समाचार विश्लेषण/यही मर्जी मेरे सैय्याद की है?

समाचार विश्लेषण/यही मर्जी मेरे सैय्याद की है?
कमलेश भारतीय।

-*कमलेश भारतीय 
महिला कोच और खेलमंत्री का मामला लगातार सुलग रहा है , इस ठंड के दिनों में भी और सरकार है कि इसे गंभीरता से नहीं ले रही । यह धब्बा दिन प्रतिदिन गहरा होता जा रहा है । यदि गंभीरता होती तो यह न कहा जाता कि केवल अनर्गल आरोप लगाने से कोई दोषी नहीं हो जाता । बिना जांच कोई दोषी नहीं हो जाता ! बात कुछ ठीक और कुछ नहीं । अनर्गल आरोप तो न कहिए जब जांच ही नहीं हुई अभी तक । आरोप हैं और आरोपों की जांच भी कमाल ! आठ घंटे तक महिला कोच से पूछताछ और मोबाइल लिया गया कब्जे में और खेलमंत्री से कोई पूछताछ नहीं । ऐसा लगता है कि सारा कसूर महिला कोच का ही है जो इस मामले को तूल दे रही है वर्ना तो  करोड़पति बनने का ऑफर मिल रहा है कि विदेश चली जाओ , हर माह अकाउंट में करोड़पति बना दी जाओगी ! अब यह कितना सच है ? यह बात भी छन छन कर आ रही है कि हरियाणा पुलिस महिला कोच पर समझौते के लिए दबाब बना रही है । जहां ट्रांस्फर किया , वहां सिंथेटिक ट्रैक भी नहीं ! वहां कोई पद भी खाली नहीं यानी महिला कोच के लिए क्रियेट किया गया पद ! 
क्या यही न्याय पथ है ? जिस प्रदेश में हमारे प्रधानमंत्री ने पानीपत आकर बेटी बचाओ , बेटी पढ़ाओ का नारा दिया , उसी प्रदेश में बेटी की बजाय मंत्री को बचाने की कोशिश जारी है । किसे बचाना है और किसे नहीं ? पहले भी ऐसा ही हुआ था । भरे खुले दरबार में  फतेहाबाद में एक महिला एसपी के लिए कहा गया कि या तुम रहोगी या मैं और महिला एसपी का तबादला हो गया था और मंत्री महोदय शान से आते रहे , एसपी जाती रही ! 
सभी विपक्षी दल इस पर बयान बाजी कर रहे हैं लेकिन अभी तक महिला आयोग के कान पर जूं नहीं रेंगीं ! कुम्भकर्णी नींद किसे कहते हैं ? समझना मुश्किल नहीं । महिला कांग्रेस का प्रतिनिधिमंडल मिला और हालात बयान कर चुका और आप की महिला इकाई थाली बजा कर न्याय की गुहार करने वाली है । नेता प्रतिपक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा , अभय चौटाला सबके सब न्याय की मांग और जांच की मांग कर रहे हैं लेकिन खेलमंत्री से पूछताछ कब होगी ? यह एकपक्षीय पूछताछ क्यों और कब तक ? खेल विभाग ही छोड़ा , मंत्रीपद तो नहीं ! फिर जांच प्रभावित होगी कि नहीं ? सबको दिखे कि सरकार न्याय करने जा रही है और इसका हर कदम इस दिशा में होना चाहिए । इन हालात में या पंजाब व हरियाणा हाईकोर्ट खुद इस प्रकरण का संज्ञान ले लगेगा कि न्याय मंदिर अभी जाग रहा है ।
कहीं ऐसा तो नहीं कि
घुट घुट के मर जाऊं 
यही मर्जी मेरे सैय्याद की है ?
-*पूर्व उपाध्यक्ष, हरियाणा ग्रंथ अकादमी ।