करियर ऐसा चुनें कि काम का पता ही न चले

पत्रकारिता के अपने शुरुआती कुछ वर्षों में मेरा मन अपने काम में इस कदर रम गया था कि लगता था – कमाल है, मैं तो अपना शौक पूरा कर रहा हूं और ये अखबार हैं कि हमें हर महीने पैसा भी देते हैं। यह आनंद है अपने पैशन को फॉलो करने का या अपनी पसंद का काम करने का।

करियर ऐसा चुनें कि काम का पता ही न चले

पत्रकारिता के अपने शुरुआती कुछ वर्षों में मेरा मन अपने काम में इस कदर रम गया था कि लगता था – कमाल है, मैं तो अपना शौक पूरा कर रहा हूं और ये अखबार हैं कि हमें हर महीने पैसा भी देते हैं। यह आनंद है अपने पैशन को फॉलो करने का या अपनी पसंद का काम करने का। बाद के वर्षों में, यहां तक कि अभी भी खबरें लिखना, लेख व कॉलम लिखना और कंटेंट तैयार करना ही मेरा प्रिय काम है, जिसे मैं पूरे मन से करता हूं और एंजॉय करता हूं। करियर के बारे में कहा जाता है कि व्यक्ति यदि अपनी पसंद का काम करे तो उसे कभी छुट्टी लेने की जरूरत ही नहीं पड़ती और न ही थकान महसूस होती है। वह तरक्की की सीढ़ियां चढ़ता जाएगा। लेकिन यदि कोई यह सोचे कि उसके जो शौक हैं उन सबको कैरियर बनाया जा सकता है तो यहां पर एक बात ध्यान देने की है कि हर शौक को करियर नहीं बनाया जा सकता। हार्वर्ड स्कूल के प्रोफेसर जॉन जैशिमोविक्ज कहते हैं कि जरूरी नहीं कि जो आपका शौक है वह आपका करियर भी बन जाएगा और आप उसमें कामयाब भी हो जाएंगे।

हो सकता है आप जिस चीज का शौक रखते हैं उससे जुड़ी हुई जो दूसरी आवश्यकताएं हैं उनके बारे में आप इतने तैयार न हों, या उन चीजों को पसंद ही न करते हों। उदाहरण के लिए आपको कुकिंग पसंद है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि आप एक अच्छे शेफ भी हो सकते हैं, क्योंकि एक शेफ को बहुत तरह का प्रेशर झेलना पड़ता है, बहुत परिश्रम करना पड़ता है, और किचिन में काफी वक्त बिताना पड़ता है। हो सकता है आप उस तरह का प्रेशर ना झेल पाएं और वह करियर आपके लिए सिरदर्द साबित हो। इसलिए अपने कुछ शौकों को शौक ही रहने देना चाहिए। जरूरी नहीं कि आप हर शौक को करियर में तब्दील कर सकें। सोशल मीडिया और इंटरनेट के आने के बाद दुनिया इतनी तेजी से बदली है कि कामकाज के अनेक तरह के मौके अब युवाओं के सामने हैं जिनके बारे में उनके माता-पिता उतना अधिक नहीं जानते। ऐसे में वे बच्चों को सही सलाह नहीं दे पा रहे हैं। यह समस्या पूरी दुनिया में ही महसूस की जा रही है।

पेरेंट्स इस बात को स्वीकार करते हैं कि उन्हें आजकल के नई किस्म के कामधंधों के बारे में उतनी अधिक जानकारी नहीं है कि वह बच्चों को गाइड कर सकें। अगर प्रतिशत की बात करें तो 75% पेरेंट्स ऐसा महसूस करते हैं कि तेजी से बदलते जॉब मार्केट में बच्चों को सही करियर सलाह देना उनके लिए असंभव होता जा रहा है। नई पीढ़ी में बहुत सी कमियां हो सकती हैं, लेकिन खूबियां भी कम नहीं होतीं। आज के दौर में जो कुछ तरक्की हो रही है और नई से नई टैक्नोलॉजी आ रही है, उसके पीछे नई पीढ़ी की नई सोच ही है। गूगल यानी अल्फाबेट के सीईओ सुंदर पिचई युवाओं की इस खूबी से बड़े प्रभावित हैं और कहते हैं कि नई पीढ़ी ही दुनिया में बदलावों की अगुवाई कर रही है। गूगल में युवा कर्मचारियों की अधिकता है और वहां सकारात्मक सोच वाला वातावरण है, जहां सिर्फ इस पर बात होती है कि क्या-क्या संभव है।

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार व कॉलमिस्ट हैं)