समाचार विश्लेषण/ये तेरी एंट्रियां, बजने लगीं घंटियां?
-*कमलेश भारतीय
फिल्मी गाने भी कमाल होते हैं । फिल्मों के बाहर अनेक बार राजनीति में भी बहुत फिट बैठते हैं । जैसे एक गाना था -क्या हुआ तेरा वादा , वो कसम , वो इरादा । इसका उपयोग 'धर्मयुग' में तब किया गया जब जनता सरकार मात्र अढ़ाई साल में ही चरमरा गयी थी । तब राजघाट पर शपथ लेते जनता सरकार के नेताओं की फोटो मुखपृष्ठ पर लगा कर पूछा गया था कि क्या हुआ तेरा वादा ? बहुत ही सटीक गीत की पंक्तियां रहीं न कभी भूलीं ।
इधर हमारे हरियाणा के अब न युवा और न वरिष्ठ लेकिन थोड़े परिपक्व होते नेता कुलदीप बिश्नोई के भाजपा में एंट्री को लेकर ये पंक्तियां बहुत फिट लगीं कि -ये तेरी एंट्रियां , बजने लगीं घंटियां ...कहीं ये घंटियां खुशी की लग रही हैं तो कहीं ये घंटियां खतरे की सूचना दे रही हैं पर घंटियां बज रही हैं । अब इसे सुनने वाले अपने अपने अर्थ निकल सकते हैं ।
राज्यसभा चुनाव को लेकर कुलदीप बिश्नोई नहीं माने कांग्रेस को वोट देने के लिए । उनका विरोध मुखर हुआ और अंतरात्मा भी समय पर जाग गयी यानी पहले सोई पड़ी थी अध्यक्ष बनने के सपने तक । जैसे ही सपना टूटा अंतरात्मा जाग गयी और अपनी ही पार्टी के खिलाफ वोट डाल कर कहीं जाकर शांत हुई । लेकिन दे ट्वीट पे ट्वीट करके भी लगता है कि शांत तो फिर भी न हुई । आग और भड़कती गयी , प्यास और बढ़ती गयी और जितना बुरा भला कांग्रेस और इसके नेताओं को कहना था कहा । जी भर कहा । कोई कमी न छोड़ी ।
पर फिर स्वागत् है कहने वाले भाजपा प्रदेशाध्यक्ष ओम प्रकाश धनखड़ जी भी पता नहीं क्यों खामोश से हो गये । अब तो वोट डाले कम से कम बीस दिन बीत चुके लेकिन कमल हाथ में थामे देखने की इंतज़ार बढ़ती जा रही है । क्या ढंग से डील होने मे देरी हो रही है ? आदमपुर के कार्यक्रत्ताओं ने भी राय दी है कि अबकि पूरी बात खोल लेना , पहले की तरह धोखा न हो जाये । सबको मालूम है कि पहले भी भाजपा से गठबंधन हुआ था ; जो निभा नहीं । बसपा से भी हुआ था , जो कच्चे धागे की तरह चुनाव से पहले ही टूट गया था । बहन जी की राखी के धागे इतने ही कच्चे होते हैं । न अभय चौटाला के स्थ गठबंधन में चल पाईं , न कुलदीप बिश्नोई के साथ । इसलिए फूंक फूंक कर कदम रखने की जरूरत है । यही कार्यकर्त्तेओं ने सलाह दी है ।
कुछ लोग कहते हैं कि कुलदीप बिश्नोई के कांग्रेस छोड़ने से कुछ नेता खुश होंगे यानी उन्हें घंटियों की आवाज खुशी देगी । कुछ और नेता भी कांग्रेस में नाराज बताये जा रहे हैं और उनके नाम भी घंटियां बज रही हैं । भाजपा में आदमपुर से कुलदीप बिश्नोई के सामने चुनाव लड़ने वाली सोनाली फौगाट को घंटियां खतरे की महसूस हो रही हैं और वह आदमपुर में अपने कार्यकर्त्ताओं के बीच जा रही हैं । वैसे खतरे की घंटियां चौ बीरेन्द्र सिंह भी सुन रहे हैं क्योंकि डील में कुलदीप बिश्नोई हिसार लोकसभा सीट जो मांग रहे हैं । फिर बृजेंद्र की सीट कहां जायेगी ? इस तरह ये घंटियां अलग अलग तरह की सुनाई दे रही हैं । देखिए कब एंट्री मिलती है और ये घंटियां बजने की आवाज थम जाती है ,,, पर जब तक एंट्री नहीं होती तब तक अनेक कयास लगाये जाते रहेंगे ।
-*पूर्व उपाध्यक्ष, हरियाणा ग्रंथ अकादमी ।