भारंगम में स्पेन के  माइक्रओपेरा  द्वारा एक संगीतमय मोनोड्रामा का अंतर्राष्ट्रीय मंचन

भारंगम में स्पेन के  माइक्रओपेरा  द्वारा एक संगीतमय मोनोड्रामा का अंतर्राष्ट्रीय मंचन

नई दिल्ली, 9 फरवरी 2025: राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय (एनएसडी) के भारत रंग महोत्सव 2025 के तेरहवें दिन स्पेन के एक और अंतर्राष्ट्रीय प्रदर्शन के साथ-साथ भारतभर से प्रस्तुत किए गए अन्य प्रभावशाली नाटकों की शानदार प्रस्तुति हुई।

स्पेन के माइक्रओपेरा ने ज़ेलिया लानास्पा द्वारा लिखित एक अनोखा नाटक ‘लिरिक ड्रैगनफ्लाई’ का मंचन किया। यह नाटक लिरिकल वॉयस नामक एक ऐसे सहायक की कहानी बयान करता है, जो स्वभाव से संकोची होने के बावजूद एक प्रसिद्ध और व्यस्त टेनर की अनुपस्थिति में, अचानक उनकी जगह लेने के लिए मजबूर हो जाता है।अपनी इस अप्रत्याशित यात्रा के दौरान, वह आत्म-खोज के एक गहन अनुभव से गुजरता है। इस प्रक्रिया में, लिंग की पारंपरिक सीमाएँ धुंधली हो जाती हैं, और संगीत की शक्ति के माध्यम से वह एक परिवर्तनकारी यात्रा का अनुभव करता है, जो उसे अपनी पहचान को नए सिरे से परिभाषित करने के लिए प्रेरित करती है।ज़ेलिया लानास्पा के साथ मिलकर अमपारो नोगुएस ने इस नाटक का प्रभावशाली निर्देशन किया था, जिसे अभिनमंच के मंच पर प्रस्तुत किया गया, जिसने दर्शकों को एक यादगार और विचारोत्तेजक अनुभव प्रदान किया।

नेशनल सेंटर फॉर द परफोर्मिंग आर्ट्स (एनसीपीए) ने ‘कालगितुरा’ का मंचन किया। यह नाटक पारसुल, महाराष्ट्र की पृष्ठभूमि पर आधारित है और कालगितुरा, पुराण-प्रेरित कथाओं को गाने की 700 वर्ष पुरानी लोक परंपरा के पुनर्जागरण को दर्शाता है। नाटक में दिखाया गया कि कैसे ग्रामीण इस विलुप्त होती कला को पुनर्जीवित करने के लिए प्रयासरत हैं। इस नाटक को दत्ता पाटिल ने लिखा था, इसका निर्देशन सचिन शिंदे ने किया, और इसे श्रीराम केंद्र में प्रस्तुत किया गया।

कैनमास (ओडिशा) ने ‘निःसंग नायक’ का मंचन किया, जिसे शैलेश्वर नंदा ने लिखा है। यह नाटक कविचंद्र कालिचरण पट्टनायक के जीवन और योगदान को प्रस्तुत करता है, जिसमें उनके द्वारा ओडिशी नृत्य, संगीत, रंगमंच और प्रारंभिक ओड़िया सिनेमा के विकास में निभाई गई महत्वपूर्ण भूमिका को उजागर किया गया है। यह नाटक उनके व्यक्तिगत और पेशेवर संघर्षों के बावजूद उनकी उपलब्धियों को दर्शाता है। इस नाटक का निर्देशन नारायण मिश्रा ने किया था और इसे लिटिल थियेटर ग्रुप ऑडिटोरियम में प्रस्तुत किया गया।

राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय (एनएसडी) के 2024 के स्नातक छात्रों ने ‘ऑन द सरफेस’ का मंचन किया। यह नाटक सारा अबूबकर की कृतियों ‘युद्ध’ और ‘हाय राम’ पर आधारित है। ‘ऑन द सरफेस’ युद्ध के पुरुषों, महिलाओं और बच्चों पर पड़ने वाले क्रूर प्रभाव को उजागर करता है, जो मानव की नाजुकता और नैतिक जिम्मेदारी पर एक सशक्त कथा बुनता है। इस नाटक का निर्देशन श्रुति वी. ने किया था और इसे बहुमुख में प्रस्तुत किया गया।

मंडली टॉकीज (महाराष्ट्र) ने ‘मिडिल क्लास ड्रीम ऑफ़ अ समर’स नाइट’ का मंचन किया। यह नाटक शेक्सपियर के ‘अ मिडसमर नाइट्स ड्रीम’ की एक आधुनिक भारतीय पुनर्कल्पना है, जिसमें शेक्सपियरियन जादू को भारतीय सांस्कृतिक हास्य, विविध उच्चारणों और एक मध्यवर्गीय परिवेश के साथ जोड़ा गया है। इस नाटक का रूपांतरण और निर्देशन अमितोष नागपाल ने किया था, और इसे कमानी में प्रस्तुत किया गया।

सभी प्रस्तुतियों के बाद दर्शकों को ‘मीट द डायरेक्टर’ सत्र में भाग लेने का अवसर मिला, जहां उन्होंने निर्देशकों, कलाकारों और तकनीकी दल के साथ प्रस्तुति प्रक्रिया पर खुली चर्चा की।

नुक्कड़ नाटकों की विविधतापूर्ण प्रस्तुतियों ने दर्शकों को सामाजिक मुद्दों पर सोचने के लिए विवश किया। सत्यवती कॉलेज की 'साइलेंट शैडोज़', डॉ. बी.आर. अंबेडकर विश्वविद्यालय की 'बीप', और रुक्मिणी देवी इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस्ड स्टडीज की 'ये बच्चों का खेल नहीं' ने अपनी सशक्त प्रस्तुतियों से दर्शकों को प्रभावित किया। हिंदू कॉलेज के नुक्कड़ नाटक ने बॉडी डिस्मॉर्फिक डिसऑर्डर जैसे संवेदनशील विषय पर प्रकाश डालकर एक महत्वपूर्ण संदेश दिया। ओपन स्टेज पर भी प्रभावशाली प्रस्तुतियां देखने को मिलीं। रेणु पाल, विकास गर्ग, सुनीता और आलोक के समूह ने 'स्कल्प्टर-स्कल्प्चर' की मनमोहक प्रस्तुति दी। बाल कलाकार कृपा बिजल्वान और सपना मिश्रा ने अपनी नृत्य कला से सभी का मन मोह लिया। कवि आर.के. गणेश ने अपनी ओजपूर्ण कविता पाठ से दर्शकों को रसविभोर कर दिया। तिलिस्म एंसेंबल की कव्वाली ने कार्यक्रम का शानदार समापन किया, जिससे 'अद्वितीय – दिवस 13' सभी के लिए एक अविस्मरणीय अनुभव बन गया।