कुलपति ने किया "वाल्मीकि रामायण: भारतीय सभ्यता की कालजयी गाथा" का लोकार्पण

कुलपति ने किया

रोहतक, गिरीश सैनी । वाल्मीकि रामायण कालजयी रचना है जिसका संदेश आज भी प्रासंगिक है। इस रचना में समाहित नैतिक मूल्य तथा सांस्कृतिक मूल्य हम सबके लिए प्रेरणा का स्रोत हैं। महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय (मदवि) के कुलपति प्रो राजबीर सिंह ने ये उद्धार विवेकानंद पुस्तकालय में आयोजित पुस्तक लोकार्पण समारोह में अध्यक्षीय भाषण में व्यक्त किए।

कुलपति प्रो राजबीर सिंह ने मदवि संस्कृत विभाग के प्रोफेसर डॉ सुरेंद्र कुमार तथा विभागाध्यक्षा डॉ सुनीता सैनी द्वारा संपादित पुस्तक "वाल्मीकि रामायण: भारतीय सभ्यता की कालजयी गाथा" का लोकार्पण किया। कुलपति ने संपादक द्वय तथा इस पुस्तक में लेख लिखने वाले प्रत्येक लेखक को हार्दिक बधाई दी। कुलपति ने कहा कि विवेकानंद पुस्तकालय के तत्वावधान में प्रारंभ किए गए इस पुस्तक लोकार्पण कार्यक्रम से विश्वविद्यालय समुदाय में पठन-पाठन की स्वस्थ परंपरा सुदृढ़ होगी। ज्ञान विस्तारण की जरूरत को कुलपति ने अपने संबोधन में रेखांकित किया। कुलपति ने कहा कि भविष्य में भी पुस्तक लेखन तथा पुस्तक लोकार्पण कार्यक्रम को विश्वविद्यालय में पूरा प्रोत्साहन दिया जाएगा।

कार्यक्रम के प्रारंभ में पुस्तकालय अध्यक्ष डॉ सतीश मलिक ने स्वागत भाषण दिया। उन्होंने बताया कि कुलपति प्रो राजबीर सिंह इस कार्यक्रम के प्रेरणा स्रोत हैं। उन्होंने बताया कि पिछले वर्ष सितंबर माह में पुस्तक लोकार्पण कार्यक्रम प्रारंभ किया गया था और अब तक इस श्रृंखला में 10 कार्यक्रम आयोजित किए गए हैं।

संस्कृत विभाग की अध्यक्षा डॉ सुनीता सैनी ने पुस्तक बारे जानकारी दी। उन्होंने बताया कि इस संपादित पुस्तक में 26 लेखों का संग्रह है। यह सभी वाल्मीकि रामायण के विभिन्न पहलुओं पर हैं।

शैक्षणिक मामलों के अधिष्ठाता तथा संस्कृत के वरिष्ठ प्रोफेसर डॉ सुरेंद्र कुमार ने कहा कि इस पुस्तक का प्रकाशन संस्कृत, प्राकृत तथा पाली विभाग एवं महर्षि वाल्मीकि शोध पीठ के तत्वावधान में किया गया है। महर्षि वाल्मीकि द्वारा रचित महाकाव्य रामायण में अंतर निहित विचार तथा दर्शन को जनमानस तक ले जाने का कार्य यह पुस्तक करेगा।

पुस्तक लोकार्पण कार्यक्रम में मंच संचालन डिप्टी लाइब्रेरियन डॉ सीमा ने किया। इस कार्यक्रम में डीन (सीडीसी) प्रो ए एस मान, डीन (इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी) प्रो युद्धवीर सिंह, संस्कृत के सेवानिवृत प्रोफेसर डॉ सुधा जैन तथा डॉ बलबीर आचार्य, संस्कृत विभाग के प्राध्यापक डॉ श्री भगवान, डॉ रवि प्रभात, डॉ सुषमा नारा, विभागाध्यक्ष (पत्रकारिता) प्रो हरीश कुमार, प्रो निर्मल कुमार स्वैन, प्रो रश्मि मलिक, डॉ मंजू जैन, डॉ कृष्णा देवी, डॉ अनिल कुमार, निदेशक जनसंपर्क सुनित मुखर्जी, डॉ सुंदर सिंह, शोधार्थी, विद्यार्थी, पुस्तकालय कर्मी आदि उपस्थित रहे।