लो जी, आया यात्राओं का मौसम! 

लो जी, आया यात्राओं का मौसम! 

-कमलेश भारतीय
अपने देश में वैसे तो चार मौसम हैं लेकिन एक फिल्मी गाने में पांच मौसम  गिनाए गये हैं और बताया है गीतकार ने कि पांचवां मौसम प्यार का ! वैसे तो हमारे यहाँ शादियों का भी बीच बीच मे  मौसम आता है और‌ सभी होटल, गाड़ियां बुक मिलती हैं । इस तरह देखा जाये तो गाने में छठा मौसम शादियों का भी जोड़ा जा सकता है! यदि ऐसा किया गया तो इसमे़ से प्यार  ही गायब हो जायेगा, फिर यह गाना भी बेकार हो जायेगा । गाना वही, जो पिया मन भाये! यदि ऐसा ही करना हो तो एक और बात भी जोड़ी जा सकती है और वह है - राजनीतिक यात्राओं का मौसम ! हालांकि यह मौसम पहले तो पांच साल बाद आता था लेकिन आजकल यह सदाबहार और सर्वप्रिय मौसम बन गया है । आजकल हर राजनीतिक दल के नेता नित नयी यात्राओं के निकले रहते हैं ! कोई निश्चित समय नही, राजनीतिक यात्राओं का ! जिसे देखो यात्रा पर !
पिछले साल इन्हीं दिनों में राहुल गाँधी की ' भारत जोड़ो यात्रा चल रही‌ थी  ! और यात्रा में सबसे हैरानी इस बात पर जताई जा रही थी कि इतने जाड्डे में एक महंगे ब्रा़ंड की टी शर्ट पहने राहुल गाँधी कैसे यात्रा कर रहे हैं और‌ हरियाणा में कुछ कांग्रेसी नेताओं में यह होड़ लगी रही कि हमें भी इसमें प्रमुख नेता माना जाये! हर यात्री परेशान ही दिखा, अपना चेहरा दिखाने को लेकर ! यही नहीं राहुल के साथ अपने कार्यकर्ताओं के फोटो करवाने की होड़ भी देखने में आई! 
अब राहुल गाँधी फिर न्याय यात्रा शुरू करने जा रहे हैं ! यह मात्रा मणिपुर जाकर संपन्न होगी ! इस पर केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी का कहना है कि जिन्होंने सदैव जनता के साथ अन्याय किया, वही आज न्याय यात्रा निकलने जा रहे हैं! हे राम ! घोर कलयुग आ गया! कैसी कैसी यात्रायें निकाल रहे हैं ! 
हरियाणा में तो यात्राओं का मौसम लगातार आता रहा और अब यह महामारी कोरोना को भी मात देकर उसे बुरी तरह पछाड़ चुकी है!  अब तो राजनीतिक दल तो छोड़िये, निर्दलीय नेता भी यात्रा पर रहे । देखिए ! हमारा देश विश्व में सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश माना जाता है और हर किसी को यात्रा करने का बराबर अधिकार है ! फिर इनेलो नेता अभय चौटाला की ' परिवर्तन यात्रा' भी आई ! अब कितना परिवर्तन खुद अभय चौटाला में आया, कितना नहीं, ये तो वही जानें लेकिन इस यात्रा में मुख्य जोर जजपा में चले गये कार्यकर्ताओं को वापस लाने पर दिया गया ! अब कितने कार्यकर्ता लौटे या नहीं,  यह हम चुनाव परिणाम में ही जान पायेंगे! उधर इस खतरे को भांपते हुए जजपा नेता और उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला भी इस कड़कड़ाती सर्दी में गांव गांव की यात्रायें कर रहे हैं! जब उनसे विधानसभा के चुनाव में भाजपा-जजपा गठबंधन के बारे में सवाल पूछते हैं तब जवाब मिलता है कि हम तो नित प्रतिदिन जोड़ने की बात कर रहे है़ंं और मीडिया हमें अलग अलग करने पर तुला है ! 
अभी प्रमुख राजनीतिक दल भाजपा ने भी संकल्प यात्रा और विकसित भारत यात्रायें निकलीं ! जनता के बीच अपनी उपलब्धियों का बखान किया ! अब कांग्रेसी नेता व पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा और पूर्व केंद्रीय म़ंत्री सैलजा अलग अलग यात्राओं पर निकलने वाले हैं! जब हिसार में सैलजा से इस बारे में पूछा गया तो उनका जवाब वही पुराना जवाब था कि हर कोई अपनी तरह से कांग्रेस को मजबूत करने में लगा है और कांग्रेस किसी एक नेता की बपौती नहीं ! इस तरह उनकी यात्रा गृह जिले हिसार से शुरू होगी! 
तो भाई लोगो तैयार हो जाइए यात्राओं  के दौरान होने वाले ट्रैफिक जाम के लिए और इससे होने वाले लाभ के लिए ! सारी टैक्सिया़ं राजनीतिक दलों के नाम ! कार्यकर्ताओं की परख जिसके आधार पर‌ टिकट पक्की होगी !  कार्यकर्त्ता को कसौटी पर खरा उतरना होगा ! जो परख में फिट, वही विधानसभा टिकट की बैतरणी पार, बाकी डूबेंगे बीच मंझधार ! 
तो थोड़ा यात्राओं का मज़ा लीजिए! यह चुनावी मौसम जल्द न आयेगा दोबारा!