आखिर दूरदर्शन के लिए आवाजें तेज

आखिर दूरदर्शन के लिए आवाजें तेज
कमलेश भारतीय।

कमलेश भारतीय 

आखिरकार हरियाणा दूरदर्शन केंद्र , हिसार के बचाव के लिए आवाजें तेज होने लगी हैं । हिसार में अनेक संगठनों के प्रतिनिधि एकत्रित होकर जनप्रतिनिधियों के कान खोलने उनके द्वार तक ज्ञापन देने गये और हाइफा यानी हरियाणवी फिल्मी कलाकारों की संस्था ने भी सूचना व प्रसारण मंत्रालय के मंत्री अनुराग ठाकुर के नाम ज्ञापन भेजकर इसे शिफ्ट किये जाने के फैसले पर पुनर्विचार करने का आग्रह किया है । इस पर हरियाणा के सोलह कलाकारों के हस्ताक्षर हैं । इनमें चंद्रावल की नायिका उषा शर्मा , दादा लखमी के निर्मात्ता निर्देशक यशपाल शर्मा , रामपाल बल्हारा और इसके अध्यक्ष जनार्दन शर्मा आदि शामिल हैं । शुक्र है इन कलाकारों का जो इस मरणासन्न दूरदर्शन के इलाज का आग्रह करने आगे आये । हरियाणवी संस्कृति की पहचान इस दूरदर्शन केंद्र के लिए अभी हरियाणवी कलाकार ही खामोश थे । यह बहुत हैरान कर देने वाली बात थी । देर आये , दुरुस्त आये ।

अभी तक हिसार में रह रहे व हिसार के विधायक व सरकार में मंत्री डाॅ कमल गुप्ता और डिप्टी स्पीकर रणबीर गंगवा भी खामोशी से इस सारे मामले को देख रहे हैं । यह बहुत दुखद है । कल जनसंगठनों के प्रतिनिधियों ने न केवल डाॅ कमल गुप्ता बल्कि रणबीर गंगवा , उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ही नहीं बल्कि युवा विधायक भव्य बिश्नोई के घर जाकर ज्ञापन सौंपे । शायद ये नेता इन ज्ञापनों को पढ़कर अपनी आवाज इसके हक में उठा दें , यही उम्मीद है ।

हिसार शहर को दूरदर्शन मिले बीस साल हो गये । इसे अपग्रेड किया जाना चाहिए था । प्रसारण समय बढ़ाकर चार घंटे कर दिया गया लेकिन प्रोड्यूसर सब ले गये । फिर कार्यक्रम कौन बनाये ? जैसे कि केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने अन्य दूरदर्शन केंद्रों व आकाशवाणी केंद्रों को आवश्यक राशि जारी की है ताकि इन्हे अपग्रेड किया जा सके लेकिन हिसार दूरदर्शन केंद्र के नाम आया ऐसा फरमान कि इसे समेट दो , बस । शिफ्ट कर चंडीगढ़ भेज दो । क्यों ? इसे चंडीगढ़ शिफ्ट किये जाते क्या हिसार के राजनेता देखते रहेंगे ? या हरियाणा के राजनेता चुपचाप तमाशा देखते रहेंगे ? क्या हरियाणा को दूरदर्शन केंद्र की जरूरत नहीं ? क्या इससे खाली हुई जमीन को बेचने का कोई षड्यंत्र है ? यदि ऐसा है तो किसकी मिलीभगत है और कौन है इस षड्यंत्र के पीछे ? बहुत सारे सवाल उठ रहे हैं । जनसंगठन अब कम समय को देखते हुए आन्दोलन को तेज कर रहे हैं । यह जरूरी भी है यदि इसे बचाना है तो हिसार के राजनेताओं को अपनी आवाज मिलानी होगी । यदि ऐसा न किया तो आने वाले चुनावों में उनसे यह सवाल पूछा जायेगा कि जब हिसार से दूरदर्शन केंद्र शिफ्ट किया जा रहा था तब वे कहां थे ? उन्होंने इसे बचाया क्यों नहीं ?

मिले सुर , मेरा तुम्हारा

तो दूरदर्शन बचे हमारा ! 

-*पूर्व उपाध्यक्ष, हरियाणा ग्रंथ अकादमी ।