आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से ही चलेगी आगे की दुनिया
ऐसा माना जा रहा है कि 2023 तक, आधे से ज्यादा व्यावसायिक कामकाज क्लाउड में चलने की उम्मीद है, और कोविड के कारण क्लाउड को अपनाने में तेजी आ गई।
ऐसा माना जा रहा है कि 2023 तक, आधे से ज्यादा व्यावसायिक कामकाज क्लाउड में चलने की उम्मीद है, और कोविड के कारण क्लाउड को अपनाने में तेजी आ गई। अभी तक, सभी कॉर्पोरेट डेटा का 60 प्रतिशत से अधिक हिस्सा क्लाउड में एकत्रित रहता है। मैनेजमेंट फर्म मैकिंसे का अनुमान है कि 19 उद्योगों के 9 व्यावसायिक कार्यों में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) तकनीक की सालाना वैल्यू 3.5 ट्रिलियन डॉलर से 5.8 ट्रिलियन डॉलर के बीच रहने की क्षमता है। एआई हर क्षेत्र में प्रवेश कर रहा है, तो स्मार्टफोन इससे कैसे अछूता रहता। स्मार्टफोन के बारे में कहा जाता है कि वह आपके बारे में सब कुछ जानता है। इतना ही नहीं, वह आपको आपसे ज्यादा जानता है। यही बात कंप्यूटर पर भी लागू होती है। दोनों उपकरण चलते तो इंटरनेट से ही हैं और इंटरनेट को चलाने के लिए आ चुकी है आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस। इस मामले में गूगल सबसे आगे है। अकाउंटिंग फर्म पीडब्ल्यूसी के अनुसार, साल 2030 तक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस इंडस्ट्री 117 लाख करोड़ रुपए से अधिक की हो जाएगी। डिजिटल असिस्टेंट और चेहरा पहचानने वाली तकनीक आदि के जरिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पहले ही लोगों की जिंदगी में दखल दे चुकी है।
आने वाले समय में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस कामकाज और रोजमर्रा जीवन के रूटीन काम निपटायेगी, जबकि मानव अपने मस्तिष्क को रचनात्मक कार्यों में लगाएगा। यानी मशीनें रूटीन काम करेंगी और मनुष्य क्रिएटिव काम। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस विशेषज्ञ स्टुअर्ट रसेल का कहना है कि अगर मशीनें सुपर इंटेलिजेंट हो गईं तो इंसान का अस्तित्व ही खतरे में आ जाएगा। इंटेलिजेंस ही पॉवर है। पॉवर यानी कंट्रोल और यही इसका अंत होगा। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस टैक्नोलॉजी के जरिए आप लोगों को ट्रैक कर सकते हैं, उनके चेहरे पहचान सकते हैं। इसका दुरुपयोग भी शुरू हो चुका है, जैसे कि आपका कंप्यूटर आपके बारे में सब जानता है। इसी तरह आपका फोन आपकी सारी बातचीत सुनता है। मनुष्य की जिम्मेदारी अब यह है कि इन मशीनों को भयानक गलती करने से रोके, वरना सब खत्म हो जाएगा।
सामान्य शब्दों में, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से तात्पर्य ऐसे कंप्यूटर टूल्स से है जो कुछ काम करने में मानव बुद्धि जैसे होते हैं। यह तकनीक वर्तमान में बहुत ही तेज गति से आगे बढ़ रही है। दरअसल कंप्यूटर डेटाबेस मुख्य इंफ्रास्ट्रक्चर के रूप में विकसित हुए हैं जो सॉफ्टवेयर को संचालित करते हैं। अनुमान है कि आने वाले वर्षों में सॉफ्टवेयर में शामिल होने वाले ज्यादातर नए फीचर आंशिक रूप से ही सही, लेकिन आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस द्वारा संचालित होंगे। अब तो बिग डेटा का समय है, जैसे कि यूट्यूब हर एक मिनट में 400 घंटे से ज्यादा वीडियो कंटेंट प्राप्त करता है। कंप्यूटर को इस तरह से प्रशिक्षित किया जा चुका है कि वह किसी व्यक्ति की पर्सनैलिटी की पहचान उसके दोस्तों से ज्यादा अच्छे से कर सके। ऐसा करने के लिए यह देखा जाता है कि कोई शख्स सोशल मीडिया पर किस तरह की पोस्ट को लाइक करता है और किस पोस्ट पर अधिक समय बिताता है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और बिग डेटा का आपस में संबंध है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के विकास में मशीन लर्निंग का भी बहुत योगदान है। यह तकनीक बड़े डेटा सेट का उपयोग करके आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को प्रशिक्षित करती है। एआई चैटबॉट्स को डेटा सेट पर प्रशिक्षित किया जा सकता है जिसमें मानवीय बातचीत को समझना शामिल है।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार व कॉलमिस्ट हैं)
Narvijay Yadav 


