी तो रेप हुआ है । बेटियां बांट लीं क्या ? हाथरस वाली बेटी कांग्रेस की चिंता और राजस्थान वाली बेटी भाजपा की चिंता । किसी और प्रदेश की और चिंता जैसे चैनल वालों ने विषय बांट लिए । एक चैनल को सिवाय सुशांत के किसी की चिंता नहीं दूसरे चैनल पर योगी मोदी को बचाने की चिंता । इन पर आंच न आ जाए कोई । कमाल है । सारा तंत्र ही जंतर मंतर बनता जा रहा है । कोई कहां से बच कर निकले । 

किसानों की चिंता इतनी सता रही है कि विरोध करने पर लाठियां खानी पड़ रही हैं । कोई ट्रैक्टर पर निकल रहा है तो किसी स्मृति की नजर सोफे पर जाती है कि राहुल तो वीआईपी किसान है जो सोफे पर बैठकर विरोध करने निकले हैं । स्मृति जी कहीं से चूड़ियां लाना भूल गयीं क्या ? जैसे अपने हरियाणा भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष ओमप्रकाश  धनखड़ भूल गये कि वे अर्द्ध नग्न होकर किसानों के लिए प्रदर्शन किया करते थे । अब सब राम राज आ गया तो भूल गये किसान को । ऐसे ही है राजनीति । कोई किसी की बेटी, तो किसी की कोई बेटी । किसी का कब किसान तो किसी का अब किसान । सब बंटा हुआ है । म्यूजिकल चेयर रेस है । बहुत उलझन है । आपको भी है या मुझे ही है? बताइएगा ।