महिलाओं की स्थिति में आए बदलाव को रेखांकित करने की कोशिश: शशि पुरवार 

महिलाओं की स्थिति में आए बदलाव को रेखांकित करने की कोशिश: शशि पुरवार 
शशि पुरवार । 

-कमलेश भारतीय 
सतयुग से कलयुग तक महिलाओं की स्थिति में बहुत बदलाव आए हैं और 'सरस्वती सुमन' पत्रिका के नारी विशेषांक ( साहित्य में नारी संवेदनाओं की अभिव्यक्ति ) इन्हीं बदलावों को रेखांकित करने की कोशिश की है . एक सार्थक संग्रहणीय कार्य करना चाहती थी।
 दूसरा मैं 22 जून को आ रहे अपने जन्मदिन पर समाज के साथ- साथ  खुद को भी उपहार देना चाहती थी , जो मैंने कोरोना की चपेट में आने के बावजूद संपादन पूरा करके खुद को भी उपहार दिया । यह कहना है सरस्वती सुमन पत्रिका के भारी भरकम "नारी विशेषांक" की अतिथि संपादिका शशि पुरवार का जो मूलतः इंदौर की रहने वाली हैं लेकिन आजकल मुम्बई रहती हैं । ननिहाल पटना में बचपन बीता। सम्पूर्ण शिक्षा इंदौर से ही पाई । बीएससी बायोलोजी , एम. ए. राजनीतिशास्त्र ,  ऑनर्स डिप्लोमा इन कंप्यूटर मैनेजमेंट में तीन साल का डिप्लोमा भी किया । विनीता के जैसी महिला पत्रिका के मुखपृष्ठ पर तो गृहशोभा के अंदर के पन्नों पर भी इनके फोटोज आए जो इनके मनमोहक व्यक्तित्व का परिचायक हैं ।
 

-कोई जाॅब की ?
-जी । दो साल मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव रही । फिर नेवी में रेडिओ ऑफिसर भी चुनी गयी लेकिन परिवार ने जाने नहीं दिया । 
-स्कूल काॅलेज में किन -किन गतिविधियों में भाग लेती रहीं ?
-लोक नृत्य , कत्थक, शतरंज , बास्केटबाल , एनसीसी,(साइड्रम , बाँसुरी वादन ) गाइड और बैडमिंटन, फ़ुटबाल । सबमें हिस्सा लेती रही । 
-फिर वह स्पोर्ट्स वाली लड़की संवेदनशील रचनाकार कैसे बन गयी ?
-मेरी माँ श्रीमति मंजुला गुप्ता हिंदी में पीएचडी है  उनके कारण  घर में किताबें सदैव साथी बनी है, घर में सुबह -सुबह कबीर व रहीम के दोहों के कैसेट चलते रहते थे , जो हमें याद होते गये ।  कक्षा आठवीं से अपनी डायरी में लिखने लगी । स्कूल - काॅलेज की पत्रिकाओं में आलेख व  रचनाएं आने लगीं । गंभीर रूप से लेखन बचपन में शुरू हुआ लेकिन प्रकाशन को गति सन 1999  के आसपास प्रदान की।  रचनाएं विभिन्न पत्रिकाओं में आने लगीं । 
-पसंदीदा लेखक कौन ?
-प्राचीन साहित्य के सभी रचनाकार पसंद हैं । अच्छे लेखन ने सदैव आकर्षित किया है । बचपन में रेडियो पर अमीन सयानी को बहुत सुना । इस तरह एक संवेदनशील,चंचल और ऑलराउंडर लड़की एक गंभीर रचनाकार बनती गयी । 
-कुछ परिवार के बारे में बताइए ?
-सन् 1998 में एम. आर. पुरवार से शादी । एक ही बेटी है सौम्या जो जाॅब कर रही है । 
-कितनी पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं ?
-पांच ( विभिन्न विधाओं )में और दो ( दोहा - कहानी ) अभी प्रकाशनाधीन हैं ।  
-मूल रूचि किस विधा में ?
-वैसे सभी विधाएँ  प्रिय हैं -दोहा, गीत, नवगीत, कथा, व्यंग्य, हाइकु ,माहिया, कुण्डलियाँ  आदि । सबमें लिखा है । सभी पहचान बनाई है लेकिन दोहे ,गीत व कहानी मेरे हृदय के करीब है ।अब उपन्यास लिख रही हूँ। 
-कोई मुख्य पुरस्कार ?
- जी अनगिनत मिले है लेकिन यह यादगार है। 100  women achievers of India जो  भारत सरकार महिला व बाल विकास मंत्रालय द्वारा चयनित हुई 
जब राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने देश की सौ सशक्त महिलाओं में मुझे भी सम्मानित किया । कुल पच्चीस लाख में से सर्वे के आधार पर एक सौ महिलाओं को चुना गया था । व्यंग्य में हरिशंकर परसाई पुरस्कार मिला ।विद्यावाचस्पति पुरस्कार समेत अनगिनत सम्मान। हाल ही में विश्व हिंदी सचिवालय मॉरीशस द्वारा संस्मरण लेखन में भौगोलिक क्षेत्र भारत में तृतीय पुरस्कार भी मिला है। साथ ही मेरे गीत को महाराष्ट्र वन विभाग द्वारा रिकॉर्ड करके उसका उपयोग  नदी व जल संवर्धन कार्यक्रमों में किया गया। 
-सरस्वती सुमन नारी विशेषांक के अतिथि संपादन में क्या अनुभव रहा ?
-बहुत व्यवधान आए । कोरोना की गंभीर चपेट में आई । मैंने अंक में  रचनाकार को नहीं , सिर्फ रचना को ही प्रथमिकता दी । कुछेक को नागवार भी गुजरा । साहित्य में नारी संवेदनाओं की अभिव्यक्ति एक व्यापक वृहद विषय है , जिसे नारी देह से परे भी देखने की आवश्यकता है। निष्पक्ष रूप से किया गया कार्य  आपके समक्ष है।  सतयुग से लेकर कलयुग तक नारी  की स्थिति में बहुत परिवर्तन हुए है ,उन्हें रेखांकित करने की कोशिश रही । एक ऐसा विशेषांक बनाना था जो संग्रहणीय हो और  नव रचनाकार उससे कुछ लाभ ले सके। साहित्य में इस क्षेत्र में भी कार्य करना मेरा सपना भी था। मेरी तमन्ना व  खुद से किया वादा पूरा हुआ।  अब इसी पत्रिका का कथा विशेषांक संपादित कर रही हूं ।
हमारी शुभकामनाएं शशि पुरवार को और 22जून के जन्मदिन की भी अग्रिम शुभकामनाएं ।