सुरों के सरताज , नहीं रहे जसराज

सुरों के सरताज , नहीं रहे जसराज
कमलेश भारतीय।

-कमलेश भारतीय 
जब से हिसार आया तब से पंडित जसराज जी का जिक्र सुनता आया । फिर इनकी बेटी दुर्गा जसराज एक बार हिसार कुछ समय के लिए ब्लू वर्ल्ड में रुकीं तब इस परिवार के किसी सदस्य को मिलने का अवसर मिला । लगभग दो वर्ष पूर्व हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा की जनक्रांति रथयात्रा में फतेहाबाद की यात्रा में जाने का अवसर मिला तब गांवों में पीलीमंदोरी गांव भी आया । सच कहता हूं कि मैं रथयात्रा का रोमांच भूल गया और पंडित जसराज को याद करने लगा । कुछेक गांव वालों से पूछा भी । खुशी हुई कि गांव वाले अपने इस अंतरराष्ट्रीय सपूत को जानते ही नहीं गर्व भी कर रहे थे । आज भी गर्व होगा लेकिन आंखों में अश्रुओं के साथ । पंडित जी का मकान तो नहीं देख पाया क्योंकि फिर लौटता कैसे ? पर यह आज महसूस हुआ कि उनके चरण जिस धरती पर पड़े उसका नमन मैंने किया था । फिर कभी जाना चाहते भी जाना नहीं हुआ । फतेहाबाद पहले हिसार का ही हिस्सा था । बाद में सन् 1997 की चौदह जुलाई को ही अलग जिला बना । इसलिए पंडित जी पहले हिसार के ही थे । अब तो सारे संगीत की दुनिया के हो चुके थे । इनके परिवार में ही सुलक्षणा पंडित , विजयेता पंडित , दुर्गा जसराज और अशोक पंडित हैं जो अलग अलग क्षेत्रों में सक्रिय रह कर परिवार का नाम रोशन कर रहे हैं । सुलक्षणा और विजयेता तो फिल्मों में भी आईं । पंडित जी के परिवार में चार पीढ़ियों से संगीत की रसधार बहती आ रही थी । पंडित जी ने मेवाती घराने से सीख कर परिवार ही नहीं , प्रदेश ही नहीं बल्कि देश का गौरव बढ़ाया । वे कभी कभार गांव भी आए और सुना है कि वीडियो पर लाइव अपना गांव भी देखा । इससे यह पता चलता है कि विदेश में जाने और इतनी ऊंचाई पर पहुंचने के बावजूद वे अपनी जड़ों से और मिट्टी की खुशबू से जुड़े थे । यह सबसे अच्छी बात है । अब जिला फतेहाबाद ही नहीं बल्कि हरियाणा सरकार की जिम्मेवारी है कि अपने इस सपूत की स्मृति बनाये रखे । संगीतकार आत्मा से गाते हैं जैसा कि तानसेन ने अकबर को बताया था जब वे उनके गुरु का गान सुन कर आये थे । तब तानसेन ने बताया था कि गुरु इसलिए मुझसे बढ़िया गाते हैं क्योंकि वे परमात्मा के लिए गाते हैं जबकि मैं बादशाह के लिए गाते हूं । पंडित जी आत्मा से परमात्मा को संगीत से जगाते थे । ऐसे सुर सम्राट को विनम्र श्रद्धांजलि ।