समाचार विश्लेषण/कांग्रेस के अंदर और बाहर क्या हो रहा है ?

जब तक पार्टी में हर स्तर पर चुनाव नहीं होता तब तक पार्टी की स्थिति सुधरने वाली नहीं

समाचार विश्लेषण/कांग्रेस के अंदर और बाहर क्या हो रहा है ?
कमलेश भारतीय।

-कमलेश भारतीय 
बिहार में महागठबंधन की हार के बाद जहां कांग्रेस विरोधियों के निशाने पर है , वहीं अपने ही नेताओं के सुर भी दिन प्रतिदिन बिगड़ते जा रहे हैं । बाहर तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर अन्य दलों के नेता कांग्रेस की खिल्ली उड़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे तो कांग्रेस के अंदर पार्टी हाईकमान की आलोचना करने वाले भी मुखर होते जा रहे हैं । शुरूआत कपिल सिब्बल ने की थी तो साथ और समर्थन देने पी चिदम्बरम्, बेटे कार्ति, वरिष्ठ नेता आगे आए तो अब गुलाम नवीं आजाद ने भी आखिर चुप्पी तोड़ कर कहा कि कम से कम चुनावों के समय तो फाइव स्टार कल्चर छोड़ देना चाहिए । उनका इशारा पश्चिमी बंगाल के विधानसभा चुनावों की ओर है । वे यह मांग भी उठा रहे हैं कि पार्टी के अंदर चुनाव जरूरी हैं । इसके साथ ही जोड़ देते हैं कि हम पार्टी विरोधी नहीं बल्कि सुधारवादी हैं । यानी पार्टी में सुधार की मांग के लिए सब कह बोल रहे हैं । गुलाम नवी आजाद को यह भी अहसास हो गया है कि कांग्रेस नेता आम लोगों से कटे हुए हैं । जब तक पार्टी में हर स्तर पर चुनाव नहीं होता तब तक पार्टी की स्थिति सुधरने वाली नहीं । इसके बावजूद गुलाम नवीं आजाद कहते हैं कि कोरोना के कारण गांधी परिवार को क्लीन चिट दे रहा हूं । वे अभी बहुत कुछ नहीं कर सकते । यदि वे राष्ट्रीय विकल्प बने रहना चाहते हैं तो पार्टी में चुनाव होने चाहिएं । 
दूसरी ओर सलमान खुर्शीद कह रहे हैं कि कांग्रेस में नेतृत्व का कोई संकट नहीं है जैसा कि गुलाम नवीं आजाद को लग रहा है । सोनिया गांधी और राहुल गांधी के योगदान को हर वह व्यक्ति देख सकता है जो नेत्रहीन नहीं है । कांग्रेस में विचार रखने के लिए पर्याप्त मंच है और अपनी बात पार्टी मंच पर ही रखनी चाहिए । उधर भाकपा माले के नेता दीपंकर भट्टाचार्य ने पश्चिमी बंगाल के चुनाव को लेकर आशा जताई कि कांग्रेस बिहार से अधिक यथार्थवादी रुख अपनायेगी और मंथन कर रही होगी । मंथन सामने है । एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप ही चल रहे हैं हिसार चुनाव परिणाम के बाद से । कांग्रेस ने बिहार मे महागठबंधन को प्रदर्शन से निराश किया , इसलिए पश्चिमी बंगाल में अगुआ नहीं होने चाहिए । सीटों का बंटवारा अधिक यथार्थवादी होना चाहिए । साफ संकेत कि कांग्रेस को पश्चिमी बंगाल में गठबंधन ज्यादा सीटें नहीं देने वाला । अरे कांग्रेस वालो , अब तो आपसी मतभेद बुला कर चुनाव मैदान मे उतरो ।