समाचार विश्लेषण/राजनीति भी सर्कस, पांच साल शो

समाचार विश्लेषण/राजनीति भी सर्कस, पांच साल शो
कमलेश भारतीय।

-*कमलेश भारतीय 
आज जब समाचारपत्रों में नेताओं की बयानबाजी पढ़ रहा था तब लगा कि हां , बाबू ! यह राजनीति भी सर्कस है , शो पांच साल का ! अब अगले पांच साल के शो के लिये सभी दलों ने कमर कस ली है । सभी दल चुनाव की तैयारियों में पूरी तरह डूब गये हैं । जहां कांग्रेस की हाथ से हाथ जोड़ो अभियान से भारत जोड़ो यात्रा से मिले जोश को बरकरार रखने की कोशिश है , वहीं इनेलो परिवर्तन यात्रा के सहारे चल रही है तो भाजपा पन्ना प्रमुखों की बैठकें ले रही है । जहां कांग्रेस के प्रभारी शक्ति सिह गोहिल बदल दिये गये वहीं भाजपा प्रभारी विप्लव देब मुख्यमंत्री के जनसंवाद से भी ज्यादा संवाद रचा रहे हैं । आप जींद में अरविंद केजरीवाल और भगवान मान के रोड शो से लोकसभा चुनाव की तैयारियों के संकेत दे गयी । 
इसी बीच विप्लव देब के बयान ने हरियाणा मे भाजपा जजपा गठबंधन में थोड़ी दरार पैदा कर दी जब कहा कि उचाना से तो उनकी दीदी प्रेमलता ही विधायक बनेंगीं ! इस बयान ने जजपा के संरक्षक अजय चौटाला की शांति भंग कर दी और वे बोले कि जो वहां से चालीस हजार के अंतर से जीता वही वहां से चुनाव लड़ेगा ! जो होना है सो हो । दुष्यंत चौटाला कल हिसार में ही थे जब गठबंधन पर सवाल किया तब जवाब आया कि यह मीडिया की उपज है । मैं तो गठबंधन जोड़ने में लगा हूं और मीडिया इसे तोड़ने में कोई कसर नहीं छोड़ रहा । जजपा के लिये अच्छी खबर यह कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने भी कहा कि गठबंधन चलता रहेगा जबकि आप के सांसद सुशील गुप्ता का कहना है कि आम जनता का ध्यान भटकाने के लिये भाजपा और जजपा गठबंधन टूटने जुड़ने या बने रहने के बयान दे रहे हैं यानी ये बयानबाजी नही राजनीतिक कलाबाजी कही जा सकती है ! इसीलिये कहा कि सर्कस है बाबू यह राजनीति और शो है पांच साल का ! इसमें कई रोचक आइटम प्रस्तुत होते रहते हैं  जैसे मुख्यमंत्री ने चुटकी ली कि एक सज्जन इस्तीफा दे गये और हम ढूंढ रहे हैं उन्हें ! साफ इशारा शाहाबाद से जजपा विधायक और शूगरफैड चेयरमैन रामकरण काला की ओर है ! इन्होंने कुरूक्षेत्र/शाहाबाद में किसानों पर हुए लाठीचार्ज के विरोध मे दुष्यंत चौटाला को इस्तीफे की पेशकश की थी पर दिया नहीं ! यह कोई कलाबाजी से कम है क्या ! इनेलो के विधायक अभय चौटाला हों या महम के विधायक बलराज कुंडू राज्यसभा चुनाव में इनकी बयानबाजी भी कम नहीं थी और फिर भी इनके जो भी कदम थे उससे फायदा भाजपा को मिला और कार्तिकेय शर्मा चुनाव जीत गये ! कभी हरियाणा में राज्यसभा चुनाव के दौरान स्याही कांड होता है तो कभी आत्मा की आवाज सुनाई देने लगती है ! 
भाई ! राजनीति किसी सर्कस जैसे खेल से कम खेल नही दिखाती । दलबदल की जैसी कलाबाजी होती है वैसी तो सर्कस के कलाकार भी नहीं दिखा पाते ! इसीलिए तो हरियाणा आयाराम गयाराम की राजनीति का जनक है ! जय हो राजनीतिक सर्कस की ! 
हां बाबू ! यह सर्कस है , शो पांच साल का ! 
-*पूर्व उपाध्यक्ष, हरियाणा ग्रंथ अकादमी ।