समाचार विश्लेषण/कहां से कहां पहुंचे मिथुन दा?

समाचार विश्लेषण/कहां से कहां पहुंचे मिथुन दा?
कमलेश भारतीय।

-कमलेश भारतीय 
राजनीति में फिल्मी सितारों का आना कोई नयी बात नहीं । कांग्रेस ने ही यह चलन शुरू किया । सुनील दत्त , नरगिस दत्त और वैजयंती माला और सबसे ऊपर हमारे बिग बी अमिताभ बच्चन , विनोद खन्ना ही नहीं सुपर स्टार राजेश खन्ना ,  गोबिंदा चीची यानी छोरा विरार का ।शत्रुघ्न सिन्हा यानी शाॅटगन ड्रीम गर्ल हेमा मालिनी , उर्मिला मातोंडकर, नगमा , शबाना आज़मी, रेखा , जया प्रदा । कितने नाम । देवानंद ने तो राजनीतिक पार्टी भी बनाई थी लेकिन उसका कोई भविष्य न था । ऐसे तो राखी सावंत ने भी पार्टी बनाने की कोशिश की । आजकल स्मृति ईरानी , सन्नी देओल तो इनके पापा धर्मेंद्र भी बीकानेर से सांसद रहे । सन्नी देओल पंजाब के गुरदासपुर से सांसद हैं । गायक बाबुल सुप्रियो, महाभारत की द्रौपदी रूपा गांगुली और नुसरत जहां पश्चिमी बंगाल में सांसद हैं । मनोज तिवारी, रवि किशन , सपना चौधरी भी भाजपा की शोभा बढ़ा रहे हैं । सोनाली फौगाट यानी टिक टाॅक गर्ल भी । यह कुनबा बढ़ता जा रहा है ।
इस कुनबे में नया नाम जुड़ा है दादा  मिथुन चक्रवर्ती का । वे कुछ दिन पहले ही भाजपा में शामिल हुए हैं और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रैली की शोभा बढ़ाने में आगे आए । क्या कमाल का डायलाॅग कि मैं किंग कोबरा हूं । किसे कहा ? अपनी उसी ममता बनर्जी को सुनाया जिसने इन्हें सन् 2014 में राज्यसभा में पहुंचाया था । कैसा सिला दिया दादा दीदी के प्यार का? यह कर्ज उतारा । किंग कोबरा बन गये । वाह । किसने लिखा यह लचर डायलाॅग ? मज़ेदार बात कि एक समय धुर नक्सलवादी रहे मिलन दा और बाद में माकपा सरकार के एक मंत्री के भी खासमखास बने रहे और अब जाकर दक्षिणपंथी ताकतों के कोबरा बनने की घोषणा । कमाल  का यू टर्न लिया मिथुन दा । बधाई ।
फिल्मी सितारों को किसान आंदोलन वाले ढूंढ रहे हैं लेकिन कुछ सितारे ही उनको समर्थन दे रहे है । सन्नी देओल तो दूरी बनाये हुए हैं । जबकि पंजाब में इन्हें इन्हीं लोगों ने सिर आंखों पर बिठा कर संसद तक पहुंचाया । मतलब साफ है कि फिल्मी सितारों को जनता की समस्याओं से कोई सरोकार नहीं । वे आकाश से उतर कर नीचे नहीं आते । फिर इनका राजनीति के अंगने में क्या काम ? रजनीकांत राजनीति में आने की योजना ही बनाते रह गये । जब चुनाव आया तब राजनीति से दूरी बना ली । कमल हासन भी पर तोलते रहे । अब मिथुन दादा पश्चिमी बंगाल में भाजपा की मदद के लिए आये हैं । केरल में मेट्रो मैन को पहले मुख्यमंत्री घोषित किया , बाद में अपने ही फैसले से पलट  पुडुचेरी में उपराज्यपाल बनाया भाजपा ने  । दिल्ली में किरण बेदी को कम्टपेनसेट किया जायेगा या नहीं ?  यह खेल जारी है और शायद अब राजनीति में जारी रहेगा । अब राजनीति फिल्मी सितारों या सेलिब्रिटी से अछूती न रह सकेगी । तमिलनाडु में तो फिल्मी सितारों ने मुख्यमंत्री बन कर दिखाया । अम्मा जयललिता ने तो अम्मा कैंटीन चला कर नाम कमाया । दूसरे राज्य भी इसकी राह पर चलने लगे । खैर । अब दादा मिथुन किसको डंसते हैं और क्या परिणाम आयेगा ? इसका इंतज़ार कीजिए ।