साहित्यिक डगर पर चलती रहूं, बस इतना ही अरमान है: ममता किरण 

साहित्यिक डगर पर चलती रहूं, बस इतना ही अरमान है: ममता किरण 
ममता किरण।

-कमलेश भारतीय 
गुरुग्राम निवासी प्रसिद्ध रचनाकार ममता किरण का कहना है कि दो चार दिन कुछ नया न लिख पाऊं तो बेचैनी सी हो जाती है । मूल रूप से कानपुर की रहने वाली ममता किरण के पिता छोटी आयु में ही चल बसे तो मां ने खुद पढ़ाई कर उनकी जगह नौकरी कर पांच भाई बहनों को पढ़ाया । इस तरह संघर्ष से जीवन शुरू हुआ लेकिन उन्नीस वर्ष की आयु में लक्ष्मी शंकर वाजपेयी से शादी के बाद पढ़ाई पूरी की और अच्छी अच्छी किताबें पढ़ने और लिखने का शौक पूरा किया जो धीरे धीरे जीवन का हिस्सा ही बन गया । देश भर के अनेक प्रतिष्ठित काव्य सम्मेलनों, मुशायरों व साहित्य उत्सवों में भागीदारी। आई  सी सी आर के संयोजन में कई देशों में प्रतिनिधि भारतीय कवि के रुप में कविता पाठ। इनकी ग़ज़लें सुप्रसिद्ध गायकों द्वारा गायी गयी हैं और उनकी सीडी भी निकली हैं। रेडियो में अनुबंध के आधार पर पैनल में समाचारवाचिका,कार्यक्रम प्रस्तुतकर्ता व उद्घोषिका हैं। अनेक साहित्यिक व सांस्कृतिक सम्मेलनों का संचालन किया।

-कहां कहां पढ़ाई की ?
-कानपुर के पूर्णा देवी खन्ना गर्ल्स इंटर काॅलेज और ग्रेजुएशन किया पी पी एन डिग्री काॅलेज से । अभी रिजल्ट आया भी नहीं था जब शादी हो गयी और वाजपेयी जी के साथ ग्वालियर चली गयी । वहीं एम ए अर्थशास्त्र किया जीवाजी विश्वविद्यालय से । इसी बीच बिटिया गीतिका हमारी  ज़िंदगी में आई । 
-आगे ?
-बीकानेर आकाशवाणी ट्रांस्फर हुआ वाजपेयी जी का तो हमारी जिंदगी में बेटा गीत आया । फिर अल्मोड़ा रहे । इसके बाद दिल्ली आए तो फिर हम नहीं गये कहीं भी । वाजपेयी जी ही जम्मू  और बाद में बाड़मेर गये । 
-साहित्य में रूचि कब से ?
-बचपन से ही । साहित्य व सांस्कृतिक कार्यक्रमों में रूचि रही । 
-पत्रकारिता में कैसे ?
-दिल्ली आई तो फ्रीलांसिंग शुरू की । हिंदुस्तान और नवभारत टाइम्स में बहुत कुछ लिखा छपा । नौकरी की राष्ट्रीय सहारा में , फिर जे वी जी टाइम्स में फीचर संपादक । कुछ समय पंजाब केसरी और शाह टाइम्स में भी । अब पूर्णतया फ्रीलांसर । सिटी चैनल में भी काम किया ।
- इसके अतिरिक्त?
-दूरदर्शन व आकाशवाणी के लिए अनेक कार्यक्रम व दस्तावेजी कार्यक्रम लिखे जिनमें से एक को अंतरराष्ट्रीय सम्मान मिला।  
-कितनी पुस्तकें ?
-तीन । वृक्ष था हरा भरा -काव्य संग्रह और आंगन का शजर गज़ल संग्रह ।समकालीन लोकप्रिय कवियत्री (संपादक बालस्वरूप राही)।
-पुरस्कार /सम्मान?
-संसद में राष्ट्र भाषा गौरव सम्मान, कोटा में भारतेंदु हरिश्चंद्र सम्मान तो 'वृक्ष था हरा भरा' को राजेंद्र वोहरा स्मृति पुरस्कार सहित अनेक पुरस्कार। 
भारतीय उच्चायोग लंदन द्वारा सम्मान। 
-लक्ष्य ?
-बस साहित्यिक डगर पर चलती रहूं इतना ही अरमान है । 
हमारी शुभकामनाएं ममता किरण को ।