कोरोना समाचारो के विश्लेषण, उसके प्रभाव एवं प्रेरक प्रसंग युक्त समाचारो की प्रस्तुति की आवश्यकता पर ऑनलाइन परिचर्चा का आयोजन

टीआरपी के दौड़ देश हित हेतु कदापि नहीं है, पत्रकारिता समस्या केंद्रित न होकर समाधान केंद्रित होनी चाहिए: के जी सुरेश 

कोरोना समाचारो के विश्लेषण, उसके प्रभाव एवं प्रेरक प्रसंग युक्त समाचारो की प्रस्तुति की आवश्यकता पर ऑनलाइन परिचर्चा का आयोजन

निष्पक्ष पत्रकारिता पर विशेष बल देने की आवश्यकता है: संतोष कुमार 

नयी दिल्ली:  वर्तमान महामारी को ध्यान में रखकर  “वर्तमान परिदृश्य में मानवीय संवेदनाये और लोक कल्याण के सन्दर्भ में मीडिया की भूमिका" के विषय पर नारद संचार द्वारा एक ऑनलाइन परिचर्चा का आयोजन किया गया , परिचर्चा में  भारतीय जनसंचार संस्थान के पूर्व डीजी  केजी सुरेश , रामनाथ गोयनका अवार्डी  संतोष कुमार,  दैनिक हिंदुस्तान के ब्यूरो चीफ मदन जैरा,  हिंदुस्तान, पूर्व प्रेजिडेंट आल इंडिया बार कौंसिल डॉ आदीश सी अग्रवाल ने भाग लिया।  

कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए  केजी सुरेश ने कहा "  कोरोना योद्धाओ की अग्रिम पंक्ति के  सूत्रकार की  इस महामारी के जागरूकता के  सन्दर्भ में अहम् भूमिका रही है, मीडिया द्वारा वर्तमान समय में इसे राजनैतिक रंग देने के बजाय एक आम सहमति से पुरे देश व समाज को कोरोना से लड़ना चाहिए। वर्तमान परिदृश्य में मानवीय संवेदनाये के सन्दर्भ में मीडिया शिक्षण और सुचना की भूमिका महत्वपूर्ण होती  है जो उसके प्रभाव एवं प्रेरक प्रसंग युक्त समाचारो की प्रस्तुति से  लोगो में महामारी के दौरान उससे लड़ने का सम्बल देता है  जिससे पलायन रूपी महामारी को रोका जा सकता है,  साथ ही उन्होंने सोशल मीडिया  के सन्दर्भ में फेक न्यूज़ एवं सिटीजन जर्नलिस्ट का संकल्पना को कही भी उचित नहीं ठहराया जा सकता ।"

 संतोष कुमार का कहना है " कोरोना मीडिया पत्रकारों की लिए फील्ड और मैनेजमेंट दोनों रूप से भयावह है, पत्रकार दबाव में है  और पत्रकारों के सामाजिक सुरक्षा के लिए कोई ठोस पहल नहीं हो रही है, पत्रकारिता का उदेश्य केवल लाभ हानि तक ही सीमित रह गया है आज मीडिया दो भागो में बंटा हुआ है जिसे  खुद के लिए उदाहरण  बनने की जरुरत है और निष्पक्ष पत्रकारिता पर विशेष बल देने की आवश्यकता है।  

मदन जैरा ने कहा कि करोना जैसी वैश्विक बीमारी में मीडिया ने एक बहुत ही सराहनिए तरिके से काम किया है।उन्होंने बताया कि मीडिया ना ही सिर्फ़ छोटे तबके की आवाज़ बना बल्कि उन्होंने इस वैश्विक बीमारी कि जागरूकता का भी संचालन बहुत ही अच्छी तरह से किया जिसे कि लोगों में किसी भी तरिके से इस बीमारी की कोई भी गलत सूचना प्राप्त ना हो।

डॉ आदीश सी अग्रवाल ने मीडिया हाउस द्वारा हटाए जा रहे मीडिया बंधुओ पर सरकार द्वारा जारी आदेशों  का हवाला देते हुए कहा की  सभी संस्थाएं  इस समय अपने कर्मचारियों पर मानवीय मूल्यों पर आधारित हर संभव मदद करे  अथवा इस सम्बन्ध क़ानून रूप से उन्हें बाध्य होना पड़ेगा।