प्रशादम (मां की रसोई) शुरू

साधु भी भूखा न जाये, यह हमारी प्राचीन सभ्यता : ब्रहमकुमारी अनिता

प्रशादम (मां की रसोई) शुरू

-कमलेश भारतीय
हिसार : यह हमारी बहुत प्राचीन सभ्यता हैं कि घर आया कोई अतिथि यानी साधु भूखा न जाये। यह कहना है ब्रहमकुमारी अनिता का। ‌वे सेक्टर चौदह स्थित कम्युनिटी सेंटर के सामने शाॅपिंग काम्पलेक्स में प्रशादम( मांं की रसोई) का दीप प्रज्ज्वलन करने के बाद उपस्थित जनसमूह को संबोधित कर रही थीं। उनके साथ ब्रहमकुमारी रमेश ने भी दीप प्रज्ज्वलित किया। बहन अनिता ने कहा कि समाज में पैसे की कमी नहीं है, कमी है तो गरीब व्यक्ति को सम्मान देने की । यह प्रशादम दस रूपये में गरीब व्यक्ति को सम्मानपूर्वक भोजन उपलब्ध करवाने जा रही है, यह बहुत खुशी की बात है । कार्यक्रम की शुरुआत में राधेश्याम आर्य की देखरेख में हवन भी किया गया है। 

इससे पूर्व राकेश अग्रवाल ने प्रशादम का विचार स्पष्ट करते बताया कि इसके लिए व्यवस्थापक पंकज को एक ही दिन में, एक ही बैठक में पच्चीस वरिष्ठ व सम्मानित लोगों ने एक एक लाख रुपये देने की घोषणा की और यहां ग्यारह हज़ार रुपये में सवा मणि भी लगाई जा सकेगी। अग्रवाल ने कहा कि अन्नदान सबसे बड़ा दान है और यह हिसार ही है जहां एक अच्छे मिशन के लिए एक ही दिन में पच्चीस लाख रुपये एकत्रित हो जाते हैं। प्रशादम का समय दिन में साढ़े ग्यारह बजे से लेकर दोपहर अढ़ाई बजे तक रहेगा । यह हिसार जिला ही है जहां तीन सौ गौशालाएं है जबकि शेष जिलों में तीन सौ गौशालाएं हैं। 

इस अवसर पर अनिल जैन टीनू, सुनीता रहेजा, राखी जोशी, मनीष जोशी, त्रिलोक बंसल, विवेक,  वेद प्रकाश आर्टिस्ट, सिकंदर, चेतना, कविता अग्रवाल, अर्चना ठकराल, विकास ठकराल, सुनीता रहेजा, राजकुमार गोयल, कृष्ण ऐरन, मुकुंद, अजय, प्रदीप गर्ग आदि मौजूद रहे।