बुकर पुरस्कार मिलने से बढ़ गया अनुवाद का महत्व

बीते सप्ताह अनुवाद का बोलबाला रहा। ग्लोबल विलेज बनती जा रही दुनिया में अनुवाद का महत्व तेजी से बढ़ रहा है। अनुवाद की बदौलत ही, पहली बार हिंदी के एक उपन्यास को इंटरनेशनल बुकर पुरस्कार मिला है।

बुकर पुरस्कार मिलने से बढ़ गया अनुवाद का महत्व

बीते सप्ताह अनुवाद का बोलबाला रहा। ग्लोबल विलेज बनती जा रही दुनिया में अनुवाद का महत्व तेजी से बढ़ रहा है। अनुवाद की बदौलत ही, पहली बार हिंदी के एक उपन्यास को इंटरनेशनल बुकर पुरस्कार मिला है। गीतांजलि श्री के उपन्यास - रेत समाधि के अंग्रेजी अनुवाद को अंतर्राष्ट्रीय बुकर पुरस्कार मिला है जिससे एक बार फिर अनुवाद की महत्ता सिद्ध हुई है। कुछ ऐसा ही दक्षिण भारतीय फिल्मों के साथ हो रहा है। एसवीपी, केजीएफ और आरआरआर जैसी दक्षिण भारतीय फिल्मों को पूरे भारत में दर्शकों ने बहुत पसंद किया है, जबकि इसी अवधि में रिलीज हुई बॉलीवुड की फिल्में – जर्सी, जयेश भाई जोरदार, हीरोपंती और रनवे 34 को बॉक्स ऑफिस पर असफलता मिली। भारत की विभिन्न क्षेत्रीय भाषाओं के साहित्य का भी हिंदी व अंग्रेजी में अनुवाद होना चाहिए। इसी तरह से हिंदी के साहित्य का क्षेत्रीय भाषाओं में अनुवाद होना चाहिए। इससे देश की एकता और अखंडता को बल मिलेगा, और पूरे देश के नागरिक एक-दूसरे प्रांत की संस्कृति, कला और विचारों से अवगत हो सकेंगे। इसके अलावा अंतर्राष्ट्रीय भाषाओं के हिंदी व अंग्रेजी अनुवाद को भी बढ़ावा दिया जाना चाहिए।

 

उत्तर प्रदेश आबादी के लिहाज से देश का सबसे बड़ा राज्य है। जब इसकी आबादी अधिक है तो जाहिर है प्रदेश की कानून व्यवस्था को संभालना एक बड़ी चुनौती होगी। महिलाओं के प्रति अपराधों को कम किया जा सके, इसके लिए राज्य सरकार ने में महिलाओं के कामकाज को लेकर एक नया नियम बनाया है। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने शाम 7 बजे से सुबह 6 बजे तक महिलाओं की ड्यूटी न लगाने का निर्देश जारी किया है। यह नियम सरकारी और प्राइवेट सेक्टर दोनों ही तरह की कंपनियों पर लागू होगा। योगी सरकार ने इसके आदेश जारी करते हुए यह भी कहा है कि अगर किन्ही परिस्थितियों में महिला कर्मचारी की नाइट ड्यूटी लगानी पड़े तो पहले उस महिला से अनुमति लेना जरूरी है। बिना पूर्व अनुमति के ड्यूटी लगाई गई तो सीधी कार्रवाई की जाएगी। महिला अधिकारों के पक्षधर इसे महिलाओं के समान अधिकारों का हनन कह सकते हैं, लेकिन अपराधों पर अंकुश के लिए कुछ न कुछ उपाय तो करने ही होंगे।

 

सड़कों पर गाड़ियों का जाम लगना आम बात है, लेकिन अब पता लगा है कि अंतरिक्ष में भी इस तरह के जाम लगने लगे हैं। इतने अधिक सैटेलाइट अंतरिक्ष में भेजे जा चुके हैं कि जाम की स्थिति बन गई है। इसका नुकसान यह हुआ है कि रात में यदि ग्रह-नक्षत्रों को देखने की कोशिश की जाए तो वे ठीक से नजर नहीं आते, क्योंकि सेटेलाइट इस कदर चमकते हैं कि रोशनी की लंबी कतार दिखाई देती है। इससे वैज्ञानिकों को डेटा जुटाने में दिक्कत हो रही है।

 

