मास्क हटते ही नया वेरिएंट परंतु चिंता की बात नहीं

दिल्ली, मुंबई, हरियाणा और चंडीगढ़ समेत अधिकांश स्थानों पर मास्क की अनिवार्यता समाप्त हो चुकी है। फिर भी अहतियात के तौर पर भीड़ भरे स्थानों पर मास्क पहनना समझदारी होगी। यह वैसे ही है जैसे बाइक या स्कूटर चलाते समय अपनी जान की हिफाजत के लिए हैलमेट पहनना जरूरी होता है, भले ही पुलिस चालान करे या न करे।

मास्क हटते ही नया वेरिएंट परंतु चिंता की बात नहीं

दिल्ली, मुंबई, हरियाणा और चंडीगढ़ समेत अधिकांश स्थानों पर मास्क की अनिवार्यता समाप्त हो चुकी है। फिर भी अहतियात के तौर पर भीड़ भरे स्थानों पर मास्क पहनना समझदारी होगी। यह वैसे ही है जैसे बाइक या स्कूटर चलाते समय अपनी जान की हिफाजत के लिए हैलमेट पहनना जरूरी होता है, भले ही पुलिस चालान करे या न करे। ठीक उसी तरह, मास्क न पहनने पर भले ही कोई आकर आपका चालान नहीं काटेगा परंतु कोरोना से बचने के लिए मास्क और सेनिटाइजर का प्रयोग करते रहना ही उचित है। अब खबर आ रही है कि कोरोना का एक्सई नामक एक नया वेरिएंट पता चला है, जिससे संक्रमित एक व्यक्ति भारत में भी मिला है। यह ओमिक्रॉन का ही एक नया रूप है, वही ओमिक्रॉन जो पिछले दिनों तीसरी लहर के लिए जिम्मेदार था। चूंकि भारत में करीब करीब सभी को ओमिक्रॉन का संक्रमण हो चुका है, और अधिकांश आबादी को वैक्सीन लग चुकी है, इसलिए एक्सई वेरिएंट का असर भारत में नहीं होगा। जब कोई व्यक्ति एक बार कोरोना से संक्रमित हो जाता है, फिर उसके शरीर में एंटीबॉडी बन जाती हैं, जो आगे संक्रमण का विरोध करती हैं। इसी को नेचुरल इम्युनिटी कहा जाता है। दूसरी इम्युनिटी वैक्सीन से बनती है। वैक्सीन से बनी एंटीबॉडी का असर छह माह से एक साल तक रहता है, जबकि नेचुरल इम्युनिटी का असर कई बार आजीवन रहता है।

 

वैश्विक तापमान में बढ़ोतरी चिंता का विषय है, जिसके चलते दुनिया भर में मौसम और जलवायु में परिवर्तन हो रहा है। कभी बेमौसम बरसात और हिमपात की समस्या होती है, कभी बेइंतहा बाढ़ तो कभी सूखे की। अप्रैल में ही जून जैसी गर्मी, इसी जलवायु परिवर्तन के कारण हो रही है। हिल स्टेशनों पर होटल दोगुने दाम पर कमरे दे रहे हैं, क्योंकि मई तक की एडवांस बुकिंग हो चुकी है और रूम ऑक्युपेंसी 80 – 90 प्रतिशत तक जा रही है। ठंडक की तलाश में पहाड़ों का रुख करते पर्यटकों की आमद से पर्यटन उद्योग दो वर्षों के घाटे को पूरा कर लेगा, ऐसी आशा की जाती है। ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन से तामपान में वृद्धि हो रही है, जिसे रोकने के लिए ऊर्जा के नए और सुरक्षित स्रोतों को अपनाना होगा। दुनिया भर में ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन में भारत का योगदान करीब 7 प्रतिशत है। वर्ष 1990 के बाद, 18 वर्षों तक भारत के ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में 172 प्रतिशत की वृद्धि हुई।

 

हमारे यहां कोयला व पेट्रोलियम ईंधन के अधिक इस्तेमाल से उत्सर्जन सर्वाधिक यानी 74 प्रतिशत तक होता है। इसका अर्थ है कि भारत को आने वाले दिनों में वैकल्पिक ऊर्जा स्रोतों के विकास पर अधिक ध्यान देना होगा। इस बीच, अडानी न्यू इंडस्ट्रीज लिमिटेड ने हवा से बिजली उत्पादन के लिए विंड टर्बाइन निर्माण, ग्रीन हाइड्रोजन प्रोजेक्ट तैयार करने, सौर ऊर्जा चालित उपकरणों व मशीनों के लिए सोलर पैनल बनाने और बैटरियों के उत्पादन की घोषणा की है। अडानी का लक्ष्य है दुनिया में सबसे कम कीमत वाले हाइड्रोजन का उत्पादन करना। अदाणी ने इस्पात उत्पादन में भी इस बात का ध्यान रखा है कि तकनीक पर्यावरण के अनुकूल हो। इसके लिए समूह ने दक्षिण कोरिया की पॉस्को कंपनी से करीब 37 हजार करोड़ रुपए का समझौता किया है। दोनों कंपनियां मिल कर गुजरात के मुंद्रा में एक ग्रीन इंटीग्रेटेड स्टील प्लांट लगाएंगी।

 

(नरविजय यादव वरिष्ठ पत्रकार व कॉलमिस्ट हैं)