समाचार विश्लेषण /यह कैसी फ्रेंडशिप और क्यों?

समाचार विश्लेषण /यह कैसी फ्रेंडशिप और क्यों?
कमलेश भारतीय।

-*कमलेश भारतीय 
गुरु और शिष्य का नाता बड़ा पवित्र माना जाता है । गुरु अपना सारा गुण और सारी योग्यता शिष्य पर लुटा देना चाहता है और गुरु शिष्य परंपरा हमारी पुरानी परंपरा है । अनेक उदाहरण हैं । बिना विधिवत शिष्य बने भी एकलव्य ने गुरु द्रोणाचार्य को गुरु दक्षिणा में अपना अंगूठा देने में कोई गुरेज नहीं किया था । गुरु के लिए शिष्य प्राण तक लुटाते हैं । सिकंदर ने गुरु से पहले नदी पार करने की बात कही थी तो गुरु को बताया कि गुरु जी ! आप बचे रहेंगे तो मेरे जैसे अनेक सिकंदर पैदा कर देंगे ! मैं अपने गुरु को खोने नहीं दूंगा । शिक्षक दिवस मनाया जाता है जब राष्ट्रपति राधाकृष्णन को छात्रों ने सम्मान देते उनकी बघ्घी के घोड़े खोल कर खुद बच्ची हांकी थी तब से शिक्षक दिवस मनाने की परंपरा है ।
 लेकिन आजकल गुरु शिष्य संबंध बदनाम हो रहे हैं । कभी पटना के गुरु मुकुट ने अपनी ही शिष्या के साथ लिव इन में रहना शुरु कर दिया था और देश भर में गुरु शिष्य का रिश्ता तार तार कर दिया था । अभी कुछ दिन पहले करनाल में भी एक मामला आया जिसमें छात्राओं को ऐसे कपड़े पहनने को कहा गया कि जिसमें खूबसूरत दिखो । अब मामला महेंद्रगढ़ के राजकीय महिला काॅलेज का सामने आया है जिसमें छात्राओं ने गुरु पर फ्रेंडशिप बनाने का आरोप लगाया है । यह भी कहा है कि फ्रेंडशिप न बनाने पर फेल करने की धमकी भी यह प्रोफेसर दे रहा है । छात्राओं ने यह शिकायत दस दिन पहले दी थी लेकिन कोई कार्रवाई न होने पर भड़कीं छात्राओं ने विरोध प्रदर्शन किया व नारेबाजी की । छात्राओं ने एएसपी को दी शिकायत में कहा कि न केवल हमारे फोन नम्बर मांगता है यह प्रोफेसर बल्कि पीछा भी करता है । हालांकि प्राचार्य कह रहे हैं कि यौन उत्पीड़न कमेटी मामले की जांच कर रही है लेकिन छात्राओं को यह मात्र लीपापोती ही लग रही है जिसके चलते उन्हें खुलकर सामने आने पर मजबूर होना पड़ा ! ऐसे अनेक मामले सामने आते रहते हैं जिससे गुरु शिष्य रिश्ते बदनाम होते हैं । 
इन रिश्तों की मर्यादा कैसे बचाई जाये ? छात्राओं को यौन उत्पीड़न से कैसे बचाया जाये ? गुरु शिष्य का रिश्तों की पवित्रता कैसे रखी जाये ? बहुत सारे सवाल और जवाब गुरु के पास ! गुरु के रूप में छात्र-छात्राओं को अपने बच्चों के समान देखना होगा तभी ये रिश्ते और इसकी पावनता अक्षुण्ण रह सकती है । 
-*पूर्व उपाध्यक्ष, हरियाणा ग्रंथ अकादमी ।