समाचार विश्लेषण/कौन सी पोशाक पहने लड़की?

समाचार विश्लेषण/कौन सी पोशाक पहने लड़की?
कमलेश भारतीय।

-*कमलेश भारतीय 
कौन सी पोशाक पहने लड़की? यह फैसला कौन करेगा ? कोर्ट या नेता या खुद लड़की? देखा जाये तो पहले नेताओं के ऐसे बयान आते रहे कि यदि लड़की ऐसे वैसे कपड़े पहनेगी तो अपने परिणाम की खुद ही जिम्मेवार होगी । एक समय तो उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे मुलायम सिंह यादव ने और हमारे हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला ने भी महिलाओं की पोशाक पर टिप्पणी की थी । यानी पहले यह अधिकार क्षेत्र नेताओं के पास था । आज केरल के एक जज महोदय की टिप्पणी पढ़कर लगा कि अब यह अधिकार कोर्ट के पास चला गया है । वे जज महोदय कह रहे हैं कि यदि महिला यौन उत्तेजक पोशाक पहनती है तो उस व्यक्ति पर यौन उत्पीड़न का केस नहीं बनता , जिस पर उसने केस किया हो । वाह जज महोदय ! क्या कमेंट , क्या जजमेंट सुनाई है आपने !  और जमानत भी दे दी आरोपी को ! दरअसल एक 74 वर्षीय व्यक्ति पर दो लेखिकाओं ने अलग अलग समय इनके खिलाफ यौन उत्पीड़न के केस दर्ज करवाये थे जबकि पहले मामले की सुनवाई करते जज महोदय कहते हैं कि यदि यौन उत्तेजक पोशाक पहनेंगीं तो कोई यौन उत्पीड़न का केस नहीं बनता । दूसरे 74 वर्ष का व्यक्ति जो शारीरिक रूप से अक्षम है उस पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाने पर विश्वास नहीं हो रहा । यानी डाॅकटर की भूमिका भी खुद ही निभा दी । केरल महिला आयोग की चेयरपर्सन पी सतीदेवी ने इस फैसले को दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया है । उन्होंने कहा कि साक्ष्य शुरू होने और सुनवाई से पहले ही इस तरह की टिप्पणी कर अदालत ने शिकायतकर्ता के आरोपों को एक सिरे से खारिज ही कर दिया है । 
क्या अब जज महोदय तय करेंगे कि महिलायें क्या पहने और क्या न पहनें ? क्या नारी की अपनी कोई इच्छा नहीं ? क्या यह समाज पुरूष अधिकार वाला ही रहेगा ? 
वैसे एक बार बिग बी यानी अभिताभ बच्चन ने अपनी दोहिती नव्य नवेली को एक खत लिखा था ट्वीट के रूप में कि तुम क्या पहनोगी , इसका फैसला कोई दूसरा नहीं करेगा । यह तुम्हारा अपना अधिकार है और कोई दूसरा तुम्हारे पहनावे पर विचार या सलाह क्यों दे ? यह खत आज बहुत याद आ रहा है । फिल्मों में पोशाक के बारे में क्या ख्याल है ? हमने विदेशी फिल्मों की नकल से फैशन शुरू किया लेकिन आज उनसे भी ज्यादा फैशन हिंदी सिनेमा में है । कितनी ही फिल्मों में ड्रैस को लेकर काफी असहज स्थितियां बन जाती हैं । उन पर भी कोई ड्रैसकोड लगाइए न जज महोदय तो कोई बात बनें,,,
-*पूर्व उपाध्यक्ष, हरियाणा ग्रंथ अकादमी ।