अकबर इलाहाबादी अंग्रेजों की नौकरी के बावजूद उनकी व्यवस्था पर व्यंग्य करते रहे: डॉ. अली अब्बास
पंजाब यूनिवर्सिटी के उर्दू विभाग में शेरीयत के सहयोग से अकबर इलाहाबादी की याद में शायरी सत्र का आयोजन
चंडीगढ़, 19 नवंबर 2025: पंजाब यूनिवर्सिटी चंडीगढ़ के उर्दू विभाग में शेरीयत अदबी एंजुमन के सहयोग से अकबर इलाहाबादी के जन्मदिन के अवसर पर एक शायरी सत्र का आयोजन किया गया, जिसमें विभाग के अध्यक्ष डॉ. अली अब्बास ने आए हुए शायरों और मेहमानों का स्वागत करते हुए कहा कि अकबर इलाहाबादी ने अपने अशआर के परदे में अंग्रेजों की नौकरी के बावजूद उन पर जगह-जगह व्यंग्य किया है।
उन्होंने आगे कहा कि अकबर इलाहाबादी को हम जितना हास्य शायर समझते हैं, उससे कहीं अधिक उनकी शायरी में गंभीर प्रकार का व्यंग्य भी पाया जाता है।
इस अवसर पर डॉ. अली अब्बास ने क़ुली क़ुतुब शाह, वली दकनी, मीर और ग़ालिब का उल्लेख करते हुए उर्दू की शायरी परंपरा पर संक्षेप में प्रकाश डालते हुए बताया कि वली दकनी ने उर्दू शायरी को पहली बार प्रेम की विशालता से परिचित कराते हुए चिंतन करने वाला ज़ेहन दिया है।
उन्होंने यह भी बताया कि एक शायर को भाषा पर इतनी प्रभुता होनी चाहिए कि वह रदीफ़ और क़ाफ़िया को विभिन्न अर्थों में प्रयोग कर सके। अकबर इलाहाबादी ने अपनी शायरी में शब्दों का प्रयोग इस तरह से किया है कि उनमें व्यंग्य और हास्य के साथ-साथ चिंतनशीलता भी स्पष्ट रूप से देखी जा सकती है।
फ़िदा हो केक पर तुम आप ख़ुद बिस्कुट पर गिरते हो
तो क्या फिर बेकरी के मुनहदिम करने को फिरते हो
उन्होंने उर्दू भाषा सीखने और उसके शब्दों के सही प्रयोग पर जोर देते हुए कहा कि युवा शायरों को शायरी के नियमों और सिद्धांतों से नियमित रूप से परिचित होने के बाद ही गद्य कविता की ओर ध्यान देना चाहिए।
इस अवसर पर शेरीयत के अध्यक्ष शमशीर साहिर ने विभाग के अध्यक्ष का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि शेरीयत अदबी एंजुमन एक जज़्बा है जिसने विभिन्न क्षेत्रों के रुचि रखने वालों को सिर्फ इसलिए एकत्र किया है कि उर्दू भाषा को बढ़ावा दिया जाए और समाज में साहित्य को आम किया जाए।
इस शायरी सत्र में कुल 12 शायरों ने अपनी रचनाएँ प्रस्तुत कीं, जिनमें डॉ. ज़ुल्फ़िक़ार अली ज़ुल्फ़ी, शमशीर साहिर, राम कुमार, गोतम, खलीक़ आवान, सनी कबीर, करन सहर, मीनाक, महेश्वरी और सलीम शाह शामिल रहे। संचालन का कार्य ग्रिमा ने बखूबी निभाए।
कार्यक्रम के अंत में उर्दू विभाग की डॉ. ज़रीन फ़ातिमा ने आए हुए मेहमान शायरों और प्रतिभागियों का आभार व्यक्त किया।
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