संस्कृत सिर्फ भाषा नहीं अपितु संस्कृति, विज्ञान, तार्किक क्षमता और अन्य भाषाओं की प्राण भी हैः डॉ. अमरजीत शास्त्री

संस्कृत सिर्फ भाषा नहीं अपितु संस्कृति, विज्ञान, तार्किक क्षमता और अन्य भाषाओं की प्राण भी हैः डॉ. अमरजीत शास्त्री

रोहतक, गिरीश सैनी। महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय के संस्कृत, पालि एवं प्राकृत विभाग में करियर काउंसलिंग एवं प्लेसमेंट सेल की ओर से आयोजित विशेष व्याख्यान कार्यक्रम में अमेरिका के योग शिक्षक और पौरिहित्य कर्म विशेषज्ञ एवं संस्कृत विभाग के एलुमनी डॉ. अमरजीत शास्त्री ने बतौर विशिष्ट वक्ता वैश्विक स्तर पर संस्कृत एवं योग की बढ़ती उपयोगिता पर विशेष प्रकाश डाला।

डॉ. अमरजीत शास्त्री ने कहा कि संस्कृत का एक समृद्ध इतिहास और परंपरा है और यह भारत और व्यापक दुनिया की सांस्कृतिक विरासत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। उन्होंने कहा कि संस्कृत भाषा से ही विश्व की अनेक भाषाओं की उत्पत्ति हुई है। विश्व की अधिकांश भाषाओं में संस्कृत भाषा के शब्द मिश्रित हैं। दुनिया की 97 प्रतिशत भाषाएं प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से संस्कृत से प्रभावित हैं। उन्होंने कहा कि यह अकेली ऐसी भाषा है, जिसे बोलने में जीभ की सभी संवेदिकाओं का इस्तेमाल होता है। संस्कृत सिर्फ भाषा नहीं अपितु संस्कृति, विज्ञान, तार्किक क्षमता और अन्य भाषाओं की प्राण भी है। उन्होंने वैश्विक स्तर पर संस्कृत में रोजगार की अपार संभावनाओं से परिचित कराया।

करियर काउंसलिंग एवं प्लेसमेंट सेल के विभागीय समन्वयक डॉ. श्रीभगवान ने स्वागत भाषण प्रस्तुत किया तथा इस कार्यक्रम का समन्वय किया। सेवानिवृत प्रोफेसर डॉ. बलवीर आचार्य ने इस कार्यक्रम की अध्यक्षता की। डॉ. सुषमा नारा ने धन्यवाद प्रस्ताव प्रस्तुत किया। इस मौके पर संस्कृत विभाग के शोधार्थी एवं विद्यार्थी मौजूद रहे।