एक-दूसरे के पूरक हैं वैदिक मूल्य, प्राकृतिक संतुलन और विधिक व्यवस्थाः राज्यपाल आचार्य देवव्रत
जिला बार एसोसिएशन में “प्रकृति और कानून” विषय पर विशेष व्याख्यान।

रोहतक, गिरीश सैनी। जिला बार एसोसिएशन, रोहतक में “प्रकृति और कानून” विषय पर एक विशेष व्याख्यान का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि एवं वक्ता, गुजरात एवं महाराष्ट्र के राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने शिरकत की।
अपने प्रभावशाली संबोधन में राज्यपाल ने प्रकृति और विधि के बीच गहरे संबंध को परिभाषित करते हुए बताया कि कैसे वैदिक मूल्य, प्राकृतिक संतुलन और विधिक व्यवस्था एक-दूसरे के पूरक हैं। उन्होंने विशेष रूप से प्राकृतिक खेती की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा कि प्राकृतिक खेती भूमि को उपजाऊ बनाती है, जबकि रासायनिक खेती भूमि को बंजर कर देती है। इसके साथ ही उन्होंने बेटी बचाओ-बेटी पढाओ, नशा मुक्ति अभियान, एवं वैदिक मूल्यों के प्रचार-प्रसार जैसे सामाजिक आंदोलनों में अपनी सक्रिय भूमिका का उल्लेख किया।
प्रारंभ में बार एसोसिएशन, रोहतक के प्रधान दीपक हुड्डा ने स्वागत संबोधन किया तथा कार्यक्रम की विषय वस्तु पर प्रकाश डाला।
अध्यक्षीय संबोधन में एमडीयू के कुलपति प्रो. राजबीर सिंह ने शिक्षा और कानून के बीच संबंध को रेखांकित करते हुए कहा कि प्रकृति और विधि का समन्वय समाज की स्थिरता के लिए अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने बताया कि रोहतक बार एसोसिएशन के 50% से अधिक सदस्य एमडीयू के पूर्व छात्र हैं।
बार काउंसिल ऑफ पंजाब एंड हरियाणा के दो बार चेयरमैन रह चुके वरिष्ठ अधिवक्ता, डॉ. विजेंद्र सिंह अहलावत ने बार एसोसिएशन, रोहतक के इतिहास, संस्था की स्थापना, विकास और उसके सामाजिक-न्यायिक योगदानों से अवगत कराया। एसोसिएशन के महासचिव राजकरण पंघाल ने अंत में आभार व्यक्त किया।
इस दौरान रोहतक न्यायालय के न्यायिक अधिकारियों के अलावा उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग के अध्यक्ष नागेन्द्र सिंह कादयान, उद्योगपति एवं समाजसेवी राजेश जैन, महामंडलेश्वर बाबा कपिल पुरी, जिला बार एसोसिएशन के पदाधिकारी, एवं वरिष्ठ अधिवक्ता मौजूद रहे।