डीएलसी सुपवा में दो दिवसीय 'स्टूडेंट्स क्रिएटर वर्कशॉप' प्रारंभ

डीएलसी सुपवा में दो दिवसीय 'स्टूडेंट्स क्रिएटर वर्कशॉप' प्रारंभ
Source: IANS

रोहतक, गिरीश सैनी। स्थानीय दादा दादा लखमी चंद राज्य प्रदर्शन एवं दृश्य कला विवि (डीएलसी सुपवा) के आर्किटेक्चर संकाय में छात्र कल्याण विभाग के तत्वावधान में दो दिवसीय 'स्टूडेंट्स क्रिएटर वर्कशॉप' प्रारंभ हुई। पब्लिक मीडिया टेक फाउंडेशन (पीएमटीएफ) द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम का उद्देश्य छात्रों को रचनात्मक कहानी कहने, डिजिटल सामग्री निर्माण और नई मीडिया तकनीकों की उभरती दुनिया का अन्वेषण करने में मदद करना है।

कार्यशाला का उद्घाटन कुलपति डॉ. अमित आर्य ने किया। इस दौरान डीन अकादमिक डॉ. अजय कौशिक, कुलसचिब डॉ. गुंजन मलिक और छात्र कल्याण विभागाध्यक्ष विनय कुमार सहित वरिष्ठ संकाय सदस्य, छात्र और पीएमटीएफ के प्रतिनिधि मौजूद रहे। 

कुलपति डॉ. अमित आर्य ने कहा कि शिक्षा का रचनात्मक परिदृश्य तेजी से बदल रहा है, और छात्रों को उस नए पारिस्थितिकी तंत्र के अनुकूल होने के लिए तैयार करना चाहिए जहाँ कला, प्रौद्योगिकी और संचार का संगम होता है। उन्होंने कहा कि छात्रों को सार्थक संवाद करना, तकनीक का ज़िम्मेदारी से उपयोग करना और रचनात्मक माध्यमों के माध्यम से अपनी विशिष्टता व्यक्त करना सीखना होगा। इस तरह की कार्यशालाएँ न केवल डिजिटल दक्षता का निर्माण करती हैं, बल्कि जिज्ञासा, नवाचार और सहयोग की संस्कृति भी विकसित करती हैं। 

कार्यशाला के पहले दिन पीएमटीएफ प्रशिक्षकों और मीडिया पेशेवरों द्वारा विभिन्न सत्रों में छात्रों को एक कहानीकार के रूप में अपनी आवाज़ ढूँढ़ने, वीडियो शूटिंग और रचना की मूल बातें, मोबाइल संपादन उपकरण, सामग्री विचार और सांस्कृतिक कहानी कहने की तकनीकों जैसी अवधारणाओं से परिचित कराया गया। प्रतिभागियों को व्यावहारिक अभ्यासों के माध्यम से भी निर्देशित किया गया, जहाँ उन्होंने परिसर के जीवन और सामाजिक विषयों पर आधारित लघु वीडियो कहानियाँ और माइक्रो-वृत्तचित्र तैयार किए।

कार्यशाला का दूसरा दिन वीरवार, कंटेंट डेवलपमेंट के उन्नत क्षेत्रों पर केंद्रित होगा, जिसमें रचनाकारों के लिए एआई-सक्षम उपकरण, डिजिटल रिपोर्टिंग तकनीक, विज़ुअल स्टोरीटेलिंग और डिजिटल एनालिटिक्स के माध्यम से व्यक्तिगत ब्रांड निर्माण शामिल हैं।

छात्र कल्याण विभाग के प्रमुख विनय कुमार ने कहा कि 'छात्र रचनाकार कार्यशाला' का उद्देश्य युवा शिक्षार्थियों के आत्मविश्वास और रचनात्मक स्वतंत्रता का पोषण करना है।