युवा पीढ़ी संवैधानिक मूल्यों के प्रचार-प्रसार तथा संरक्षण के लिए आगे आएः कुलपति प्रो राजबीर सिंह

"डॉ बी आर अंबेडकर एवं भारत का संविधान" संगोष्ठी आयोजित।

युवा पीढ़ी संवैधानिक मूल्यों के प्रचार-प्रसार तथा संरक्षण के लिए आगे आएः कुलपति प्रो राजबीर सिंह

रोहतक, गिरीश सैनी। भारत का संविधान केवल एक विधिक दस्तावेज ही नहीं, भारत के आम जनमानस के संघर्षों, सपनों तथा आकांक्षाओं को स्वर देने वाले यंत्र हैं जो न्याय. स्वतंत्रता, बंधुत्व का संदेश मुखरित करता है। जरूरत है कि पूरे समाज-देश में संवैधानिक मूल्यों का प्रतिष्ठापन किया जाए तथा संविधान की पवित्रता के संरक्षण का संकल्प लिया जाए। ये आह्वान महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय (मदवि) के कुलपति प्रो राजबीर सिंह ने रविवार को विश्वविद्यालय के डॉ बी आर अंबेडकर शोधपीठ के तत्वावधान में आयोजित "डॉ बी आर अंबेडकर एवं भारत का संविधान" विषयक संगोष्ठी में किया।

कुलपति प्रो राजबीर सिंह ने संविधान दिवस की हार्दिक बधाई देते हुए कहा कि डॉ भीम राव अंबेडकर वास्तव में भारतीय संविधान के वास्तुकार हैं। उन्होंने कहा कि संविधान ड्राफ्टिंग समिति के अध्यक्ष बाबा साहेब डॉ अंबेडकर ने कानून का शासन तथा सामाजिक न्याय की नींव इस संविधान के जरिए रखी। उन्होंने कहा कि युवा पीढ़ी को संवैधानिक मूल्यों के प्रचार-प्रसार तथा संरक्षण के लिए आगे आना होगा।

डॉ बी आर अंबेडकर शोधपीठ के अध्यक्ष प्रो गोविंद सिंह ने स्वागत भाषण दिया। प्रो गोविंद सिंह ने कहा कि भारतीय नागरिकों का अस्तित्व सही मायने में भारतीय संविधान की वजह से है। प्रो गोविंद सिंह ने कहा कि भारतीय संविधान सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक न्याय की अवधारणा प्रस्तुत करता है।

इस संगोष्ठी में विशेष आमंत्रित वक्ता इग्नू (नई दिल्ली) के प्रोफेसर डॉ प्रमोद कुमार मेहरा ने कहा कि भारत में सामाजिक न्याय के प्रणेता बाबा साहेब डॉ अंबेडकर हैं। सामाजिक न्याय समेत मूलभूत अधिकार की सुनिश्चितता भारतीय संविधान करता है। विश्वविद्यालय को लोकतांत्रिक स्पेस का प्रतीक करार देते हुए प्रो प्रमोद कुमार मेहरा ने संविधान को पढ़ने, समझने तथा जनमानस तक इसके संदेश को पहुंचाने का कार्य विश्वविद्यालय को करने को कहा।

विशेष आमंत्रित वक्ता दिल्ली विश्वविद्यालय के विधि संकाय की प्रोफेसर डॉ अनु ने कहा कि संविधान दिवस का मनाया जाना व्यक्तित्व व्यक्तिगत स्वतंत्रता का पर्व मनाए जाना समान है। उन्होंने कहा कि भारतीय संविधान की प्रस्तावना संविधान को समझने की कुंजी है। सम्मानजनक जीवन जीने का अधिकार भारतीय संविधान सुनिश्चित करता है, ऐसा उनका कहना था। भारतीय संविधान में लैंगिक न्याय तथा महिला अधिकारों के पक्ष पर प्रो अनु ने प्रकाश डाला। कार्यक्रम में बेहतरीन मंच संचालन राजनीति विज्ञान की सहायक प्रोफेसर डॉ ज्योति ने किया।

डॉ ज्योति ने सामूहिक रूप से भारतीय संविधान के प्रस्तावना का पाठ भी करवाया। आभार प्रदर्शन आयोजन सचिव डॉ जगदीप दहिया ने किया। इस अवसर पर डीन (आर एंड डी) प्रो अरुण नंदा, यूनिवर्सिटी लाइब्रेरियन डॉ सतीश मलिक, प्रो सत्यवान बरोदा, प्रो देशराज, प्रो रणदीप राणा, प्रो राजेश पुनिया, डॉ विकास सिवाच, डॉ अनुराग खटकड़, प्रो दिलीप सिंह, प्रो आशीष दहिया, ड़ प्रतिमा रंगा समेत आयोजन टीम के सभी सदस्य गण उपस्थित रहे। निदेशक सीआरसी प्रो सोनिया मलिक, कार्यक्रम समन्वयक एनएसएस प्रो तिलक राज, निदेशक जनसंपर्क सुनित मुखर्जी समेत विश्वविद्यालय के विभिन्न विभागों के प्राध्यापक गण, शोधार्थी, विद्यार्थी, एनएसएस वॉलिंटियर्स, संबद्ध महाविद्यालयों के प्राध्यापक गण, अन्य गणमान्य जन कार्यक्रम में शामिल हुए। कार्यक्रम के प्रारंभ में बाबासाहेब डॉ आंबेडकर के पोर्ट्रेट पर पुष्पांजलि अर्पित की गई।