गड़बड़झाले का खेल बहुत ज्यादा दिन नहीं चलता

ऐसे लोग बहुत नुकसानदायक होते हैं जो आपको बताए बिना एक ऐसी जगह लेकर जाते हैं जहां सब्जबाग दिखाए जाते हैं और अंत में आप पर दबाव बनाया जाता है कि उनकी बेतुकी स्कीमों में हिस्सा लें और पैसा लगाएं।

गड़बड़झाले का खेल बहुत ज्यादा दिन नहीं चलता

ऐसे लोग बहुत नुकसानदायक होते हैं जो आपको बताए बिना एक ऐसी जगह लेकर जाते हैं जहां सब्जबाग दिखाए जाते हैं और अंत में आप पर दबाव बनाया जाता है कि उनकी बेतुकी स्कीमों में हिस्सा लें और पैसा लगाएं। इन कार्यक्रमों में कुछ लोग अपनी लग्जरी लाइफस्टाइल का दिखावा करते हैं, फिर आपको उकसाते हैं कि ऐसी ही शानदार जिंदगी जीनी है तो उनकी स्कीम में अभी जुड़ जाओ और अपनी जान-पहचान के नए लोगों को भी अगली मीटिंग में लेकर आओ। ऐसे कुछ कार्यक्रमों में जाकर मन में हमेशा एक सवाल उठा कि अगर ये लोग सही हैं तो अपने पास धोखे से क्यों बुलाते हैं? अगर इस तरह से बढ़िया कमाई की जा सकती है तो कहीं इस बारे में कोई चर्चा क्यों नहीं होती? जब देश में इतनी बेरोजगारी है तो फिर सब लोग यह धंधा क्यों नहीं अपना लेते? यह भी सवाल मन में उठता था कि क्या सचमुच में इन लोगों को कमाई होती है? इनकी बताई विधि से फायदे की बजाय नुकसान हुआ तो आपसी संबंध भी खराब होते गए।

जब ऐसी कंपनियों और इनके एजेंटों की पोलपट्‌टी पता चली तो हैरानी हुई कि आखिर मीडिया में ऐसे गोरखधंधों के बारे में एक भी खबर, लेख या विश्लेषण देखने को क्यों नहीं मिलता है? किसी अखबार ने ऐसे व्यवसायों के बारे में कभी खुलासा नहीं किया। अब जब प्रवर्तन निदेशालय ने ऐसी एक मल्टी लेवल मार्केटिंग कंपनी पर शिकंजा कसा तो मीडिया में खबरें दिखाई दीं। यहां बात एमवे इंडिया की हो रही है, जिसकी 758 करोड़ रुपए की संपत्ति पर ईडी ने ताला जड़ दिया है। एमवे पर मनी लांड्रिंग का आरोप है। कंपनी पर आरोप है कि वह बाजार में उपलब्ध वस्तुओं से बहुत ज्यादा दाम पर अपनी चीजें भोले भोले लोगों को यह झांसा देकर बेचती है कि ऐसा करने से वे अमीर हो जाएंगे। कंपनी का पूरा प्रचार अमीरी का झांसा देने पर रहता है, उत्पादों की क्वालिटी और उनकी कीमत पर नहीं। इस कंपनी ने न जाने कितने दोस्तों और रिश्तेदारों को आपस में दुश्मन बना दिया है। इनका जो भी नया ग्राहक बनता है वह सबसे पहले अपने नाते-रिश्तेदारों को ही झूठ बोल कर फंसाता है।            

पंजाब में आम आदमी पार्टी ने सत्ता पाने के लिए अनेक लोक लुभावन वादे कर डाले। जब सरकार बन गई तो लोग लगे सवाल पूछने कि वादे पूरे करने के लिए धन कहां से लाओगे, क्योंकि राज्य पर तीन लाख करोड़ रुपए का कर्जा चढ़ा है। इसी बात से परेशान होकर मुख्यमंत्री भगवंत मान कुर्सी संभालते ही प्रधानमंत्री मोदी के पास जा पहुंचे थे और एक लाख करोड़ रुपए मांग बैठे। लोन का पैसा गया कहां, यह सवाल  को बार-बार परेशान किए जा रहा था। फाइलें पलटीं तो हैरानी हुई जानकर कि पिछले कई सालों से पंजाब में न तो एक भी सरकारी अस्पताल बना, न सरकारी यूनिवर्सिटी। जो हाईवे बने वे प्राइवेट कंपनियों ने बनवाए, तो आखिर लोन का पैसा कौन खा गया? पंजाब में अभी तक अकाली दल और कांग्रेस का ही राज रहा है। इसलिए मान ने ऐलान ऐलान किया है कि राज्य पर चढ़े कर्ज की जांच की जाएगी ताकि पता लग सके कि कितना काम हुआ और कितना पैसा खर्च हुआ। जो भी दोषी पाए जाएंगे उनसे रिकवरी की जाएगी।

(नरविजय यादव वरिष्ठ पत्रकार व कॉलमिस्ट हैं)