रेडियो सुनने का जो मज़ा पहाड़ों पर है वो और कहां

भारत में रेडियो प्रसारण 1922 में शुरू हुआ

रेडियो सुनने का जो मज़ा पहाड़ों पर है वो और कहां

गर्मियों की छुट्‌टी हो या दिवाली का त्यौहार, गांव जाने से पहले एक बक्से में हमारा फिलिप्स का बड़ा सा रेडियो रखा जाता था, जो एवरेडी की एक विशेष लाल रंग की बैटरी से चलता था। वैसी बैटरी बाद में कहीं और देखने को नहीं मिली। न ही बड़े आकार का रेडियो अब कहीं दिखता है। पूरा गांव बड़े कौतूहल से हमारे रेडियों को देखता सुनता था। सोचता हूं कहीं से पुराना रेडियो मिल जाए तो उसी पर सुनूं सुबह 8 बजे और रात 9 बजे के समाचार। यह आकाशवाणी है अब आप देवकीनंदन पांडेय से समाचार सुनिए। आकाशवाणी पर समाचार सुनाने का यह सालों पुराना अंदाज आज भी मौजूद है। प्रथम एशियाई खेलों की खबरें सुनने के लिए मैंने बाकायदा एक पॉकेट रेडियो खरीदा था, जो कई साल मेरे पास रहा। आज विश्व रेडियो दिवस पर रेडियो से जुड़ी तमाम यादें मन में हिलोरें मार रही हैं।
रेडियो आज भी अच्छा लगता है, लेकिन रेडियो एफएम के बोरा भर विज्ञापन और कोलाहल सुनकर मन परेशान हो जाता है। यह फ्लैट खरीदो, वो कार ले लो, शॉपिंग कर लो, पका देते हैं भाई विज्ञापनों से। आकाशवाणी इस मामले में अच्छा है कि उस पर फालतू के विज्ञापन नहीं आते। पहाड़ों पर रेडियो सुनने का अपना ही आनंद है। पुराने गाने सुनते हुए लगता है जैसे पहाड़ी के उस पार कहीं स्टूडियो है, जहां लता मंगेशकर और मोहम्मद रफी बैठे रिकॉर्डिंग कर रहे हैं। विश्व रेडियो दिवस 2022 की थीम है - रेडियो और भरोसा। विभिन्न अंतरराष्ट्रीय रिपोर्टों के अनुसार, रेडियो संचार के सबसे शक्तिशाली, भरोसेमंद और सुलभ माध्यमों में से एक है, खासकर आम जनता तक पहुंचने के लिए। प्रधानमंत्री मोदी के मन की बात कार्यक्रम ने आकाशवाणी और रेडियो के महत्व को और बढ़ा दिया। संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) के सदस्य देशों ने पहली बार 2011 में विश्व रेडियो दिवस की घोषणा की थी। बाद में इस दिन को  2012 में संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा अंतर्राष्ट्रीय दिवस के रूप में अपनाया गया था।
भारत में रेडियो प्रसारण 1922 में शुरू हुआ। ऑल इंडिया रेडियो  1936 से प्रसारण पर हावी रहा है। ऑल इंडिया रेडियो को आधिकारिक तौर पर 1956 से आकाशवाणी के रूप में जाना जाता है। यह दुनिया का सबसे बड़ा रेडियो नेटवर्क है, और दुनिया में सबसे बड़े प्रसारण संगठनों में से एक है, जो प्रसारित होने वाली भाषाओं की संख्या और सामाजिक-आर्थिक व सांस्कृतिक विविधता के गुलदस्ते के रूप में कार्य करता है। ऑल इंडिया रेडियो की होम सर्विस में देश भर में स्थित 420 स्टेशन शामिल हैं, जो देश के लगभग 92 प्रतिशत क्षेत्रफल और कुल जनसंख्या के 99.19 प्रतिशत तक पहुंचते हैं। ऑल इंडिया रेडियो 23 भाषाओं और 179 बोलियों में प्रोग्रामिंग की शुरुआत करता है। दिसंबर 2002 में, भारत सरकार ने आईआईटी व आईआईएम सहित अच्छी तरह से स्थापित शैक्षणिक संस्थानों को सामुदायिक रेडियो स्टेशनों की स्थापना के लिए लाइसेंस देने की नीति को मंजूरी दी। वर्तमान में भारत में 262 सामुदायिक रेडियो स्टेशन हैं जो किसान, आदिवासी, तटीय समुदायों, जातीय अल्पसंख्यकों और विशेष हितों की सेवा करते हैं। साल 2001 में रेडियो क्षेत्र में प्राइवेट सेक्टर को एंट्री दी गई। रेडियो सिटी बैंगलोर भारत का पहला निजी एफएम रेडियो स्टेशन है। वर्तमान में, भारत के 107 शहरों में 371 निजी एफएम स्टेशन संचालित हैं।

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार व कॉलमिस्ट हैं)