विरह का गीत/अश्विनी जेतली

विरह का गीत/अश्विनी जेतली
अश्विनी जेतली।

लुधियाना के जाने माने वरिष्ठ पत्रकार श्री अश्विनी जेतली ((उनकी तस्वीर भी साथ दी जा रही है)) ने आज सुबह व्हाट्सअप पर मुझे एक पंजाबी गीत भेजा जोकि उनका अपना लिखा हुआ था। यह गीत मेरे दिल को इस कदर छू गया कि मैंने उसी समय उसका हिंदी में अनुवाद शुरू कर दिया। मैंने अनुवाद का काम मुकम्मल करने के बाद ही सांस लिया। इस हिंदी अनुवाद को मैं आप सब के साथ भी साझा करना चाहता हूँ। आशा है, आप भी गीत पढ़ते हुए श्री अश्विनी जेतली की भावनाओं में बह जाएंगे। वैसे श्री अश्विनी जेतली ने भी अपनी फेसबुक टाइमलाइन पर आज सुबह इस गीत को पंजाबी भाषा में प्रस्तुत किया है। श्री अश्विनी जेतली एक सुलझे हुए और वरिष्ठ पत्रकार होने के साथ साथ ग़ज़ल, कविता, गीत, नज़्म इत्यादि लिखने में विशेष महारत रखते हैं। अभी हाल ही में उनकी पुस्तक "तिड़के सुपने दी गाथा" (पंजाबी ग़ज़ल/काव्य संग्रह) प्रकाशित हुई है जिस का विधिवत रूप से अभी विमोचन होना शेष है। लॉकडाउन की वजह से इसके विमोचन में विलम्ब हुआ है। प्रस्तुत है श्री अश्विनी जेतली द्वारा लिखा गया गीत:

विरह का गीत
---------------

मन गुमसुम गुमसुम हुआ है
आँख भीगी भीगी सी हुई है

तेरे चले जाने के बाद तड़प मिली है
आँख हर रात रोई है
मन गुमसुम गुमसुम....

दिन भागमभाग में कट जाये
बेशक याद पल पल तेरी ही आये
हर शाम ढले तेरी याद सजन
मन के भीतर तूफ़ान मचाये
क्या बताऊं, किसे बताऊं मैं
मेरे साथ जो हो गुजरी है....

मन गुमसुम गुमसुम ...

दिल तड़पे तुम्हें याद करता हूँ
तुम से मिलने की फ़रियाद करता हूँ
तुम्हारा चेहरा आये आँखों के सामने
तब लगता है स्वास हो गए पूरे
जैसे अभी आयी, मानो अभी ही आयी
फिर लगता है स्वास अभी आधे अधूरे
मन गुमसुम गुमसुम ...

साँसों में बस्ता था हर समय
खिल-खिलकर हँसता था हर समय
याद आती मुस्कान तेरी
फिर निकाल लेती है जान मेरी
दिल देता घूमे फिर दुहाई
मेरी रूह मेरे शरीर से अलग हुई ....

मन गुमसुम गुमसुम हुआ है
आँख भीगी भीगी सी हुई है...?
तुमने रास्ता अलग जो तलाश लिया है
इस दिल ने भी विरह सह ली है
इस बार के बिछुड़े अगले जन्म
मिल जाएँ पुकार यही है
मन गुमसुम गुमसुम ....

-लेखक: अश्विनी जेतली
-पंजाबी से हिंदी में अनुवाद: मनोज धीमान