समाचार विश्लेषण/हरियाणा में राजनीतिज्ञों की नयी पीढ़ी 

समाचार विश्लेषण/हरियाणा में राजनीतिज्ञों की नयी पीढ़ी 
कमलेश भारतीय।

-*कमलेश भारतीय 
मुझे हरियाणा में रहते रहते पच्चीस वर्ष हो गये हैं । जब आया था तब तीनों लालों का बोलबाला था । यह बात आम कही जाती थी कि परिणाम कुछ भी हो लेकिन हरियाणा का मुख्यमंत्री कोई न कोई लाल ही होगा यानी चौ देवलाल , चौ भजनलाल या चौ बंसीलाल । और ये बनते भी रहे । चौ देवलाल ने अचानक गाड़ी रोककर लोगों का हालचाल जानने की शुरूआत की । वृद्धावस्था पेंशन की शुरूआत की । चौ बंसीलाल विकास पुरूष कहलाये क्योंकि गांव गांव तक बिजली और सड़क पहुंचाने को प्राथमिकता दी । चौ भजन लाल ने गैर जाट राजनीति को आधार बनाया । 

अब इनके बाध नयी पीढ़ी इनकी देखरेख में ही पनपी । चौ बंसीलाल के बेटे सुरेंद्र सिंह , चौ देवीलाल के बेटे ओमप्रकाश चौटाला , रणजीत सिंह , प्रताप चौटाला तो चौ भजनलाल के बेटे चंद्रमोहन व कुलदीप इनके होते होते सक्रिय हुए तो साथ साथ अजय चौटाला , अभय चौटाला , शमशेर सिंह सुरजेवाला के बेटे रणदीप सुरजेवाला भी मैदान में उतर आये । चौ रणबीर सिंह के बेटे भूपेंद्र सिंह और अब इनके बेटे दीपेंद्र सिंह भी राजनीति में आ गये ।
अजय व अभय हालात के चलते आज अलग अलग हैं । इसी तरह चंद्रमोहन अपनी राजनीतिक हवा फिजां के प्रेम में खराब कर बैठे । अब अपने बेटे सिद्धार्थ के लिए टिकट मांगते हैं तो कुलदीप बिश्नोई अपने बेटे भव्य को लोकसभा चुनाव में उतार चुके जबकि जमानत जब्त हुई । अजय चौटाला की जेलयात्रा के बाद दुष्यंत चौटाला और दिग्विजय चौटाला ने जननायक जनता पार्टी बनाई । अभय के बेटे अर्जुन भी अब सक्रिय हो चुके हैं । रणदीप सुरजेवाला पहले युवा कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे तो आजकल कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता व मीडिया संभाल रहे हैं । कभी लालों की मुख्यमंत्री बनने की दौड़ होती थी । फिर भिवानी में लोकसभा का एक रोचक मुकाबला हुआ था जिसमें न केवल सुरेंद्र सिह बल्कि अजय चौटाला और कुलदीप बिश्नोई सीधे चुनाव लड़े थे । कुलदीप को जीत मिली । हिसार लोकसभा क्षेत्र से जब कुलदीप को दुष्यंत ने हराया था तब कहा गया था कि पिता अजय की हार का बदला ले लिया । अभी हिसार लोकसभा क्षेत्र से चौ बीरेन्द्र सिंह के आईएएस बेटे बृजेंद्र सिंह सांसद हैं जिनके मुकाबले भव्य बिश्नोई की जमानत जब्त हुई । भव्य अपनी राजनीतिक पारी जीत के साथ शुरू न कर पाये । 

इस तरह अभी जो कांग्रेस की मैराथन बैठक दिल्ली में हुई उसमें दो लाल फिर टकराये यानी दीपेंद्र हुड्डा और कुलदीप बिश्नोई । अपनी अपनी वकालत कि कौन सी राजनीति सही है । जाट या गैर जाट की या फिर परिवारवाद से हटकर ? दोनों ने बैठक के बाद से जनता के बीच नये सिरे से जाना शुरू किया । कुलदीप ने करनाल चुना है तो दीपेंद्र ने झज्जर । वैसे दीपेंद्र ने लोगों बीच लगातार जाने की रणनीति अपनायी हुई है । सारे हरियाणा में कहीं न कहीं प्रोग्राम चलते रहते हैं जबकि कुलदीप को देखने के लिए अपने चुनाव क्षेत्र मंडी आदमपुर के लोग ही तरस जाते हैं । फिर बीच में अचानक आते हैं कुलदीप और कुछेक कार्यक्रम कर गायब हो जाते हैं । दुष्यंत चौटाला , रणदीप सुरजेवाला , अभय , अजय , यहां तक कि चिरंजीव भी गतिविधियो में दिखते रहते हैं । पूर्व मंत्री शिवचरण शर्मा के विधायक बेटे नीरज शर्मा भी चर्चा में रहते हैं ।

इन लालों के पुत्र पौत्रों के चलते हरियाणा की राजनीति परिवारवाद से बाहर नहीं निकल रही । इधर आप पार्टी को पंजाब में सफलता मिलने के बाद से सभी दलों की परेशानी बढ़ गयी है और इसे देखते ही कांग्रेस की मैराथन बैठक हुई थी लेकिन जब तक सही व सक्रिय युवा के हाथ में कमान न दी गयी तब तक यह मैराथन बेकार ही साबित होगी । कांग्रेस को फिर एक बार सोचना होगा ।

-*पूर्व उपाध्यक्ष, हरियाणा ग्रंथ अकादमी ।