कथा संग्रह/एक फीकी सी मुस्कान

कथा संग्रह/एक फीकी सी मुस्कान

यह कथा संग्रह है मेरे मित्र । बाल सखा डाॅ जवाहर धीर आजाद का जो अब आजाद उपनाम नहीं लिखता । हमारी मित्रता का आधार साहित्य ही रहा और खूब मिलना मिलाना । मैं नवांशहर से तो वह फगवाड़ा से । हिंदी मिलाप, वीर प्रताप और पंजाब केसरी में कहानियां आतीं और हम लोगों को लगता कि कोई रण जीत लिया या किला फतह कर लिया । हमारी चर्चा रहती । 

इतने सालों बाद डाॅ जवाहर फिर साहित्य की ओर लौटे । सब ठहराव के बाद । एक फीकी ही मुस्कान उन्हीं दिनों की कहानियां हैं और सचमुच मासूम कहानियां । लेकिन एक विशेषता जो नज़र आई इन कहानियों को पढ़ने के बाद वह है इनकी रवानगी । प्रवाह । कल कल पानी की तरह बहती और साथ बहा वे जातीं कहानियां हैं । जैसे मेरी कहानियों में शिक्षक आ जाता है, वैसे ही जवाहर की कहानियों में डाॅक्टर मौजूद है । उसके बाद और एक गलत आदमी इसके उदाहरण हैं । एक फीकी ही मुस्कान और अन्य कहानियां भी रोचक हैं । प्रवाहमयी हैं । सबसे आधुनिक सोच की कहानी है गुरु जी जो समसामयिक है ।

जवाहर से अगले कथा संग्रह की उम्मीद करते हुए हार्दिक  बधाई देता हूं । जल्दी लिखना चाहता था लेकिन अपने ही शीघ्र प्रकाश्य लघुकथा संकलन में ऐसा उलझा रहा कि कहानियां टुकड़ों में पढ़ी जा सकीं । पर हम जब किसी को किताब भेजते हैं तो एक उत्सुक बच्चे की तरह इसका परीक्षा परिणाम जानना चाहते हैं । जवाहर आपने टाॅप किया है । ए ग्रेड से भी ऊपर में आए हो । यह प्रवाह और रवानगी बहुत ईर्ष्या पैदा करने वाली है ।  यह कलम मुझे दे दे गब्बर ।यह गुण मुझे दे दो यार । बहुत बहुत बधाई । जुग जुग जियो ।

आस्था प्रकाशन और मोहन सपरा को एक सुंदर किताब के प्रकाशन पर बधाई ।
-कमलेश भारतीय