दोनों आंखों से देख पाने का अवसर: विनोद मेहता

दोनों आंखों से देख पाने का अवसर: विनोद मेहता
विनोद मेहता।

-कमलेश भारतीय।
मुझे पहले स्वतंत्र पत्रकार और फिर प्रिंसिपल मीडिया सलाहकार तक बनने से यह अवसर मिला कि मैं दोनों आंखों से सारे परिदृश्य को देख व समझ सकता हूं । यह कहना है हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के प्रिंसिपल मीडिया सलाहकार विनोद मेहता का। वे मूल रूप से सिरसा के निकट गांव नटार के निवासी हैं और मिडल तक वहीं से शिक्षा पाई । इसके बाद सिरसा के नेशनल काॅलेज से ग्रेजुएशन की ।

-समाचारों की दुनिया से कब और कैसे जुड़े ?
-बचपन से । जब नवीं कक्षा में था तब पहली बार खबर लिखनी शुरू की जो सिरसा के पाक्षिक 'परत दर परत' में छपी । 
-फिर ?
-नवभारत टाइम्स व हिंदुस्तान से जुड़ा  । 
-फिर इलेक्ट्रानिक मीडिया में कैसे?
-सन् 2005 में टोटल टीवी लांच किया । सन् 2011 में अपने शेयर निकाल लिये ।
-फिर ?
-फिर बनाई 'जनमत-रिसर्च एंड सोल्यूशन' जिसके सर्वे बिल्कुल सटीक निकले और विश्वसनीयता बढ़ती गयी । 
-पहले भी मीडिया में कोई पद संभाला?
-जी । पूर्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला  के समय अतिरिक्त प्रेस सचिव, दिल्ली का ।
-इस तरह स्वतंत्र पत्रकार से प्रिंसिपल  मीडिया सलाहकार की भूमिका के बारे में क्या अनुभव?
-मैं दोनों आंखों से देख सकता हूं । पत्रकार के  अनुभव के तौर पर भी देख सकता हूं और सरकार की दृष्टि से सुझाव भी दे सकता हूं । 
-एक मीडिया सलाहकार के क्या कर्त्तव्य? 
-जो जनता के लिए पाॅजिटिव हो । उसे जनता को बताना और विपक्ष के हमलों का जवाब देना होता है। 
-यूट्यूबर्ज मीडिया के क्षेत्र में बहुत आ रहे हैं । इनके बारे में क्या कहोगे ?
-मैं इन्हें अन-गाइडेड मिसाइल कहूंगा । जैसे प्रिंट मीडिया के नियमन के लिए आर.इन.आई है और टी.वी मीडिया के लिए सूचना प्रसारण मंत्रालय की एक कमेटी बनी हुई है, वैसे ही इनके लिए भी कुछ नियम कायदे कानून होने चाहिएं । इन लोगों को पत्रकारिता का प्रशिक्षण लेकर ही फील्ड में आना चाहिए। 
-सोशल मीडिया और यूट्यूबर्ज में क्या फर्क ?
-असल में सोशल मीडिया और रिपोर्टिंग में बहुत फर्क है, लेकिन हमारे यूट्यूबर्ज इसमें कोई फर्क नहीं रखते । यह बहुत बड़ी  त्रासदी है। सोशल मीडिया क्षेत्र में काम करने वाले दो तरह के लोग हैं, एक तो वो जो घटना का मौके से विवरण देते हैं या विश्लेषण करते हैं। लेकिन दूसरा  बहुत बड़ा वर्ग ऐसा पैदा हुआ है, जो पत्रकारिता के मामले में अशिक्षित है और गैर-प्रशिक्षित भी है। वह किसी भी विशेष कारण से या 'लाभ' के लिए न सिर्फ एजेंडा चला रहा है, बल्कि उसने एक तरफा पोजीशन ले रखी है। 
 इस फर्क को समझना बहुत जरूरी है । जनता को भी इस फर्क को जानना बहुत जरूरी है। 
-अभी सरकार ने इतिहासकार के.सी यादव की स्मृति में पुरस्कार की घोषणा की है । यह सही श्रद्धांजलि है ?
-बिल्कुल।  इससे दूसरों को भी इस क्षेत्र में काम करने की प्रेरणा मिलेगी । 
-आपको कोई पुरस्कार/सम्मान?
- मेरी संस्था जनमत की ओर से किये गये सर्वे सन् 2009 से ही सटीक निकले हैं और वैसी ही सरकारें बनीं , यह मेरे लिए किसी बड़े सम्मान से कम नहीं ।
हमारी शुभकामनाएं, विनोद मेहता को ।