स्वामी शैलेंद्र सरस्वती से कमलेश भारतीय की इंटरव्यू

मेडिसन से मेडिटेशन तक कैसे?

स्वामी शैलेंद्र सरस्वती से कमलेश भारतीय की इंटरव्यू

मनोरोग के क्षेत्र में मेडिकल साइंस बिल्कुल असफल ।
स्वामी शैलेंद्र ने बताया कि विश्व के अंदर मनोरोगी के लिए मेडिसन तो बनीं लेकिन वह इतनी कारगर साबित नहीं हुई और इस क्षेत्र में कोई आशाजनक प्रगति भी नहीं हुई। सैकड़ों मनोरोग की दवाइयां खोज ली गईं लेकिन परिणाम शून्य रहा। स्वामी शैलेंद्र का मानना है कि दवाइयों के द्वारा नकारात्मक विचार को ठीक नहीं किया जा सकता। मनोरोग के क्षेत्र में मेडिकल साइंस बिल्कुल असफल रही है। शरीर की बीमारियों को तो मेडिसन के द्वारा ठीक किया जा सकता है लेकिन मनोरोगी  तो मेडिटेशन के द्वारा ही ठीक होगा।

तनाव बढ़ने के कारण ?
दिमाग के अंदर जितनी सूचनाएं व परेशानियां हैं उससे बढ़ रहा है तनाव, खोपड़ी पड़ रही है छोटी

ओशो का ध्यान भिन्न कैसे ?
ओशो का ध्यान परंपरागत ध्यान से कैसे भिन्न है इस के संदर्भ में ओशो शैलेंद्र ने बताया कि वर्तमान समय में दिमाग के अंदर जितनी सूचनाएं व परेशानियां हैं उससे तनाव बढ़ रहा है। खोपड़ी छोटी पड़ रही है। लोग सो नहीं पा रहे हैं। नशीले द्रव्यों का सेवन करने की आदत बढ़ रही है। ओशो का ध्यान साधना व सद्भावनाओं का विकास है, होश व प्रेम है। भावना व चेतना है। योग और भक्ति है। संकल्प व समर्पण है। यदि मन में भरे दमित भाग को हम शून्य कर लेंगे तभी हम शांत हो पाएंगे। तभी हम ध्यान कर पाएंगे यही ओशो का मूल मंत्र है।

बड़े भाई ओशो से क्या मंत्र मिला ?
जब बड़े भाई ओशो से मिले जीवन मंत्र के बारे में पूछा तो बोले कि उनसे ध्यान पाया और पाया यह मंत्र कि भीड़ के पीछे नहीं चलना। अपना जीवन अपने ढंग से जीना। ओशो शैलेंद्र मूल रूप से जबलपुर के निकट गांव गाडरवारा के निवासी हैं। वे ओशो से चौबीस साल छोटे हैं। जबलपुर मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस तक पढ़ाई की और गोल्ड मेडलिस्ट छात्र रहें। फिर कम से कम तेरह साल डॉक्टरी की। हिसार में मा सांची और स्वामी संजय के निमंत्रण पर तीन सप्ताह के लिए नेपाल से आए हैं।

-नेपाल में पहले भी रहे?
-सन् 1999 से नेपाल में ही हैं।
-फिर हरियाणा के मुरथल में कब तक रहे ?
-सन् 2005 से 2019 तक ।
-आपने ओशो से दीक्षा कब ली थी ?
-जब दसवीं कक्षा में पढ़ रहा था ।
फिर आपका क्या नाम बदला ?
-नहीं क्योंकि शैलेंद्र शेखर नाम भी ओशो का ही दिया हुआ था । बस । शैलेंद्र रह गया ।
-ओशो पर इतना वाद विवाद क्यों होता रहा ?
-जब कोई मौलिक बात कहता है तो वाद विवाद होता ही है । यदि परंपरागत या रूढ़िवादी बात करें तो कोई विवाद नहीं होता ।
-ओशो की पुस्तक संभोग से समाधि की ओर पर विवाद क्यों हुआ ?
– यदि ध्यान दिया जाए तो सोचिए कि संभोग से समाधि की ओर का मतलब कि संभोग से हटाना है । जैसे गरीबी से अमीरों की ओर । जैसे काम से राम की ओर । जैसे वासना से प्रार्थना की ओर ।
-यह भी कहा जाता है कि ओशो अमीरों के गुरु हैं । ऐसा क्या ?
-देखिए इंसान यदि भूखा हो तो उसे रोटी चाहिए न कि योग ध्यान । तीन तरह की जरूरतें होती हैं -शारीरिक , भावनात्मक और मानसिक । पहले रोटी , कपड़ा और मकान चाहिए । फिर संगीत , कविता और नाटक चाहिए और सबसे बाद में चाहिए ध्यान । संयोग से यह बहुत अमीर बन जाने के बाद आता है । इसलिए कहा जाता है कि ओशो अमीरों के गुरु हैं । भूखे को यदि रवींद्रनाथ टैगोर की गीतांजलि दें तो वह नहीं पढ़ेगा । बुद्ध  और  महावीर भी राजकुमार ही थे । उन्हें चिंता सताई ध्यान की । भूखे को ब्रह्म से क्या लेना ?
– आपने क्या मंत्र लिया बड़े भाई ओशो से ?
-भीड़ के पीछे नहीं चलना । अपना जीवन अपनी मर्जी से जीना । शांति पाने का प्रयास करते रहना और हर पल उत्सव की तरह जीना ।
-आपकी कितनी पुस्तकें हैं ?
-तीस से ज्यादा ।
-ओशो से कितनी अलग ?
-कहने का अंदाज अलग । भाव ओशो से अलग नहीं ।
-ओशो के तो बहुत से फिल्मी सितारे अनुयायी थे । आपके भी हैं ?
-जी नहीं ।
-हिसार के बाद कहां ?
-छह देशों की यात्रा पर निकलेंगे-नेपाल , वर्मा , इंग्लैंड, यूएसए, कनाडा और आस्ट्रेलिया ।