यूक्रेन पर रूसी हमले से भारत में महंगाई बढ़ना तय

बढ़ते वैश्विक तनाव और यूक्रेन में आक्रमण के खतरे के कारण तेल की कीमतों में उछाल आया है। तेल और गैस की कीमतों में वृद्धि का सीधा संबंध खाद्य पदार्थों के दामों से होता है।

यूक्रेन पर रूसी हमले से भारत में महंगाई बढ़ना तय

पांच राज्यों में चुनाव को देखते हुए केंद्र सरकार ने पेट्रोल व डीजल के दामों में वृद्धि को दो माह से स्थिर करके रखा था, जो अब और अधिक उछाल के साथ बढ़ना तय है। सामान्य स्थिति में भी दाम बढ़ते ही बढ़ते, लेकिन यूक्रेन पर रूसी हमले के बाद तो लोगों की जेब पर अच्छी खासी चपत लगने वाली है। कारण यह कि रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध से वैश्विक स्तर पर कच्चे तेल के दाम यकायक बढ़ गए हैं। इससे पेट्रोलियम पदार्थों की कीमतों में वृद्धि होना अवश्यंभावी है। इससे भारत की बढ़ती मुद्रास्फीति के लिए और जोखिम पैदा हो सकता है। भारत अपनी आवश्यकता का 80 प्रतिशत से अधिक कच्चा तेल आयात करता है। भारत के कुल आयात में कच्चे तेल आयात का हिस्सा लगभग 25 प्रतिशत है। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन द्वारा यूक्रेन में दोनेत्सक और लुहांस्क में अपने सैनिकों को तैनात करने के बाद, कच्चे तेल की कीमतें मंगलवार को ही 96.7 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गईं, जो सितंबर 2014 के बाद से उच्चतम अंक है।
 
बढ़ते वैश्विक तनाव और यूक्रेन में आक्रमण के खतरे के कारण तेल की कीमतों में उछाल आया है। तेल और गैस की कीमतों में वृद्धि का सीधा संबंध खाद्य पदार्थों के दामों से होता है। चूंकि माल को एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुंचाना महंगा हो जाएगा तो बाकी सब कुछ महंगा होना भी निश्चित है। भारत हर साल करीब 150 अरब डॉलर का कच्चा तेल इम्पोर्ट करता है। इस कारण से देश का व्यापार संतुलन बिगड़ सकता है। पेट्रोलियम पदार्थों के अलावा, रूस और यूक्रेन सूरजमुखी के तेल का बड़े पैमाने पर एक्सपोर्ट करते हैं और गेहूं के निर्यात में भी दोनों देशों की हिस्सेदारी 25 प्रतिशत है। इससे एशिया और खास कर भारत पर फर्क पड़ना पक्का है। युद्ध से उपजी महंगाई का असर रूस और यूक्रेन पर ही नहीं, पूरी दुनिया पर पड़ेगा। भारत की महंगाई पर तो इसका असर पड़ना ही पड़ना है।
 
कोरोना ने पहले ही दुनिया को तंग करके रख दिया था, अब यह युद्ध की मुसीबत आ गई। वैसे भारत में कोरोना की तीसरी लहर के बावजूद, इस साल का पहला महीना नौकरी रोजगार और भर्तियों के मामले में अच्छा रहा। जॉबस्पीक इंडेक्स के अनुसार, जनवरी में भर्तियों में सालाना आधार  पर 41 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज हुई। पिछले साल जनवरी में यह इंडेक्स 1925 पर था, जो इस साल 2,716 पर पहुंच गया। भर्तियों में तेजी के लिए जो सेक्टर कारगर साबित हुए उनमें आईटी, सॉफ्टवेयर, रिटेल और टेलीकॉम प्रमुख हैं। इसके साथ ही, दवा उद्योग में यह वृद्धि 29 प्रतिशत, चिकित्सा व स्वास्थ्य सेवा में 10 प्रतिशत, तेल व गैस में 8 प्रतिशत, बीमा में 8 प्रतिशत, तीव्र खपत वाले उपभोक्ता वस्तुओं में 7 प्रतिशत और मैन्युफेक्चरिंग में 2 प्रतिशत रही। जनवरी माह में एफएमसीजी की बिक्री दिसंबर 2021 की तुलना में 10 प्रतिशत कम हो गई। ऐसा ओमिक्रॉन के कारण आई तीसरी लहर के चलते हुआ। रिटेल इंटेलिजेंस पर नजर रखने वाले प्लेटफॉर्म – बिजोम के अनुसार, जनवरी माह में प्रति एक्टिव किराना स्टोर की बिक्री में 5 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई। हालांकि, कोरोना की तीसरी लहर अब उतार की ओर है, ऐसे में माना जा रहा है कि फरवरी की रिपोर्ट तीसरी लहर से पहले वाले स्तर पर पहुंच जाएगी।

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार व कॉलमिस्ट हैं)