तकनीक और इंटरनेट का चलन बढ़ते जाने से रोजगार की कमी हो रही है। भारत की समस्या अन्य देशों से थोड़ी अलग है। विश्व बैंक के एक पूर्व अधिकारी का कहना है कि भारत में 24 प्रतिशत युवा बेरोजगार बैठे हैं और यह आंकड़ा दुनिया में सर्वाधिक है। रोजगार में कमी का एक बड़ा कारण यह भी है कि पारंपरिक शिक्षा ग्रहण करने वाले या बीए-एमए जैसी सामान्य डिग्रियां लेने वाले युवाओं में जरूरी स्किल्स का अभाव होता है। उनमें वो काबिलियत नहीं होती जो इंडस्ट्री को चाहिए। इस कारण से उद्योग चाह कर भी बहुत से युवाओं को रोजगार नहीं दे पाते हैं। केंद्र सरकार के तहत ही करीब आठ लाख पद खाली पड़े हैं, राज्यों में भी कुछ ऐसी ही स्थिति है। इनमें अधिकांश पद शिक्षकों और आशा वर्कर्स आदि के हैं। इन पदों को भरने से रोजगार बढ़ेगा। साथ ही युवाओं को रोजगार परक शिक्षा देने और ऐसी ट्रेनिंग देने की पहल की जानी चाहिए कि वे सीधे इंडस्ट्रीज ज्वाइन कर सकें और अपने साथ-साथ देश का भी कल्याण कर सकें।

 

ई-कॉमर्स वेबसाइटों से खरीदारी का चलन बढ़ा है। कोरोना काल में यह एक जरूरत बना और फिर एक आदत। लोग इन वेबसाइटों पर अक्सर दूसरों के रिव्यू पढ़ने के बाद वस्तुएं या सेवाएं खरीदने का निर्णय लेते हैं। परंतु देखने में यह भी आया है कि बहुत सारे रिव्यू फर्जी होते हैं या गुमराह करने वाले होते हैं। इस तरह की शिकायतें जब सरकार के पास पहुंचीं तो केंद्र सरकार ने सभी हितधारकों को बुलाकर उनके साथ विचार-विमर्श किया। बैठक में कई सारी ई-कॉमर्स कंपनियों ने हिस्सा लिया, जिनमें फ्लिपकार्ट, एमेजॉन, टाटा संस और रिलायंस रिटेल प्रमुख हैं। इसके अलावा वकील, फिक्की, सीआईआई, विश्वविद्यालयों के प्रतिनिधि और उपभोक्ता अधिकारों से जुड़े कार्यकर्ता भी इसमें शामिल हुए। सरकार ने इनसे मिले इनपुट्स के आधार पर एक रणनीति बनाने की तैयारी कर ली है, ताकि फर्जी रिव्यू या समीक्षाओं को रोका जा सके। बैठक में जानकारी दी गई कि फर्जी रिव्यू और भ्रामक सूचनाएं उपभोक्ता संरक्षण कानून 2019 का उल्लंघन हैं।

 

भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद का कहना है कि भारत मंकीपॉक्स से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार है। इससे छोटे बच्चों को ज्यादा खतरा है। हालांकि देश में अभी इस तरह का एक भी मामला सामने नहीं आया है। मंकीपॉक्स संक्रमण कोरोना वायरस से जूझ रहे कई देशों में तेजी से फैला है। मंकीपॉक्स आमतौर पर हल्का वायरल संक्रमण है जो अफ्रीकी देशों में पाया जाता है। अमेरिका व यूरोप समेत 20 देशों में इसके लगभग 200 मामले सामने आए हैं, जिसको लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने चिंता जताई है। डब्ल्यूएचओ ने मंकीपॉक्स को विश्व के लिए एक नया खतरा बताया है। इस बीच, चेन्नई के एक मेडिकल उपकरण निर्माता ने मंकीपॉक्स का पता लगाने के लिए आरटी-पीसीआर आधारित किट बनाने का दावा किया है, जो एक घंटे में बीमारी का पता लगाने में सक्षम है।

 

सड़क एवं परिवहन मंत्रालय की ताजा रिपोर्ट चौंकाने वाली है। वर्ष 2020 में सड़क दुर्घटनाओं को लेकर इस रिपोर्ट में कहा गया है कि सबसे अधिक 65 प्रतिशत सड़क दुर्घटनाएं सीधी-सपाट सड़कों पर हुईं, जबकि गड्ढों वाली सड़कों पर मुश्किल से 1 प्रतिशत दुर्घटनाएं हुईं। इसी तरह, सबसे अधिक दुर्घटनाएं पांच साल तक पुराने वाहनों से हुईं। इसके अलावा, 2020 के दौरान 17 प्रतिशत हादसे ऐसे ड्राइवरों की वजह से हुए जिनके पास ड्राइविंग लाइसेंस था। बिना लाइसेंस वाले और लर्निंग लाइसेंस वाले चालकों से सबसे कम दुर्घटनाएं हुईं। इतना ही नहीं, 2019 की रिपोर्ट में भी यह बात सामने आई थी कि 72 प्रतिशत हादसे अनुभवी ड्राइवरों और ऐसे ड्राइवरों ने किए उनके पास वैध ड्राइविंग लाइसेंस था।

 

(लेखक एक वरिष्ठ पत्रकार एवं कॉलमिस्ट हैं)