समाचार विश्लेषण/किसके लाउडस्पीकर बने राज ठाकरे?

समाचार विश्लेषण/किसके लाउडस्पीकर बने राज ठाकरे?
कमलेश भारतीय।

-*कमलेश भारतीय 
कुछ दिनों से महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के प्रमुख राज ठाकरे लगातार यह बयान या कहिए चेतावनी देते आ रहे हैं कि यदि मस्जिदों में लाउडस्पीकर बंद नहीं करवाये गये तो वे अपने कार्यकर्त्ताओं से मस्जिदों के सामने हनुमान चालीसा के पाठ शुरू करवा देंगे । यह चेतावनी जब उन्होंने तलवार  लहरा कर दी तब उन पर आर्म्स एक्ट के तहत केस दर्ज कल लिया गया । राज ठाकरे ने यहां तक कहा कि अभी तो मैंने सिर्फ हनुमान चालीसा की बात की है । मुझे अपने बाण को और खींचने के लिए मजबूर न करें । आप अपनी प्रार्थना अपने घर पर करें । दूसरों को परेशान न करें । पांच दस दिन की बात हो तो समझ में आती है लेकिन सारा साल यह नहीं चलेगा । 
इस तरह मनसे प्रमुख की बयानबाजी के जवाब में सामना के संपादक व राज्यसभा सांसद संजय राउत ने कहा कि राज ठाकरे भाजपा के लाउडस्पीकर बन गये हैं । ईडी की कार्यवाही में अभयदान मिले इसलिए भाजपा की भाषा बोल रहे हैं । एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने भी कहा कि सरकार इस बारे में गंभीरता से विचार करेगी ।
धार्मिक सहिष्णुता बहुत जरूरी है इस देश में । कितने धर्मों के लोग यहां निवास करते हैं । हर धर्म को दूसरे धर्म को सम्मान देना चाहिए लेकिन ऐसा नहीं हो रहा । राज ठाकरे से भी पहले गायक सोनू निगम भी इस मुद्दे को उठा चुके हैं और कह चुके हैं कि मस्जिद से ऊंची आवाज में नमाज अता होने से उनके संगीत के रियाज में खल  पड़ता है । इस पर भी काफी चर्चा हुई और विवाद के बाद सोनू निगम भी खामोश हो गये ।
अभी तो हरियाणा के गुरुग्राम में भी खुले में नमाज अता करने पर विवाद सामने आये थे । धर्म के मामले को बहुत नाजुक यानी संवेदनशील मुद्दा माना जाता है । राज ठाकरे की मनसे को शुरू में कुछ सफलता मिली थी लेकिन फिर शिवसेना ने अपनी पकड़ मजबूत बना ली । जिससे राज ठाकरे को हताशा में इस तरह की बयानबाजी पर उतरना पड़ा जो भाषा सचमुच भाजपा को ज्यादा संतुष्ट करती है । भाजपा ने भी गठबंधन सरकार को गिराने में कोई कभी नहीं छोड़ रखी लेकिन सामने शरद पवार जैसे चाणक्य के होने से भाजपा चाणक्य अमित शाह बेबस नज़र आ रहे है । वे तो गठबंधन सरकार को बिल्कुल बर्दाश्त नहीं कर पा रहे और कंगना रानौत से लेकर राज ठाकरे तक हर व्यक्ति को इस्तेमाल कर रहे हैं । यदि धार्मिक सहिष्णुता जरूरी है तो राजनीतिक सहिष्णुता भी उतनी ही जरूरी है । क्यों नहीं महाराष्ट्र में गठबंधन सरकार को चलने दे रहे ? क्यों नहीं राजस्थान में कांग्रेस सरकार को चलने दे रहे ? क्यों हर गैर भाजपा राज्य में राजनीतिक उथल पुथल करते रहते हो ? यह वाजिब बात है कि धार्मिक कर्मकांड से दूसरों को परेशानी नहीं होनी चासिए । इसलिए मंदिर हो या मस्जिद सही नियम बनाये जाने चाहिएं जिससे सभी एक दूसरे धर्म का आदर कर सकें । तभी तो कहेंगे- 
मेरा व्रतऔर तेरे रोजे
साथ साथ ही खोलेंगे
-*पूर्व उपाध्यक्ष, हरियाणा ग्रंथ अकादमी ।