गर्मियों की अग्रिम तैयारी व निर्बाध पेयजल आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए व्यापक कार्ययोजना पर काम शुरूः डीसी

गर्मियों की अग्रिम तैयारी व निर्बाध पेयजल आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए व्यापक कार्ययोजना पर काम शुरूः डीसी

रोहतक, गिरीश सैनी। उपायुक्त सचिन गुप्ता ने कहा कि जिला प्रशासन ने गर्मियों से पहले अग्रिम तैयारी और निर्बाध पेयजल आपूर्ति पर स्पष्ट फोकस के साथ पेयजल के लिए व्यापक ग्रीष्मकालीन कार्ययोजना पर कार्य आरंभ कर दिया है, ताकि नागरिकों को आगामी गर्मियों में और आगे भी सुरक्षित एवं विश्वसनीय पेयजल उपलब्ध कराया जा सके।

उपायुक्त की अध्यक्षता में मौजूदा स्थिति की समीक्षा, प्रणालीगत कमियों की पहचान तथा चरणबद्ध और समयबद्ध रणनीति तय करने के लिए एक विस्तृत समीक्षा बैठक आयोजित की गई, ताकि गर्मियों की चरम अवधि से पहले और जहां संभव हो, आगामी मानसून से पूर्व सभी आवश्यक उपाय पूरे किए जा सकें।

उपायुक्त ने कहा कि रोहतक शहर की वर्तमान जनसंख्या लगभग 5.63 लाख है। मानक आवश्यकता 135 लीटर प्रति व्यक्ति प्रतिदिन (एलपीसीडी) है, जबकि वर्तमान प्रभावी आपूर्ति लगभग 85 एलपीसीडी है। पेयजल आपूर्ति मुख्यत: नहर आधारित है, जो जेएलएन और बीएसबी नहरों से प्राप्त होती है, तथा इसका वितरण उपलब्ध संसाधनों के माध्यम से किया जाता है।

शहरी क्षेत्र में पेयजल आपूर्ति के लिए चार प्रमुख जलघर एवं शहर में स्थापित 26 बूस्टिंग स्टेशन उपलब्ध है। नगर निगम के अंतर्गत हाल ही में 9 ग्रामीण जलघर भी जोड़े गए हैं। समीक्षा में पुरानी पाइपलाइनों, सीमित भंडारण क्षमता, पम्पिंग दक्षता, कच्चे पानी की उपलब्धता तथा भविष्य के विस्तार के लिए भूमि की कमी से जुड़ी चुनौतियां सामने आईं।

उपायुक्त ने कहा कि जल गुणवत्ता की सुरक्षा के लिए अस्वच्छ जल कनेक्शनों का विच्छेदन (अब तक 800 से अधिक ऐसे कनेक्शन काटे जा चुके हैं) किया गया है। गर्मियों में जल संकट की आशंका वाले संवेदनशील व दीर्घकालिक रूप से प्रभावित क्षेत्रों का मानचित्रण किया जा चुका है। दीर्घकालिक परियोजनाओं से जुड़े तात्कालिक विषयों, विशेषकर अतिरिक्त कच्चे पानी के भंडारण के लिए भूमि उपलब्धता संबंधी मुद्दों पर अनुवर्ती कार्रवाई की जा रही है।

उपायुक्त ने कहा कि ग्रीष्मकालीन कार्ययोजना को इस उद्देश्य से तैयार किया जा रहा है ताकि गर्मियों में आपातकालीन प्रतिक्रियाओं की आवश्यकता न्यूनतम रहे, प्रमुख कमियों का समाधान पहले से किया जा सके और महत्वपूर्ण परियोजनाएं मानसून से पहले पूर्ण हों या उन्नत चरण में पहुंचें।