समाचार विश्लेषण/गांधी और गांधी में कितना फर्क?

समाचार विश्लेषण/गांधी और गांधी में कितना फर्क?
कमलेश भारतीय।

-कमलेश भारतीय 

महात्मा गांधी , लालबहादुर शास्त्री के आज जन्मदिन या कहें जयंती । महात्मा बनने में बहुत समय लगा और बहुत बार शांति से आंदोलन किए । इसीलिए गीतकार ने लिखा: 
दे दी हमें आज़ादी बिना खडग, बिना ढाल ।

सत्य के प्रयोग जैसी आत्मकथा में अपने आपको खोल कर रख दिया । हर चेहरा दिखाया । दक्षिण अफ्रीका में रेल से दिया गया एक धक्का उन्हें क्या से क्या बना गया । आखिर गांधी को जिस तरह विदाई दी गयी वह किसी ने कल्पना नहीं की थी । राम , राम करते विदा हो गये । 

आज उनकी जयंती पर हाथरस और बलरामपुर कांड खूब चर्चा में हैं । हाथरस की बेटी से न केवल यौन शोषण किया गया बल्कि जुबान तक काट डाली गयी ताकि किसी को कुछ बताने लायक ही न रहे । पंद्रह दिन ज़िंदगी और मौत से जंग लड़ते लड़ते हाल गयी । पर देखिए अभागी कि अंतिम संस्कार मां अपने मन से न कर पाई -यानी कुमकुम लगाकर । पुलिस की देखरेख में न कोई लकड़ी न कोई ईंधन । बस पेट्रोल डाल कर जला दी गयी । जैसे कभी अंग्रेजों ने शहीद भगत सिंह , सुखदेव और राजगुरु के शव जलाये थे सतलुज के किनारे आधी रात को । सोशल मीडिया में इसे दूसरा बलात्कार माना । किसी के भावना के खिलाफ अंतिम संस्कार भी तो बलात्कार ही हुआ । ऊपर से डी एम महोदय धभकाने पहुंचे कि जैसा बयान हम कह रहे हैं वैसा दो ।ये मीडिया वाले तो कल चले जायेंगे । फिर हमने और आपने ही रहना है । यहां तक भी नहीं । मेडिकल में ऐसी रिपोर्ट बनवाई कि रेप की तो पुष्टि ही नहीं हो रही । लड़की के गले में जो चोट लगी बस उसी के कारण मर गयी । हद है न । वही सुशांत केस से प्रेरणा ले ली कि अपने मन की  पोस्ट मार्टम रिपोर्ट करवा लो ।। न रहेगा बांस और न बजेगी बांसुरी । जब रेप ही नहीं हुआ तो भाई बहन दिल्ली से क्या करने निकले थे हाथरस की ओर । नोएडा पार करते ही  रोक लिए । पैदल चलने लगे तो पुलिस ने धक्का मुक्की कर दी और बताया कि हाथरस में आपके प्रवेश से कानून व्यवस्था बिगड़ने का डर है । जीप में बिठाया और लौटा दिया । 

जब तक कांग्रेस ने हाथरस जाने की घोषणा नहीं की थी तब तक धारा 144 भी नहीं लगाई थी । गांव को क्वारेनटाइन भी नहीं किया था और एसआईटी का गठन भी नहीं किया गया था । रात की रात सब हो गया और नोएडा के हाईवे पर राहुल गांधी और प्रियंका गांधी को रोका गया । इससे पहले भी आपको याद हो कि गोरखपुर जाने पर योगी जी फरमाये थे कि इसे पिकनिक स्पाॅट न बनाओ । यदि यूपी में कहीं भी कुछ भी होगा , वहां विपक्ष को जाने की इजाजत नहीं । मेरठ जाने पर भी राहुल और प्रियंका को रोका गया था । यह कैसा प्रजातंत्र है महात्मा गांधी जी ? आपको अंग्रेज सरकार नहीं रोक पाती थी कहीं भी जाने पर लेकिन यह स्वतंत्र भारत की सरकारें हैं जो मन मर्जी कर रही हैं । कितना फर्क है ? जिनके लिए हमने लम्बी आजादी की लड़ाई लड़ी उनसे हम आज भी वंचित हैं । 

कह रहे हैं कि ये भाई बहन राजस्थान क्यों नहीं जाते? वहां भी बलात्कार हुआ है । जहां राजनीति सूट करती है वही जाते हैं । अब तो बहरामपुर भी हो गया । बताइए कहां कोई जाये या कहां कहां न जाये ? यह कैसा लोकतंत्र ? यह भी बता रहे हैं कि हाथरस लगभग एक सौ पंद्रह किलोमीटर दूर था । फिर काहे की जल्दी थी पदयात्रा रोकने की ।  जाने देते । ऑर्डर हाथरस के निकट आने पर दिखा देते । पर आपके पुलिस की धक्का मुक्कों ने ऐसा काम किया कि अब पप्पू न कह सकोगे ? पप्पू को नेता आप ही बनाओगे योगी जी । हमारे हरियाणा से राज्यसभा सांसद दीपेंद्र हुड्डा भी पहुंचे प्रदर्शन में । लखनऊ में समाजवादी कार्यकर्त्ता अलग पिटे । मायावती अभी बयानबाज़ी पर ही केंद्रित हैं । महात्मा गांधी की जयंती पर सबको सन्मति दे भगवान् ।