समाचार विश्लेषण/सुपवा से कलाकारों का होगा भला?

समाचार विश्लेषण/सुपवा से कलाकारों का होगा भला?
कमलेश भारतीय।

-*कमलेश भारतीय 
रोहतक में फिल्म इंस्टीट्यूट जैसा एक विश्वविद्यालय है जिसका नाम है -पंडित लखमीचंद यूनिवर्सिटी ऑफ फिल्म एड परफार्मिंग आर्ट्स ! इसे बहुत छोटे रूप में 'सुपवा' कहा जाता है । यहां तक जानकारी है कि पहले इसे स्टेट इंस्टीट्यूट बनाया गया था और बाद में पूरी यूनिवर्सिटी बना था गयी, जिसमें फिल्म एंड टीवी , दृश्य कला , वास्तुकला और डिजाइन के कोर्सेज चल रहे हैं । इन दिनों इसके कुलपति हैं गजेंद्र चौहान और आप उन्हें 'महाभारत' धारावाहिक के युधिष्ठिर के प्रभावशाली रोल से आसानी से याद कर सकते हैं । इनके अतिरिक्त अनेक फिल्मों व धारावाहिकों में रोल किये लेकिन पहचाना युधिष्ठिर के रोल से जाता है । इनके कुलपति बनने पर आशायें लगी थीं कि अब इस सुपवा का कुछ भला होगा । इसके बावजूद यहां छात्र प्रदर्शन पर हैं । जानकारी के अनुसार फिल्म एंड टीवी कोर्स के छात्र पारदर्शी कर रहे हैं । उनका आरोप है कि विश्विद्यालय प्रशासन वह सुविधायें नहीं दे रहा , जिनकी जरूरत है । सबसे बड़ी बात कि टीचिंग फैकल्टी ही नहीं । विजिटिंग टीचर्स से ही काम चलाये जाने की बात कही जा रही है । इससे भी बड़ी बात कि कोई सिलेबस ही नहीं है । यदि कोई कोर्स है तो उसका कोई निर्धारित सिलेबस तो होना ही चाहिए कि नहीं ? इन सबसे भी ऊपर कि चार वर्षों में इस कोर्स की अवधि है लेकिन इसे कोविद के कारण एक सिलेबस और बढ़ाकर अभी तक डिग्री नहीं दी जा रही और छात्रों को आशंका है कि कहीं कोर्स बढ़ते बढ़ते छह साल का ही न हो जाये ! इतने लम्बी अवधि के लिए कहां से पैसे जुटायें अभिभावक ? अभी तक कोई ऐसा उल्लेखनीय काम भी इस विभाग में नहीं हुआ जिसका उल्लेख किया जा सके । प्रैक्टिकल को सिर्फ हवा हवाई कैसे चलाया जा सकता है ? 
दूसरी ओर कुलपति गजेंद्र चौहान कह रहे हैं कि छात्रों को कुछ तत्त्व गुमराह कर रहे हैं और सुपवा को नुकसान पहुंचाने का काम कर रहे हैं । यह होने नहीं दिया जायेगा । गजेंद्र चौहान ने कहा कि छात्रों को बुलाकर मनाने /समझाने का प्रयास भी किया । इसके बावजूद छात्र धरने पर बैठे हैं । इस बात का उन्हें बहुत दुख है ! 
जो भी हो , सुपवा का और छात्रों का भला होने की उम्मीद की जानी चाहिए । फिल्म एंड टीवी में हरियाणा से बहुत आशायें लगाई जा रही हैं और सुपवा से भी ! इसलिए कुलपति को बहुत संभल कर और बहुत ही मेहनत से इस विश्वविद्यालय को अपना सौ प्रतिशत देना चाहिए ताकि हरियाणा उन्हें व उनके योगदान को याद रख सके ! 
-*पूर्व उपाध्यक्ष, हरियाणा ग्रंथ अकादमी ।